GST Rates 2025: केंद्र सरकार के हालिया जीएसटी सुधारों से अभिभावकों और विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है. सरकार ने शिक्षा से जुड़ी कई वस्तुओं को टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया है. अब कॉपी-किताब, पेंसिल, शार्पनर, रबर, चॉक, स्लेट, ग्लोब, चार्ट और ब्लैकबोर्ड जैसे स्टेशनरी सामान पर कोई जीएसटी नहीं देना होगा. पहले इन वस्तुओं पर 5 से 12 प्रतिशत तक टैक्स लगता था, जिसकी वजह से इनकी कीमतें अधिक हो जाती थीं.
स्टेशनरी पर टैक्स हुआ शून्य
नई व्यवस्था लागू होने के बाद नोटबुक, एक्सरसाइज बुक, ग्राफ बुक, लैब नोटबुक, ड्राइंग बुक और बच्चों के रंग जैसी वस्तुएं अब टैक्स-फ्री होंगी. सरकार के इस फैसले से बच्चों की पढ़ाई पर आने वाला खर्च कम होगा. खासतौर पर छोटे बच्चों के माता-पिता को हर महीने पेंसिल और रबर जैसे सामान बार-बार खरीदने में सीधे राहत मिलेगी.
स्कूल और फीस पर असर
सरकारी स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई, परीक्षा फीस, कोचिंग व स्कॉलरशिप सेवाएं पहले ही टैक्स के दायरे से बाहर थीं. अब स्टेशनरी पर भी टैक्स खत्म होने से शिक्षा का बोझ और कम हो गया है. हालांकि प्रोफेशनल कोर्स और ऑनलाइन कोचिंग सेवाओं पर फिलहाल 18 प्रतिशत जीएसटी लागू रहेगा.
आम आदमी को सीधी राहत
नई दरों के बाद उदाहरण के तौर पर, पहले 500 रुपये का ग्लोब 12 प्रतिशत टैक्स जुड़ने पर 560 रुपये का पड़ता था. अब वही ग्लोब टैक्स-फ्री होकर करीब 446 रुपये में मिलेगा. इससे मध्यमवर्गीय और गरीब तबके के परिवारों को बच्चों की पढ़ाई का खर्च संभालने में आसानी होगी.
नई जीएसटी दरें
पहले देश में 5%, 12%, 18% और 28% के चार टैक्स स्लैब थे. अब इन्हें घटाकर सिर्फ दो स्लैब रखे गए हैं- 5% और 18%. यानी 12% और 28% वाले टैक्स पूरी तरह खत्म हो गए हैं. इससे न सिर्फ स्टेशनरी बल्कि घरेलू सामान भी सस्ता होगा.
कब से मिलेगी राहत?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी. यानी अगले महीने से किताब, कॉपी, पेंसिल जैसी वस्तुएं खरीदने के लिए अतिरिक्त टैक्स नहीं देना होगा. यह कदम गरीब बच्चों की शिक्षा को आसान बनाने और अभिभावकों का बोझ घटाने में अहम साबित होगा.
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