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करोड़ रुपये का ऑफर मिलने के बावजूद लता दीदी ने शादी में गाने से कर दिया था इनकार,आशा भोंसले ने किया खुलासा

स्वर कोकिला लता मंगेशकर से जुड़े कई दिलचस्प बातों को सिंगर आशा भोंसले ने बताया. बता दें कि लता मंगेशकर के नाम से लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार की स्थापना हुई है.

स्वर कोकिला लता मंगेशकर के नाम से लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार की स्थापना हुई है. जिससे बीते 24 अप्रैल को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुम्बई में सम्मानित किया. यह दिन पंडित दीनानाथ मंगेशकर की पुण्यतिथि के तौर भी याद किया जाता रहा है. इस कार्यक्रम का हिस्सा सिंगर आशा भोंसले भी बनीं. उन्होंने लता मंगेशकर से जुड़े कई दिलचस्प बातों को इस मंच पर साझा किया. एक नज़र उस खास बातचीत पर.

गरिमा को हमेशा बरकरार रखा

ना भूतों ना भविष्य ऐसी ना मिलेगी ना होगी. गले में सरस्वती. बुद्धि में चाणक्य. बहुत बुद्धिमान लड़कीं थी. दूर दूर तक का विचार करती थी. कहां जबान खोलनी है. वो बराबर जानती थी. मुझे बोलती थी तू हमेशा बड़ बड़ करती रहती है. वो हमें डांटती और मारती थी और हम भी उसको मारते थे. वो भागने में बहुत तेज़ थी उसको पकड़ने का एक ही तरीका होता था छोटी. छोटी पकड़ में आ गयी तो वो टूट जाती थी. खेलने की बहुत शौकीन. गिल्ली डंडा बहुत पसंद था. चांदनी रात में भी हम खेलते थे. उसको काला रंग भी पसंद था पिंक भी लेकिन उसने सफेद को अपना लिया. उसको किसी ने पंजाबी शूट,पैंट शर्ट और जीन्स में नहीं देखा. उसने अपने नाम की गरिमा को हमेशा बरकरार रखा.

आई बाबा के पैर धोकर थी पीती

वो आई बाबा को बहुत प्यार करती थी. मैं आपको एक बात बता दूं शायद वो आपलोगों को सच ना लगे. मेरे पिताजी और मां सोए थे. सोलापुर शहर था. मैं छह साल की थी. दीदी मुझसे चार साल बड़ी. वो कहती कि जो माता पिता के पैर का पानी पीता है. वो बड़ा बनता है. मैन बोला क्या करना है. उसने बोला एक बर्तन में पानी लेकर आ. पानी लेकर आयी उन्होंने वो पानी मां पिताजी के पैरों में डाला और हाथों में पानी लेकर बोली पी लें. मैंने बोला तू पीएगी तो मैं भी पिऊंगी. हमने वो पी ली. आज के ज़माने में कोई ऐसा करेगा. हाथ का पानी भी नहीं पियेंगे बोलेंगे धोकर आओ. दीदी आई बाबा को बहुत प्यार करती थी.

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103 बुखार में भी की थी शूटिंग

पिताजी के गुज़र जाने के बाद वो 13 साल की उम्र में ही काम पर लग गयी. एक बार उसे 103 डिग्री बुखार था. मां ने कहा कि आज शूटिंग पर मत जा लेकिन उसने कहा कि जाना पड़ेगा. प्रोड्यूसर ने कहा कि आना होगा. उसमें वह परी बनी थी लटकते हुए गाना गाना था. उसने बुखार में वो किया. एक आर्टिस्ट को कितना कष्ट सहना पड़ता है. सोचती हूं तो बहुत दुख होता है.

