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ट्रेड वार के बीच RBI का नया Export Relief Package, दे रहा है एक्स्पोर्टर्स को सांस लेने की मोहलत

RBI's New Export Relief Package: वैश्विक व्यापार में तनाव लगातार बढ़ रहा है और भारतीय निर्यातक कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इसी स्थिति को देखते हुए RBI ने एक बड़ा राहत पैकेज जारी किया है. इस पैकेज में निर्यातकों को लोन की किस्तें कुछ समय तक टालने की सुविधा मिलेगी और उन पर साधारण ब्याज लगाया जाएगा. इसके साथ ही एक्सपोर्ट पेमेंट हासिल करने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया जाएगा. इससे कंपनियों को अपने कैश फ्लो सुधारने में मदद मिलेगी. हालांकि, बैंकों के लिए यह स्थिति कठिन हो सकती है क्योंकि उन्हें ग्राहकों की वास्तविक वित्तीय स्थिति समझने में परेशानी होगी. फिर भी, यह कदम मौजूदा समय में जरूरी और महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

RBI’s New Export Relief Package: दुनिया में व्यापार को लेकर तनाव एक बार फिर बढ़ रहा है. खासकर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां कब बदल जाएं, कोई भरोसा नहीं है. कई भारतीय एक्सपोर्टर्स को अपने विदेश खरीदारों से ऑर्डर रुकने, पेमेंट में देरी और शिपमेंट रोकने जैसी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं. ऐसे समय में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का राहत पैकेज उनके लिए एक मजबूत ढाल की तरह आया है.

राहत पैकेज में क्या है खास?


RBI ने सितंबर से दिसंबर 2025 तक टर्म लोन की किस्तों पर रोक की सुविधा दी है. ब्याज केवल सिंपल इंटरेस्ट के आधार पर लगेगा. इसके साथ ही एक्सपोर्ट पेमेंट हासिल करने के लिए ज्यादा समय और क्रेडिट सुविधाओं की अवधि भी बढ़ा दी गई है. सरकार के क्रेडिट गारंटी स्कीम जुड़ने से कंपनियों पर तुरंत कैश फ्लो का दबाव कम होता है. इससे निर्यातक बिना डिफॉल्ट के अपने बिजनेस को मुश्किल समय में भी संभाल पाएंगे.


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लेकिन बैंकों की चिंता क्या है?


अगर बहुत सारे एक्सपोर्टर राहत लेते हैं, तो बैंकों को यह पता लगाना मुश्किल हो सकता है कि कौन से ग्राहक वाकई परेशानी में हैं और कौन नहीं. अभी तो इन खातों को ‘रिस्ट्रक्चर्ड’ नहीं माना जाएगा, लेकिन आगे जाकर कहीं ये लोन डूबे हुए न निकलें, यह डर बना रहने वाला है. इसके ऊपर बैंकों को इन खातों के लिए 5% अतिरिक्त राशि अलग रखनी होगी, जिससे उनकी कमाई पर असर पड़ेगा.

आगे क्या चुनौतियां रहेंगी?


कई बार कंपनियां भविष्य की चिंता में राहत ले लेती हैं, भले ही अभी उन्हें जरूरत न होती है. अगर ऐसा ज्यादा हुआ तो बैंकों की क्रेडिट संस्कृति बिगड़ सकती है और नए एक्सपोर्ट लोन देना मुश्किल हो सकता है. साथ ही, सरकारी बैंकों को पूरे सिस्टम और डेटा ट्रैकिंग में भी काफी मेहनत करनी होगी.

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Soumya Shahdeo
Soumya Shahdeo
सौम्या शाहदेव ने बैचलर ऑफ़ आर्ट्स इन इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएट किया है और वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिज़नेस सेक्शन में कॉन्टेंट राइटर के रूप में कार्यरत हैं. इसके अलावा, वह एक बुक रिव्यूअर भी हैं और नई बुक्स व ऑथर्स को एक्सप्लोर करना पसंद करती हैं. खाली समय में उन्हें नोवेल्स पढ़ना और ऐसी कहानियों से जुड़ना अच्छा लगता है जो लोगों को प्रेरित करती है.

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