Bihar Chunav GK: बिहार की राजनीति में दीप नारायण सिंह का नाम हमेशा याद रखा जाएगा. 25 नवंबर 1894 को बिहार के पुरंतंड गांव में जन्मे दीप नारायण सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. गांधीजी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के बाद उन्होंने स्कूल इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ दी और राजनीति में कदम रखा.
राजनीतिक जीवन और बिहार में योगदान
1952 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर महनार निर्वाचन क्षेत्र से वे बिहार विधानसभा के सदस्य बने. इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल में बिजली और सिंचाई मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्हें राजेंद्र बाबू, अनुग्रह बाबू और श्रीकृष्ण सिंह जैसे नेताओं के साथ काम करने का गौरव प्राप्त था.
17 दिन का मुख्यमंत्री पद
31 जनवरी 1961 को बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह (श्री बाबू) की मृत्यु के बाद राज्य में नेतृत्व संकट उत्पन्न हुआ. उस समय गवर्नर डॉ. जाकिर हुसैन ने 1 फरवरी 1961 को दीप नारायण सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त किया. उनका काम केवल अस्थायी सरकार चलाना था, जब तक कि नया नेता चुना जाता. उनका कार्यकाल 18 फरवरी 1961 तक रहा, यानी कुल 17 दिन.
क्यों केवल 17 दिन?
दीप नारायण सिंह मूल रूप से स्थायी मुख्यमंत्री नहीं थे. उनका कार्यकाल अस्थायी था, ताकि राज्य की व्यवस्था बनी रहे. कांग्रेस पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष के कारण और नए नेता के चयन तक उन्होंने जिम्मेदारी संभाली. 18 फरवरी 1961 को विनोदानंद झा को नया मुख्यमंत्री चुना गया, जिसके बाद दीप नारायण सिंह ने पद छोड़ दिया.
विरासत और सम्मान
1979 में हाजीपुर में दीप नारायण सिंह के सम्मान में संग्रहालय बनाया गया, जो उनके योगदान और विरासत को आज भी जीवित रखता है. उनके संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण कार्यकाल ने बिहार की राजनीति में स्थायी छाप छोड़ी.
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