रिकॉर्ड पर प्लेबैक सिंगर्स का नाम जोड़ा

सन 1940 की ये बात है. जब रिकॉर्ड के ऊपर सिंगर का नाम नहीं आता था. एक्टर का नाम आता था. मैं उसकी चमची थी साथ में जाती थी. मैंने कहा दीदी गाना तुम्हारा गाया है लेकिन नाम तुम्हारा नहीं है. उसने कहा शांत.. समय पर हर बात कहनी चाहिए. ये मेरे में नहीं था इसलिए सभी बहनें मुझे हब्ब, पहलवान,पठान इसी नाम से बुलाते थे. मेरे पिताजी और दीदी मुझे हब्ब कहकर बुलाते थे मतलब दिमाग कम. समय आया जब उसका पहला गाना हिट हुआ आएगा आएगा आनेवाला. इस गाने के साथ उसका वक़्त भी आ गया. उसने प्रोड्यूसर से कहा कि मेरा नाम मेरे रिकॉर्ड पर आना चाहिए लता मंगेशकर. और प्रोड्यूसर को मानना पड़ा. ये बात हर प्लेबैक सिंगर को मानना पड़ेगा कि आज जो वो खुद को प्लेबैक सिंगर कहकर बुलाते हैं. वो कभी भी किसी को पता नहीं होते थे.मैं भी नहीं होती अगर दीदी नहीं होती क्योंकि रिकॉर्ड पर नाम ही नहीं होता था. उस जमाने में फोटोज भी नहीं होते थे तो एक्ट्रेस का नाम चला जाता था.

फिर स्क्रीन पर लाया सिंगर्स का नाम

ये उसने सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि सभी सिंगर्स के लिए किया. इस बार भी कई प्रोड्यूसरों ने दंगा किया. वो अपने शब्दों में कहती देखिए आप नहीं सुनेंगे तो मैं गाना नहीं गाऊँगी. फिर नाम आने लगे. आजकल नाम नहीं आते हैं प्लेबैक सिंगर्स के, शायद फिर जमाना बदल गया है.

सिंगर्स को रॉयलिटी भी दिलायी

कुछ वक्त बिता ही था कि उसने कहा कि मुझे रॉयलिटी चाहिए. सभी प्रोड्यूसर एक हो गए उस जमाने के सभी रथी महारथी लोग. दीदी ने पूछा आशा तू मेरे साथ है. मैंने बोला हां दीदी. वो बोली ये लोग नहीं मानेंगे अगर हम गाना गाते रहें. मैंने बोला दीदी छोड़ देंगे. दीदी की दलील थी कि प्रोड्यूसर और म्यूजिक लेबल हजारों करोड़ो रूपये हमारे गाने से कमाते हैं और हमें 500 और एक हज़ार रुपये देते हैं. उनलोगों ने कहा कि आप हैं कौन ? आप बस एक इंस्ट्रूमेंट्स हो. गाना कोई और लिखता है. धुन कोई और बनाता है उन्होंने कहा कि मोहे पनघट पर फिर नौशाद साहब से ही गवा लीजिएगा. थोड़े समय बाद आखिर सभी मान गए.

शादी में गाने से किया था इनकार

एक शादी में हमको बुलाया गया था. विदेश में थी. आयोजक ने दीदी को एक करोड़ का आफर देते हुए कहा था कि आशा और आप साथ गाएंगी तो एक करोड़ रुपये आपको मिलेंगे. दीदी ने मुझसे बात की और फिर आयोजक को कहा कि आप एक नहीं दस करोड़ भी देंगे तो हम नहीं गाएंगी क्योंकि हम शादी में नहीं गाती हैं. वो संगीत को पूजा समझती थी.

विदेश में गाने का चलन दीदी ने किया शुरू

आज भारतीयों को पूरी दुनिया में सम्मान दिया जाता है. हमारे वक़्त में जो भी भारत से लंदन सिंगिंग का प्रोग्राम करने जाता था. वो वहां के घरों में करता था. हम नहीं जाते थे. दीदी ने कहा कि मैं लंदन प्रोग्राम करने तभी आऊंगी अगर वो रॉबर्ट अल्बर्ट हॉल में होगा. कभी किसी इंडियंस ने उसमें प्रोग्राम नहीं किया था क्योंकि वहां उनके प्रोग्राम पर प्रतिबंध था लेकिन दीदी ने किया और पूरा लंदन आ पहुंचा था. उसके बाद मैंने भी वहां शो किया. उसने तब कहा था कि सिंगर बराबरा स्ट्रिसन्द न्यूयॉर्क के जिस हॉल में गाती है. मैं भी वही गाऊँगी. वो भी हॉल किसी इंडियन को नहीं मिलता था. उसमें भी दीदी ने गाया. आज जो इंडियन सिंगर्स विदेश में शो करने जाते हैं. दीदी ने ही सबके लिए दरवाजे खोलें हैं.

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