Why Bananas are curved: केला दुनिया के सबसे पसंद किए जाने वाले फलों में से एक है. सस्ता, पौष्टिक और झटपट ऊर्जा देने वाला. सुबह-सुबह दो केले शरीर में भरपूर ताकत भर देते हैं. शाम को जिम जाने वाले अपने शरीर को एक बल्की लुक देने के लिए इसका भरपूर इस्तेमाल करते हैं. यह शरीर बनाने के साथ इलेक्ट्रोलाइट मेनटेन करने में भी हमारी सहायता करता है. कुल मिलाकर सेहत को फिट बनाए रखते हैं. लेकिन एक दिलचस्प बात यह है कि केले का आकार हमेशा घुमावदार होता है. वह ऊपर की ओर मुड़ता है, मानो सूरज को छूना चाहता हो. आखिर ऐसा क्यों?
केला आखिर टेढ़ा क्यों होता है?
गुणों की खान शानदार फल केला बनने की शुरुआत एक छोटे-से फूल से होती है. यह फल केले के फूलों से निकलकर बढ़ता है. ये फूल कली के रूप में प्स्यूडोस्टेम यानी बीच में मौजूद मजबूत तने जैसा हिस्सा से बाहर आते हैं. प्रत्येक फूल की पंखुड़ी के नीचे छोटे-छोटे केले बनने शुरू हो जाते हैं. यह गुच्छे में होता है. यह गुच्छे (बंच) में छिपे होते हैं. जब वह फल बनना शुरू होता है, तो उसकी दिशा नीचे जमीन की ओर रहती है और आकार भी लगभग सीधा होता है. लेकिन इसके बाद वह टेढ़ा होना शुरू होता है. यानी वह गुरुत्वाकर्षण के विपरीत चलने लगता है. इसमें एक वैज्ञानिक प्रक्रिया असर दिखाती है. इसे कहते हैं नेगेटिव जियोट्रोपिज्म (Negative Geotropism).

सूरज की ओर बढ़ने लगात है केला
साइंस के मुताबिक, पौधे सामान्य रूप से गुरुत्वाकर्षण की दिशा (नीचे) में नहीं बल्कि रोशनी की तरफ (ऊपर) बढ़ते हैं. इसलिए जब केला बढ़ता है, तो उसका ऊपरी हिस्सा सूर्य की ओर मुड़ने लगता है. इसी वजह से उसका आकार धीरे-धीरे घुमावदार होता जाता है. जैसे-जैसे केला का फल बढ़ता है, उसमें मौजूद सेल्स उसे सूरज की रोशनी की ओर मोड़ना शुरू करते हैं. यह एक नैचुरल प्रोसेस है, जिसकी वजह से केला धीरे-धीरे ऊपर की दिशा में बढ़ने लगता है. यह फोटो-ट्रॉपिज्म (Phototropism) के कारण होता है.
फोटो ट्रॉपिज्म वह प्रक्रिया है, जिसमें फल या फूल सूरज की रोशनी की ओर ही बढ़ना शुरू कर देता है. जैसे सूरजमुखी का फूल सूरज की ओर मुंह करके आगे बढ़ता है. उसी तरह केला भी इसी प्रोसेस से बढ़ता है. फल ऊपर की ओर छतरी जैसी वनस्पति में मौजूद रोशनी के टूटते हुए पर्दों (breaks of light) की ओर बढ़ता है और इसी वजह से केले स्वाभाविक रूप से मुड़े हुए होते हैं. यानी पहले सीधा और फिर सूरज की ओर मुड़ने की वजह से केला टेढ़ा हो जाता है.

केला सूरज की ओर क्यों झुकता है?
यह आदत केले के विकास के इतिहास से जुड़ी है. सबसे पहले केले घने वर्षावनों (रेनफॉरेस्ट) में उगे थे. वहां पेड़ों की ऊँचाई और भीड़ इतनी ज्यादा होती थी कि सूर्य की किरणें जमीन तक मुश्किल से पहुँच पाती थीं. ऐसे माहौल में हर पौधा सूर्य की तरफ बढ़ने की कोशिश करता था ताकि उसे ज्यादा रोशनी मिल सके. केले ने भी इसी चुनौती के अनुसार खुद को ढाला और धीरे-धीरे उसकी वृद्धि की दिशा रोशनी की ओर मुड़ने लगी. फल बनने पर यह मुड़ाव स्पष्ट दिखने लगता है. इस तरह, केले का टेढ़ा आकार किसी कमी की वजह से नहीं, बल्कि प्राकृतिक अनुकूलन का परिणाम है. सूरज तक पहुँचने की कोशिश में केले की वृद्धि ऊपर की ओर होती है और यही मुड़ती केले का आकार बन जाती है.
टेढ़ापन स्वाद को नहीं बदलता
केले के टेढ़े होने का उसके स्वाद पर कोई असर नहीं पड़ता. स्वाद उसकी प्रजाति, मिट्टी, मौसम और पकने की अवस्था पर निर्भर करता है आकार चाहे जैसा भी हो. केले का मुड़ा हुआ आकार उसके अंदर मौजूद पोषक तत्व और बीजों को सुरक्षित रखता है. इसे छीलना आसान होता है और यह प्रकृति की सीख भी देता है कि सीधा रास्ता ही हमेशा सही नहीं होता, टेढ़े रास्ते भी मंजिल तक पहुंचाते हैं.
अपने जीवन में केवल एक बार ही फल देता है केला
एक और बात केले का पेड़ अपने जीवन में केवल एक बार ही फल देता है. उसके बाद उसे काट दिया जाता है. हालांकि इसके बाद अलग से पेड़ लगाने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि उसी भूमिगत तने पर यह दोबारा उग जाता है और फिर से फलित होता है. सीधा उगकर उलटा होने वाला केले की यह बात भी अनोखी है.
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