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ट्रंप की दादागिरी! गोदाम से निकलते भारतीय सामानों पर लगेगा टैरिफ

Tariff Hike: अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाकर कुल टैरिफ 50% कर दिया है, जिससे भारत को 48 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है. यह फैसला रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भारत के रुख से जोड़ा जा रहा है. नए शुल्क से वस्त्र, परिधान, रत्न-आभूषण, झींगा, चमड़ा और मशीनरी जैसे निर्यात प्रभावित होंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ाएगा और भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता कमजोर करेगा.

Tariff Hike: अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने का बड़ा कदम उठाया है. यह आदेश 27 अगस्त 2025 से लागू होगा. अमेरिकी गृह मंत्रालय के मसौदा आदेश के अनुसार, यह शुल्क उन भारतीय उत्पादों पर लागू होगा, जिन्हें उस तारीख को या उसके बाद अमेरिकी बाजार में उपभोग के लिए लाया जाएगा या गोदाम से निकाला जाएगा. हालांकि 17 सितंबर 2025 तक कुछ विशेष शर्तों के तहत आयातकों को छूट दी गई है.

पहले से लागू शुल्क और नया प्रावधान

भारतीय सामानों पर पहले से ही 25% शुल्क लागू है. अब अतिरिक्त 25% शुल्क लगाने का मतलब है कि भारतीय उत्पादों पर कुल 50% टैरिफ देना होगा. यह निर्णय रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने को लेकर भारत के रुख से जुड़ा माना जा रहा है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत की नीतियां अमेरिका के हितों के खिलाफ जा रही हैं.

कौन-कौन सेक्टर्स होंगे प्रभावित

अमेरिका के इस अतिरिक्त शुल्क का असर भारत के निर्यात क्षेत्र पर व्यापक रूप से दिखाई देगा. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले 48.2 अरब डॉलर मूल्य के सामान इस टैरिफ की चपेट में आएंगे. इनमें वस्त्र, परिधान, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा, जूते-चप्पल, पशु उत्पाद, रसायन और विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी प्रमुख रूप से शामिल हैं. हालांकि, दवा उद्योग, ऊर्जा उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे कुछ क्षेत्रों को इस शुल्क से बाहर रखा गया है.

बांग्लादेश समेत इन देशों को होगा फायदा

नए शुल्क के बाद भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति अमेरिकी बाजार में कमजोर हो जाएगी. म्यांमार पर 40%, थाइलैंड और कंबोडिया पर 36%, बांग्लादेश पर 35%, इंडोनेशिया पर 32%, चीन और श्रीलंका पर 30%, मलेशिया पर 25% तथा फिलीपीन और वियतनाम पर 20% अमेरिकी शुल्क लागू है. इनके मुकाबले भारत पर 50% शुल्क इसे अपने प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ा देगा.

अमेरिका का आरोप और भारत का जवाब

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने आरोप लगाया है कि भारत रूसी तेल को दोबारा बेचकर मुनाफाखोरी कर रहा है. वहीं, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह फैसला रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के दबाव के तहत लिया है. भारत ने 6 अगस्त को अमेरिकी कदम को अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया था. भारत का कहना है कि उसकी नीतियां स्वतंत्र हैं और किसी तीसरे देश के दबाव में नहीं बनाई जातीं.

भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर असर

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध लंबे समय से मजबूत रहे हैं. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है. लेकिन, इस नए शुल्क के कारण भारत के निर्यातकों को भारी नुकसान होगा. खासकर, छोटे और मध्यम उद्योगों के सामने ऑर्डर घटने और लागत बढ़ने की चुनौती खड़ी होगी. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह कदम भारत-अमेरिका आर्थिक साझेदारी में तनाव बढ़ा सकता है.

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भारत-अमेरिकी संबंधों को भी लगेगा झटका

अमेरिका की ओर से लगाए गए इस 50% आयात शुल्क से भारत को 48 अरब डॉलर तक का नुकसान होने का अनुमान है. यह केवल निर्यात क्षेत्र ही नहीं, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों के लिए भी झटका साबित होगा. अब सबकी नजर भारत सरकार की रणनीति पर है, जो इस संकट का समाधान निकालने के लिए कूटनीतिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर कदम उठा सकती है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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