Indian Biosphere Reserves in UNESCO list : विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क (World Network of Biosphere Reserves) यूनेस्को की ओर से स्थापित एक वैश्विक नेटवर्क है, जिसमें दुनिया भर के उन प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्यों को शामिल किया जाता है, जहां संरक्षण और सतत विकास के बीच एक संतुलित संबंध स्थापित हो. इसे यूनेस्को के ‘मैन एंड द बायोस्फीयर प्रोग्राम’ के तहत संचालित किया जाता है. यूनेस्को ने बीते 27 सितंबर को विश्व जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र नेटवर्क में 26 नये स्थलों को शामिल किया, जिसमें भारत के हिमाचल में स्थित शीत मरुस्थल बायोस्फीयर भी है. चीन के हांग्जाऊ में आयोजित विश्व बायोस्फीयर रिजर्व कांग्रेस में यूनेस्को की ओर से की गयी घोषणा के बाद भारत में कुल 13 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हो गये हैं, जो यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क के 785 स्थलों के वैश्विक नेटवर्क में शामिल हो गये हैं.
कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व
यूनेस्को ने भारत के इस बायोस्फीयर रिजर्व को 27 सितंबर, 2025 को विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल करने की घोषणा की. यह बायोस्फीयर रिजर्व भारत के पश्चिमी हिमालय में लगभग 3,300 से 6,600 मीटर की ऊंचाई पर 7,770 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह उच्च-ऊंचाई वाला रिजर्व हिमनद घाटियों, अल्पाइन घास के मैदानों, झीलों और ऊबड़-खाबड़ उच्च-ऊंचाई वाले रेगिस्तानों को अपने में समेटे हुए है और इसे दुर्लभ वन्यजीवों जैसे हिम तेंदुआ तथा हिमालयी आइबेक्स के लिए भी जाना जाता है. वर्ष 2009 में इसे पहली बार राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था और अब यह शीत मरुस्थल वैश्विक नेटवर्क में भारत का 13वां स्थल है. इसमें पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान और उसके आसपास के क्षेत्र, चंद्रताल और सरचू एवं किब्बर वन्यजीव अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं और यह लगभग 12 हजार लोगों का घर है, जो यहां दूर-दूर बसे छोटे-छोटे गांव में रहते हैं.
नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व
इस बायोस्फीयर रिजर्व को वर्ष 2000 में यूनेस्को के संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क में शामिल किया गया था. यह रिजर्व 1986 में स्थापित हुआ था और यूनेस्को सूची में शामिल होने वाला भारत का पहला बायोस्फीयर रिजर्व है. पश्चिमी घाट क्षेत्र में स्थित यह रिजर्व में तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक राज्यों के कुछ हिस्सों को कवर करता है. यह 4 बाघ अभयारण्यों, 2 राष्ट्रीय उद्यानों और 1 वन्यजीव अभयारण्य को समेटे हुए है, जो 3 राज्यों में 5,500 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. नीलगिरि बायोस्फीयर में दुनिया में जंगली बाघों और एशियाई हाथियों की सबसे बड़ी आबादी है.
मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व
भारत के सबसे महत्वपूर्ण और जैविक रूप से समृद्ध तटीय क्षेत्रों में से एक इस रिजर्व की स्थापना भारत सरकार और तमिलनाडु सरकार की एक संयुक्त घोषणा द्वारा 18 फरवरी 1989 को हुई थी. यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व है. तमिलनाडु के तूतूकुड़ी और रामनाथपुरम जिलों के बीच फैला हुआ यह रिजर्व प्रवाल की 117 प्रजातियों, मछली की 450 से अधिक प्रजातियों (जिनमें चार समुद्री घोड़े शामिल हैं), 160 पक्षियों, क्रस्टेशियन की 641 प्रजातियों (जिनमें 38 केकड़े और दो झींगा शामिल हैं), चार समुद्री कछुओं, और 11 मैंग्रोव को आश्रय प्रदान करता है.
सुंदरबन बायोस्फीयर रिजर्व
यह रिजर्व 9630 किमी के क्षेत्र में फैला है और उत्तर में बंगाल की खाड़ी में डैम्पियर-हॉजेस रेखा, पश्चिम में हुगली नदी के पूर्व में इच्छामती-कालिंदी-रायमंगल से घिरा है. इस रिजर्व को नवंबर 2001 में यूनेस्को के मानव और बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम के तहत विश्व नेटवर्क में शामिल किया गया था. सुंदरबन दुनिया में बाघों का एकमात्र मैंग्रोव आवास है. यहां पाये जाने वाले बाघ जलीय परिस्थितियों के अनुकूल ढल गय हैं और तैरने की क्षमता रखते हैं. सुंदरबन तटीय पश्चिम बंगाल के लिए एक प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करता है, जो चक्रवातों और ज्वार की लहरों के प्रभाव को कम करके स्थानीय समुदायों की रक्षा करता है.
नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व
उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित यह बायोस्फीयर रिजर्व नंदा देवी चोटी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान को अपने मुख्य क्षेत्रों में शामिल करता है. नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान असाधारण रूप से सुंदर, उच्च-ऊंचाई वाले पश्चिमी हिमालयी परिदृश्य हैं, जिनमें उत्कृष्ट जैव विविधता है. नंदा देवी नेशनल पार्क को वर्ष 1988 में यूनेस्को द्वारा ‘विश्व धरोहर स्थल’ के रूप में अंकित किया गया था.बाद में 2005 में फूलों की घाटी को भी शामिल करके इसे ‘नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान’ नाम दिया गया.
यूनेस्को सूची में शामिल अन्य 8 बायोस्फीयर रिजर्व
मानस बायोस्फीयर रिजर्व- भारत के पूर्वोत्तर के राज्य असम में स्थित है.
पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व- यह मध्य प्रदेश के सतपुड़ा रेंज में है .
सिमलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व -ओडिशा के मयूरभंज जिले में है.
दिहांग-दिबांग बायोस्फीयर रिजर्व – अरुणाचल प्रदेश में है.
कंचनजंगा बायोस्फीयर रिजर्व- सिक्किम में स्थित है.
अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व- पश्चिमी घाट के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है और तमिलनाडु तथा केरल राज्यों में फैला हुआ है.
पन्ना बायोस्फीयर रिजर्व – मध्य प्रदेश में पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है.
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