Rooh Afza Sharbat: गर्मी के मौसम में जब प्यास हद से बढ़ जाती है और शरीर शीतलता की मांग करता है, तब लोगों के जेहन में सबसे पहला नाम “रूह अफजा” (Rooh Afza) का आता है. योग गुरु बाबा रामदेव की ‘शरबत जिहाद’ वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग सोशल मीडिया पर ही रूह अफजा का नाम रखने वाले को लेकर भी सवाल पूछ रहे हैं. यह गुलाबी रंग का मीठा और ठंडक देने वाला शरबत भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में बेहद लोकप्रिय है. लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि इस शरबत का नाम किसने रखा और इसके पीछे का इतिहास क्या है?
रूह अफजा का ऐसे हुआ नामकरण
हमदर्द इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, गर्मी में शरबतों के बादशाह “रूह अफजा” का नाम हकीम हाफिज अब्दुल मजीद (Hakeem Hafiz Abdul Majeed) के बेटे हकीम अब्दुल हमीद ने रखा था. हकीम अब्दुल मजीद ने 1906 में दिल्ली के लाल कुंआ इलाके में हमदर्द दवाखाना की स्थापना की थी. उस समय गर्मी और लू से लोगों को राहत देने के लिए उन्होंने एक खास यूनानी फार्मूले पर आधारित एक शरबत तैयार किया, जिसे बाद में “रूह अफजा” नाम दिया गया.
क्या है रूह अफजा का अर्थ
“रूह अफजा” का अर्थ ‘रूह को ताजगी देने वाला’ होता है. फारसी में “रूह” का अर्थ आत्मा होता है और “अफजा” का अर्थ बढ़ाने वाला या ताजगी देने वाला है. इस नाम का सुझाव एक मशहूर फारसी और उर्दू के कवि “नजीर अहमद” ने दिया था, जो हकीम साहब के करीबी मित्रों में से एक थे. नजीर अहमद को फारसी भाषा की अच्छी समझ थी और उन्होंने यह नाम इसलिए सुझाया, ताकि यह न केवल उत्पाद की प्रकृति को दर्शाए, बल्कि एक गहराई और शायराना अंदाज भी प्रदान करे.
रूह अफजा की खासियत
रूह अफजा में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां, फूल, फल और ठंडक देने वाले तत्व शामिल होते हैं. इनमें चंदन, केवड़ा, गुलाब जल, खरबूजे के बीज, नींबू और पुदीना आदि शामिल होते हैं. इसे दूध, पानी या आइसक्रीम के साथ मिलाकर पिया जा सकता है. गर्मियों में शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने और लू से राहत देने के लिए इसे बेहद फायदेमंद माना जाता है.
रूह अफजा की विरासत और विस्तार
हकीम अब्दुल मजीद के इंतकाल के बाद उनके बेटों ने हमदर्द की विरासत को आगे बढ़ाया. 1947 के बंटवारे के बाद हमदर्द दो हिस्सों में बंट गया, एक भारत में रहा और दूसरा पाकिस्तान में चला गया. पाकिस्तान में इसके संस्थापक हकीम मोहम्मद सईद बने, जबकि भारत में हकीम अब्दुल हमीद ने इसे एक ट्रस्ट में तब्दील कर दिया. आज “रूह अफजा” सिर्फ एक शरबत नहीं, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बन चुका है. रमजान, गर्मी की छुट्टियां, मेहमानों की मेजबानी हर अवसर पर इसका इस्तेमाल एक परंपरा बन चुका है.
इसे भी पढ़ें: कोई नहीं जानता रेमंड के लिए ऐतिहासिक गेमचेंजर कैसे बना किंग्स कॉर्नर?
रूह अफजा को कौन कंपनी बनाती है
रूह अफजा को भारत की एफएमसीजी और हेल्थकेयर सेक्टर की प्रमुख कंपनी हमदर्द लैबोरेटरीज इंडिया बनाती है. हमदर्द लैबोरेटरीज इंडिया ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,843 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध लाभ अर्जित किया, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 के 1,707 करोड़ रुपये से 7.9% अधिक है. पूरे साल की राजस्व वृद्धि 10.1% रही. कंपनी कॉस्मेटिक्स और वेलनेस सेंटर जैसे नए सेगमेंट की खोज करते हुए अपने पोर्टफोलियो में सक्रिय रूप से विविधता ला रही है.
इसे भी पढ़ें: एमएस धोनी और अभिषेक बच्चन को लाखों रुपये क्यों देता है एसबीआई? कारण जान चौंक जाएंगे आप
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

