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Holi Special: अबीर-गुलाल से महकता आंगन, चहुंओर रौनक…रंगों का सुरूर…ऐसी थी वो बचपन वाली होली…

Holi Special: होली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह रंगों, प्रेम और खुशी का प्रतीक है. यह दिन दोस्तों, परिवार और अपनों के बीच स्नेह और सौहार्द को बढ़ाता है. इस खास दिन को हम सब एक साथ मनाते हैं, जिससे रिश्तों में गहरी समझ और सामूहिकता का अहसास होता है. होली, जीवन में खुशी और रंग भरने का समय है.

Holi Special 2025: फाल्गुनी मौसम की बयार…अपनों का प्यार. अबीर और गुलाल से महकता आंगन…चहुंओर रौनक…सामाजिक गीत-संगीत…पापड़ और गुजिया की महक…होली मिलन समारोह… वो थी बचपन वाली होली…क्योंकि रंगों और हंसी का जादुई मिश्रण कुछ अलग ही दिखता था. होलिका दहन होते ही सड़कें उत्साह से भर जाती थीं और हवा में ताज़ी बनी मिठाइयों की खुशबू महकती थी. त्योहार के दिन बाहर निकलता तो हाथों से किसी पर भी रंग-बिरंगे गुब्बारे फेंकने के लिए तैयार रहता क्योंकि पूरा मोहल्ला खेल के मैदान में तब्दील हो जाता था. दोस्तों-पड़ोसियों पर रंग लगाने, हंसी-मजाक करने वाले चेहरों का पीछा करने और ढोलक की ताल पर नाचने की खुशी उन पलों को अविस्मरणीय बना देती है।होली सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि स्नेह, सौहार्द, दोस्ती और असीम खुशी का जश्न है जिसे मैं आपके साथ यहां साझा कर रहा हूं…

बचपन में होली पर मस्ती और रंग आज भी मेरी यादों में बसे हुए हैं. एक ऐसा समय जब हवा गीली मिट्टी और गुलाल की खुशबू से भरी होती थी. मेरे लिए यह एक ऐसा उत्सव था जो महज परंपरा से परे था और आनंद की अनुभूति तब होती थी जब सब कुछ बेफिक्र और जीवंत लगता था. जैसे ही सूरज की पहली किरण धरती को छूती तो पड़ोस जीवंत हो उठता. बच्चों के हर रंग में रंगे चेहरे…हंसते-हंसते और चिल्लाते हुए बाहर निकल आते, मुट्ठी भर रंग को मासूम शरारत के हथियार की तरह थामे हुए. हम संकरी गलियों से गुजरते हुए एक-दूसरे पर रंग डालते, हमारे आस-पास की दुनिया कैनवास में बदल जाती, हर कोना पीले, गुलाबी, हरे और नीले रंग की उत्कृष्ट कृति बन जाता और इस त्योहार की महत्वता बताता.

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सुबह की शुरुआत तैयारियों की हलचल से होती – रसोई में माता गुजिया और ने मिठाइयां बनातीं, उनकी आवाज़ गर्मजोशी से भरी होती, जबकि घर के अन्य सदस्य पानी के गुब्बारे सजाते और पानी भरी बाल्टी में रंग घोलते दिखते…लेकिन यह सिर्फ रंग ही नहीं थे जो दिन को अविस्मरणीय बनाते थे…यह भाईचारे की भावना थी.

उम्र या सामाजिक स्थिति के बीच कोई बाधा नहीं थी – हर कोई उत्सव में बराबर का भागीदार बन गया. स्थानीय बुजुर्ग, जो शायद साल के बाकी दिनों में सख्त और दूर रहने वाले थे, अचानक अपना शरारतीपना प्रकट करते थे और रंग से भरे पानी के गुब्बारे उछालते थे या बच्चों के चेहरे पर रंग लगाने के लिए उनका पीछा करते थे. हम उनकी पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए चिल्लाते थे लेकिन फिर हम रंग और स्नेह के आनंदमय आलिंगन में फंस जाते थे.

उस समय कुछ तो जादुई था… पूरी दुनिया खुशी की धुंध में लिपटी हुई महसूस होती थी. रंग हमारे कपड़ों, हमारे हाथों, हमारी त्वचा और कभी-कभी, हमारी आत्माओं को रंग देते थे जो आनंद की एक ऐसी भावना को पीछे छोड़ जाते थे जिसे किसी और चीज से नहीं पकड़ा जा सकता था. मुझे संकरी गलियों में गूंजती हुई हंसी याद है, पृष्ठभूमि में ढोलक और हारमोनियम का संगीत बज रहा था, हर कोई नाच रहा था, उनके कदम थोड़े अधिक लापरवाह, थोड़े हल्के थे. लोग अक्सर होली के बारे में कहानियां साझा करते और याद करते थे. जबकि हम मस्ती के क्षणभंगुर क्षणों के पीछे भागते रहते थे, कभी यह एहसास नहीं करते थे कि हम एक ऐसी याद को जी रहे हैं जो हमेशा हमारे साथ रहेगी.

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दोपहर तक जब दिन की ऊर्जा शांत होने लगी तो सड़कें रंग-बिरंगे चेहरों, खाली गुब्बारों और हजारों खुशनुमा पलों के अवशेषों से भर गईं. तब भी जादू बना रहा, खासकर जब हम सभी किसी के घर भोजन के लिए इकट्ठा होते, चेहरे अभी भी त्योहार की जीवंत यादों से सजे होते. वहां परिवार और दोस्तों की गर्मजोशी में, जब हम हंसी-ठिठौली और स्वादिष्ट भोजन साझा करते थे तो मुझे एहसास हुआ कि होली, अपने मूल में केवल रंगों के बारे में नहीं है. यह लोगों को एक साथ लाने, शिकायतों और बाधाओं को दूर करने और खुशी की पवित्रता का जश्न मनाने के बारे में है. समय बढ़ने के साथ-साथ इस त्योहार की महत्वता ने हमें जोड़ने का काम किया और रंगों की खुशनुमा बयार ने सबको एक साथ खुशियों में शामिल सम्मिलित किया है.

आप सभी को होली की शुभकामनाएं…मस्त रहें, स्वस्थ रहें.

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