RBI’s New Export Relief Package: दुनिया में व्यापार को लेकर तनाव एक बार फिर बढ़ रहा है. खासकर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां कब बदल जाएं, कोई भरोसा नहीं है. कई भारतीय एक्सपोर्टर्स को अपने विदेश खरीदारों से ऑर्डर रुकने, पेमेंट में देरी और शिपमेंट रोकने जैसी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं. ऐसे समय में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का राहत पैकेज उनके लिए एक मजबूत ढाल की तरह आया है.
राहत पैकेज में क्या है खास?
RBI ने सितंबर से दिसंबर 2025 तक टर्म लोन की किस्तों पर रोक की सुविधा दी है. ब्याज केवल सिंपल इंटरेस्ट के आधार पर लगेगा. इसके साथ ही एक्सपोर्ट पेमेंट हासिल करने के लिए ज्यादा समय और क्रेडिट सुविधाओं की अवधि भी बढ़ा दी गई है. सरकार के क्रेडिट गारंटी स्कीम जुड़ने से कंपनियों पर तुरंत कैश फ्लो का दबाव कम होता है. इससे निर्यातक बिना डिफॉल्ट के अपने बिजनेस को मुश्किल समय में भी संभाल पाएंगे.
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लेकिन बैंकों की चिंता क्या है?
अगर बहुत सारे एक्सपोर्टर राहत लेते हैं, तो बैंकों को यह पता लगाना मुश्किल हो सकता है कि कौन से ग्राहक वाकई परेशानी में हैं और कौन नहीं. अभी तो इन खातों को ‘रिस्ट्रक्चर्ड’ नहीं माना जाएगा, लेकिन आगे जाकर कहीं ये लोन डूबे हुए न निकलें, यह डर बना रहने वाला है. इसके ऊपर बैंकों को इन खातों के लिए 5% अतिरिक्त राशि अलग रखनी होगी, जिससे उनकी कमाई पर असर पड़ेगा.
आगे क्या चुनौतियां रहेंगी?
कई बार कंपनियां भविष्य की चिंता में राहत ले लेती हैं, भले ही अभी उन्हें जरूरत न होती है. अगर ऐसा ज्यादा हुआ तो बैंकों की क्रेडिट संस्कृति बिगड़ सकती है और नए एक्सपोर्ट लोन देना मुश्किल हो सकता है. साथ ही, सरकारी बैंकों को पूरे सिस्टम और डेटा ट्रैकिंग में भी काफी मेहनत करनी होगी.
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