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Bade Miyan Chote Miyan Review: कहानी में लॉजिक के अभाव में पर्दे पर मैजिक नहीं कर सकी बड़े मियां छोटे मियां

Bade Miyan Chote Miyan Review: अक्षय कुमार और टाइगर श्राफ की फिल्म बड़े मियां छोटे मियां सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. फिल्म को क्रिटिक्स का मिलाजुला रिव्यू मिला. आइये जानते हैं कैसी है ये फिल्म...

फिल्म – बड़े मियां छोटे मियां
निर्माता- पूजा एंटरटेनमेंट
निर्देशक- अली अब्बास ज़फ़र
कलाकार- अक्षय कुमार,टाइगर श्रॉफ़,पृथ्वीराज सुकुमारन,अलाया एफ़,मानुषी छिल्लर,विजय आनंद और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- दो

Bade Miyan Chote Miyan Review: सुल्तान, टाइगर ज़िंदा है और भारत के बाद निर्देशक अली अब्बास जफर ने एक बार फिर ईद को अपनी फिल्म की रिलीज को चुना है आखिरकार उन्हें अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की जोड़ी का साथ अपनी फिल्म बड़े मियां छोटे मियां जो मिला हैं. उनकी यह फिल्म भी लार्जर देन लाइफ ही है, सुपरस्टार्स भी हैं. एक्शन, कॉमेडी और खूब सारी देशभक्ति भी है, लेकिन इस बार उन्होंने लॉजिक पूरी तरह से अपनी फिल्म से गायब कर दिया है. कहानी और स्क्रीनप्ले दोनों ही कमजोर रह गये हैं. जिस वजह से बड़े मियां छोटे मियां परदे पर मैजिक जगाने से चूक गयी.

फिर देश है खतरे में
मसाला एक्शन फिल्म का मतलब कहानी एक बार फिर देश को बचाने वाली ही होगी. कहानी कुछ नहीं है, तो एक्शन का हर दूसरे सीन में भर भरकर इस्तेमाल हुआ है. फिल्म की शुरुआत एक्शन से ही होती है .मास्क में कबीर (पृथ्वीराज सुकुमारन) कई भारतीय सैनिकों को मारकर भारत का सुरक्षा कवच अपने कब्जे में कर लेता है और भारत का नामों निशान तीन दिनों में मिटा देने की बात करता है. सिर्फ़ तीन दिन का वक़्त भारत के पास है. ऐसे में सभी को पता है कि हमारे हीरोज ही इस मुसीबत से निपट सकते हैं. होता भी यही है कोर्ट मार्शल हुए मिलिट्री ऑफिसर्स फ़्रेडी (अक्षय कुमार) और रॉकी (टाइगर श्रॉफ) को बुलाया जाता है .कहानी फ़्लैशबैक में जाकर हमारे हीरोज़ के जाँबाजी के मिशन को दिखाती है . उसके बाद कहानी वर्तमान में लौट आती है. जिस कबीर का ख़ात्मा करने के लिए फ़्रेडी और रॉकी आये हैं. वह तो इन दोनों का अच्छा दोस्त रहा है .क्या वजह है कि वह अपने देश और लोगों के खिलाफ़ खड़ा हो गया है. फिल्म आगे इन्ही सवालों के जवाब देती है.

फिल्म की खूबियां और खामियां
फिल्म का एक्शन हॉलीवुड स्तर का है. यह कहकर प्रचारित किया जा रहा है. बहुत हद तक यह सही भी है लेकिन फिल्म की कहानी में भी जेम्स बॉन्ड और मिशन इम्पॉसिबल जैसी फिल्मों के रटे-रटाये फॉर्मूले का इस्तेमाल हुआ हैं.फिल्म में एआई ,क्लोनिंग के बारे में बात तो करती है, लेकिन कुछ भी ठोस नहीं है. कहानी और स्क्रीनप्ले की तरह यह भी सतही रह गया है .फिल्म फर्स्ट हाफ में जैसे तैसे चलती है लेकिन सेकेंड हाफ में पूरी तरह से लड़खड़ा गयी है. फ़्रेडी और रॉकी इतने मंझे हुए सैनिक हैं, शुरुआत में उन्हें यह बात क्यों नहीं अखरती है कि मास्क मैन घायल क्यों नहीं होता है . फिल्म की शुरुआत में ही इस बात को दिखाया जाता है कि तीन दिन भारत के पास है लेकिन फिल्म के स्क्रीनप्ले में वह रोमांच नहीं आ पाया है. रेस अगेंस्ट टाइम जैसा कुछ फिल्म में जोड़ा नहीं गया है. फिल्म में 1994 में रिलीज हुई बड़े मियां और छोटे मियां की झलक भी दिखायी गई है. शीर्षक देने की वजह भी बतायी गयी है. फिल्म का गीत-संगीत कहानी की तरह की कमजोर रह गया है. संवाद भी दमदार नहीं है. फिल्म में सीक्वल की गुंजाईश भी रखी गयी है.

पृथ्वीराज सुकुमारन भारी पड़ गए हैं अक्षय और टाइगर पर
अभिनय की बात करें तो अक्षय कुमार एक्शन स्टार हैं. उनकी यह छवि काफी लोकप्रिय भी रही है. इस फिल्म में वह अपने चित परिचित अंदाज में नजर आये हैं लेकिन वह अपने किरदार में कॉमेडी का पंचेस भी बखूबी से जोड़ गए हैं. खास बात है कि टाइगर ने एक्शन के साथ-साथ कॉमेडी में अक्षय को मैच करने की कोशिश की है. पृथ्वीराज सुकुमारन इस फिल्म का सरप्राइज पैकेज है. बड़े मियां छोटे मियां को अक्षय कुमार और टाइगर की फिल्म कहकर प्रचारित किया जा रहा है लेकिन पृथ्वीराज सुकुमारन की यह फिल्म है. उन्होंने विलेन की भूमिका में ज़बरदस्त छाप छोड़ी है . अलाया अभिनय में मानुषी पर बीस पड़ी हैं. मानुषी को अभी ख़ुद पर और काम करने की ज़रूरत है. रोनित रॉय, सोनाक्षी सिंहा भी अपनी-अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं.

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