Mutual Fund Withdrawal: निवेशक बॉन्ड आधारित म्यूचुअल फंड से धीरे-धीरे किनारा करते दिखाई दे रहे हैं. सितंबर 2025 में निश्चित आय वाले बॉन्ड आधारित म्यूचुअल फंड्स से भारी निकासी देखने को मिली. म्यूचुअल फंड उद्योग के संगठन एएमएफआई (एम्फी) के अनुसार, इस महीने निवेशकों ने कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की गई. अगस्त में जहां 7,980 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी, वहीं जुलाई में 1.07 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया था.
संस्थागत निवेशकों की निकासी बनी प्रमुख वजह
विश्लेषकों का कहना है कि यह निकासी मुख्य रूप से संस्थागत निवेशकों की नकदी जरूरतों और अग्रिम कर भुगतान से जुड़ी रही. मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया की विश्लेषक नेहाल मेश्रराम ने बताया कि सितंबर तिमाही के अंत में कंपनियां और संस्थान अपने वित्तीय खातों को संतुलित करने के लिए धन निकालते हैं, जिससे बॉन्ड फंड्स से अस्थायी रूप से पूंजी का बहिर्वाह होता है.
लिक्विड और मनी मार्केट फंड्स पर सबसे ज्यादा असर
एम्फी के आंकड़ों के अनुसार, लोन या बॉन्ड फंड्स की 16 में से 12 श्रेणियों में शुद्ध निकासी दर्ज की गई. इनमें लिक्विड फंड्स से करीब 66,042 करोड़ रुपये और मनी मार्केट फंड्स से 17,900 करोड़ रुपये की निकासी की गई. बेहद कम अवधि वाले फंड्स से 13,606 करोड़ रुपये का आउटफ्लो दर्ज किया गया. इससे स्पष्ट है कि अल्पकालिक और लिक्विड कैटेगरी में निवेशकों ने सर्वाधिक निकासी की, जिससे बाजार में नकदी पर भी असर पड़ा.
इक्विटी फंड्स में बनी रौनक
बड़े पैमाने पर निकासी के चलते लोन आधारित फंड योजनाओं की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) घटकर सितंबर अंत तक 17.8 लाख करोड़ रुपये रह गईं, जबकि अगस्त में यह 18.71 लाख करोड़ रुपये थी. हालांकि, इसी अवधि में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों ने भरोसा बनाए रखा. सितंबर में इक्विटी योजनाओं में 30,421 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ, जो अगस्त के 33,430 करोड़ रुपये से करीब 9% कम रहा.
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अस्थायी है बॉन्ड फंड्स से निकासी
सितंबर महीने में बॉन्ड फंड्स से हुई यह बड़ी निकासी अस्थायी मानी जा रही है. विश्लेषकों का अनुमान है कि त्योहारी सीजन और सरकारी बांड यील्ड्स में स्थिरता के साथ आने वाले महीनों में निवेशक फिर से फिक्स्ड इनकम योजनाओं की ओर लौट सकते हैं.
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