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Paltan Film Review: भारत-चीन युद्ध पर बनी यह फिल्म कैसी है?

फिल्म : पलटन निर्देशक : जे पी दत्ता कलाकार : जैकी श्रॉफ, अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, गुरमीत चौधरी, हर्षवर्धन राणे, लव सिन्हा, दीपिका कक्कड़, मोनिका गिल, सोनल चौहान और अन्य रेटिंग : ढाई उर्मिला कोरी बॉर्डर, एलओसी कारगिल के बाद पलटन से निर्माता निर्देशक जे पी दत्ता एक बार फिर वॉर ड्रामा की कहानी को […]

  • फिल्म : पलटन
  • निर्देशक : जे पी दत्ता
  • कलाकार : जैकी श्रॉफ, अर्जुन रामपाल, सोनू सूद, गुरमीत चौधरी, हर्षवर्धन राणे, लव सिन्हा, दीपिका कक्कड़, मोनिका गिल, सोनल चौहान और अन्य
  • रेटिंग : ढाई

उर्मिला कोरी

बॉर्डर, एलओसी कारगिल के बाद पलटन से निर्माता निर्देशक जे पी दत्ता एक बार फिर वॉर ड्रामा की कहानी को परदे पर लेकर आये हैं. 1965 में भारतीय सेना की राजपूत रेजीमेंट ने सिक्किम के नाथुला दर्रे में चीनी सेना के दांत खट्टे कर दिये थे.

इसी असल घटना का फिल्मी रूपांतरण यह फिल्म है. फिल्म के पहले भाग में 1962 के उस दौर को दिखाया जाता है, जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था और भारत ने अपने 1363 जवान खोये थे उसके बाद कहानी 65 में आ जाती है.

नाथुला पोस्ट की सुरक्षा में राजपूत रेजिमेंट के सैनिक लगे हैं, जिनसे चीनी सेना की बार बार छोटी मोटी लड़ाई होती रहती है. फेंसिंग बनाने को लेकर विवाद बढ़ जाता है और जंग छिड़ जाती है. तीन साल पहले चीन से युद्ध हारने वाला भारत किस तरह से यह जंग जीतता है.

भारतीय सेना की क्या रणनीति थी, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी. फिल्म की कहानी जिस घटना पर आधारित है, उसका जिक्र न के बराबर हुआ है. इसलिए इस विषय पर फिल्म बनाने के जे पी दत्ता की तारीफ करनी होगी, जो भुला दिये गये सेना के नायकों को फिर से याद करती है.

अब फिल्म की समीक्षा पर आते हैं. फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत कमजोर है. फिल्म की भूमिका बनाने में बहुत समय गंवाया गया है. फिल्म की कहानी को बयां करने का अंदाज बॉर्डर वाला ही है. सभी जवान अपने अपने परिवार को याद करते हैं, जिससे कहानी अतीत और वर्तमान में आती-जाती है.

निर्देशक को यह समझने की जरूरत है कि मौजूदा दौर अलग है इसलिए ट्रीटमेंट भी अलग करने की जरूरत थी. चीनी सेना की कास्टिंग बेहद कमजोर हुई है. युद्ध के सीन अच्छे हैं लेकिन उनमें बारीकियों की कमी रह गयी है.

अभिनय की बात करें, तो सितारों से सजी इस फिल्म में सभी ने अपने अपने किरदार को बखूबी जिया है लेकिन अर्जुन रामपाल, जैकी और सोनू सूद का काम सबसे बेहतरीन रहा है. संवाद साधारण हैं.

फिल्म के गीत संगीत की बात करें तो क्लाइमेक्स में सोनू निगम की आवाज में सजाया गीत अच्छा बन पड़ा है. फिल्म का कैमरा वर्क बहुत औसत है. फिल्म की डबिंग खराब हुई है, जिससे किरदार और संवाद कई बार अलग अलग लगते हैं. कुल मिलाकर जे पी दत्ता अपनी इस वॉर ड्रामा फिल्म में बॉर्डर वाला मैजिक नहीं जगा पाते हैं.

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