Bihar Diwas 2025: बिहार का नाम आते ही सबसे पहले इसकी ऐतिहासिक विरासत का स्मरण होता है. यह वही भूमि है, जहां महात्मा बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और जहां भगवान महावीर ने पावापुरी में निर्वाण प्राप्त किया था. यह वही प्रदेश है, जिसने महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट को जन्म दिया, जिनकी खोजों ने गणित और खगोलशास्त्र को नई दिशा दी. आर्यभट्ट, जिनका जन्म कुसुमपुर (आधुनिक पटना) या अस्मक में माना जाता है, ने दशमलव प्रणाली में शून्य का प्रयोग कर गणित जगत में क्रांतिकारी योगदान दिया. बिहार का इतिहास अपनी समृद्ध विरासत के कारण आज भी विश्वभर में प्रसिद्ध है, और नालंदा विश्वविद्यालय इसकी गौरवशाली विरासत का एक प्रमुख उदाहरण है.
Why We Celebrate Bihar Diwas 2025: बिहार दिवस क्यों मनाया जाता है?
बिहार को राज्य का दर्जा 22 मार्च 1912 में मिला जब यह बंगाल से अलग होकर एक स्वतंत्र प्रांत बना. जब बिहार राज्य बना, तब इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी और शिक्षा और औद्योगिक विकास की ओर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जाता था और आज भी इसमें बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। हालांकि, सरकार अब अपनी कई योजनाओं से इसे बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है. आज हम पुनः 22 मार्च को बिहार दिवस मनाने जा रहे हैं जो 1912 में बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में बिहार की स्थापना की याद दिलाता है. यह वर्ष 2025 न केवल राज्य के गौरवशाली इतिहास को याद करने का अवसर है बल्कि बिहार के विकास, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और भविष्य की दिशा पर चर्चा करने का भी समय है ताकि हर बिहारी इस क्षण को गौरवान्वित कर सके.
What is the History of Bihar Diwas: बिहार का इतिहास और सांस्कृतिक विरासत
बिहार प्राचीन काल से ही भारतीय सभ्यता, शिक्षा और राजनीति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. नालंदा और विक्रमशिला जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से लेकर चाणक्य और सम्राट अशोक तक, इस धरती ने अनेक ऐतिहासिक हस्तियों को जन्म दिया है. बिहार की गौरवशाली विरासत ने सदियों से पूरी दुनिया को ज्ञान, संस्कृति और शासन की दिशा में मार्गदर्शन किया है. आधुनिक बिहार भी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को संजोए हुए है, जहां मिथिला पेंटिंग, लोकगीत, छऊ नृत्य और भोजपुरी संस्कृति इसकी सांस्कृतिक धरोहर के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं.
When Bihar Established: बंगाल और बिहार का बंटवारा कब हुआ था?
बिहार का गठन 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर हुआ था. प्रारंभिक दौर में यह राज्य पूरी तरह से कृषि पर निर्भर था, जबकि शिक्षा और उद्योग की गति धीमी थी. हालांकि, वर्तमान में बिहार सरकार द्वारा व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए बिहार लघु उद्यमी योजना, जीविका जैसी गरीबी उन्मूलन योजनाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, जिससे राज्य की स्थिति में सुधार हो रहा है.
बिहार स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र रहा है, जहां चंपारण सत्याग्रह (1917) जैसी ऐतिहासिक घटनाओं ने इसे राष्ट्रीय आंदोलन की धुरी बना दिया. हाल के दिनों में प्रशांत किशोर द्वारा शुरू की गई जन सुराज यात्रा भी बिहार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से जारी है.
आजादी के बाद हरित क्रांति, सिंचाई परियोजनाओं और बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयास हुए, लेकिन औद्योगीकरण की धीमी गति और बढ़ती बेरोजगारी राज्य के लिए चुनौती बनी रही. इसी कारण बड़े स्तर पर चीनी मिलें और मोकामा की बाटा फैक्ट्री जैसी औद्योगिक इकाइयां बंद हो गईं.
1970 से 2000 का दौर बिहार के लिए राजनीतिक अस्थिरता, जातीय संघर्ष और बड़े पैमाने पर पलायन का गवाह बना. हालांकि, इसी अवधि में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति आंदोलन (1974) और मंडल आयोग (1990) के प्रभाव से सामाजिक न्याय को बल मिला. बावजूद इसके, आर्थिक विकास की गति धीमी रही, जिससे बिहार पिछड़ता चला गया.
2000 में झारखंड के अलग होने के बाद बिहार के सामने नई चुनौतियां उत्पन्न हुईं, जिनमें कानून-व्यवस्था की गिरती स्थिति प्रमुख थी. हालांकि, सरकार में बदलाव के बाद कानून-व्यवस्था में सुधार, सड़क निर्माण और शिक्षा के विस्तार की दिशा में ठोस कदम उठाए गए.
हाल के वर्षों में बिहार स्टार्टअप्स, डिजिटल टेक्नोलॉजी और उद्योगों को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है. हालांकि, बेरोजगारी, बाढ़ और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता अब भी बनी हुई है. बिहार दिवस 2025 हमारे लिए यह संकल्प लेने का अवसर है कि हम अपने गौरवशाली इतिहास से सीखते हुए इसे शिक्षा, उद्योग और नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित करें और बिहार को हर क्षेत्र में आगे ले जाएं.
What is The Theme of Bihar Diwas 2025: बिहार दिवस 2025 का थीम क्या है?
इस वर्ष बिहार दिवस की थीम ‘उन्नत बिहार, विकसित बिहार’ तय की गई है. इस थीम के तहत बिहार के विभिन्न शहरों जैसे पटना, गया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. सरकारी स्तर पर भी प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने की पहल देखने को मिलेगी, ताकि यहां के लोग अपने बिहार की सांस्कृतिक विरासत को जान सकें.
बिहार की नई पीढ़ी शिक्षा, तकनीक और उद्यमिता में आगे बढ़ रही है. सरकार बिहार को स्टार्टअप हब के रूप में विकसित करने के लिए भी अनेक योजनाओं पर काम कर रही है, ताकि युवाओं को रोजगार और अवसर मिल सकें. इस वर्ष बिहार दिवस 2025 सिर्फ उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि अपने इतिहास से सीखने और भविष्य के लिए नई दिशा तय करने का अवसर भी है.