Bihar Best College in Hindi: बिहार में इंजीनियरिंग की बात हो और आईआईटी पटना या एनआईटी पटना का जिक्र न हो, ऐसा मुश्किल है. लेकिन अब इन दोनों के अलावा एक और नाम तेजी से उभर कर सामने आ रहा है—बख्तियारपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (BCE), पटना.
पटना जिले के बख्तियारपुर अनुमंडल के देदौर गांव, चंपापुर में स्थित यह सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज साल 2016 में स्थापित हुआ था. शुरुआती दौर में गुमनामी में रहा यह संस्थान अब प्लेसमेंट के मामले में बड़ी-बड़ी संस्थाओं को चुनौती देने लगा है.
Bihar Best College: बीसीई पटना में संचालित प्रमुख बीटेक पाठ्यक्रम
कॉलेज में कुल छह प्रमुख बीटेक शाखाएं उपलब्ध हैं:
- सिविल इंजीनियरिंग (90 सीटें)
- कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- कंप्यूटर साइंस (IoT स्पेशलाइजेशन सहित)
- फायर टेक्नोलॉजी एंड सेफ्टी (30 सीटें)
इनमें से प्रत्येक कोर्स में 60 सीटें सामान्य प्रवेश के लिए हैं. छात्रों का चयन जेईई-मेन के जरिए होता है, जिससे गुणवत्ता सुनिश्चित होती है. इसके अलावा लेटरल एंट्री और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शुल्क में छूट की भी व्यवस्था है.
Bakhtiyarpur College of Engineering in Hindi: प्लेसमेंट में लगातार सुधार, टॉप कंपनियां कर रही हैं कैंपस विजिट
बीते कुछ वर्षों में कॉलेज का प्लेसमेंट ग्राफ उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है. कॉलेज द्वारा जारी प्लेसमेंट ब्रोशर के अनुसार, हर साल 50% से 70% छात्रों का चयन नामी कंपनियों में होता है.
- औसतन पैकेज: 3.5 लाख प्रतिवर्ष
- सबसे अधिक पैकेज: 11 लाख प्रतिवर्ष तक
- डेलॉइट, एक्सेंचर, इंफोसिस, आईटीसी, टीसीएस, कैपजेमिनी और पैनासोनिक जैसी दिग्गज कंपनियां कॉलेज में प्लेसमेंट के लिए आ रही हैं.
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शांभवी शंकर: बख्तियारपुर से गूगल तक का सफर
कॉलेज की पूर्व छात्रा शांभवी शंकर की कहानी छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने वाली शांभवी ने गेट में ऑल इंडिया रैंक 291 हासिल कर आईआईटी गुवाहाटी से मास्टर्स किया. इसके बाद उन्होंने ऑरेकल में करियर की शुरुआत की और आज वे गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर-II के रूप में कार्यरत हैं.
डेटा स्ट्रक्चर, जावास्क्रिप्ट, रिएक्ट जेएस और नोड जेएस में माहिर शांभवी की उपलब्धि साबित करती है कि सीमित संसाधन भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकते.
राधा गुप्ता: छोटे कॉलेज से निकलीं और माइक्रोसॉफ्ट तक पहुंचीं
एक और प्रेरणादायक नाम है राधा गुप्ता, जिन्होंने बीसीई पटना से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. जेमिनिड और थॉटवर्क्स जैसी कंपनियों में अनुभव के बाद वे कई बार असफल हुईं, लेकिन हार नहीं मानी.
आज वे माइक्रोसॉफ्ट के हैदराबाद ऑफिस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं. पायथन, जावा और रिएक्ट में पारंगत राधा नए छात्रों को डीएसए की मजबूत पकड़, मॉक इंटरव्यू और लगातार अभ्यास की सलाह देती हैं.