Repo Rate:भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को मौद्रिक नीति समिति (MPC) के फैसले की घोषणा करते हुए बताया कि रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है. इसके साथ ही नई रेपो रेट 5.25% हो गई है, जो तुरंत प्रभाव से लागू होगी. RBI का मानना है कि यह कदम कर्ज को सस्ता बनाकर बाजार में मांग बढ़ाएगा और आर्थिक गतिविधियों को गति देगा.
रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक देश के बैंकों को कर्ज प्रदान करता है. जब RBI रेपो रेट बढ़ा देता है, तो बैंकों को ऊंची ब्याज दर पर पैसा मिलता है, जिसके कारण वे अपने ग्राहकों को भी महंगे लोन देने लगते हैं. इसके विपरीत, जब रेपो रेट घटता है तो बैंकों को सस्ती दर पर कर्ज मिलता है और वे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन सहित सभी तरह के लोन की ब्याज दरें कम कर देते हैं. रेपो रेट कम होने पर EMI भी घट जाती है और कर्ज लेना थोड़ा आसान हो जाता है.
RBI रेपो रेट कब और क्यों घटाता है?
जब अर्थव्यवस्था धीमी होती है, निवेश कम हो जाता है या महंगाई नियंत्रण में रहती है, तब RBI रेपो रेट में कटौती करता है. इसका उद्देश्य बैंकों को सस्ते ब्याज पर लोन उपलब्ध कराना होता है, जिससे बैंक भी ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देना शुरू करते हैं. इसका असर यह होता है कि होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन जैसे कर्ज लेना आसान और सस्ता हो जाता है. लोग अधिक खर्च और निवेश करने लगते हैं, जिससे बाजार में मांग बढ़ती है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है.
RBI रेपो रेट कब और क्यों बढ़ाता है?
जब महंगाई बढ़ती है और बाजार में जरूरत से ज्यादा नकदी उपलब्ध होती है, तब RBI रेपो रेट बढ़ाता है. इसके कारण बैंकों को RBI से महंगे ब्याज पर पैसा मिलता है और वे ग्राहकों को भी महंगे लोन देना शुरू करते हैं. लोन महंगा होने से लोग कम खर्च और कम उधारी लेते हैं. परिणामस्वरूप बाजार में नकदी का प्रवाह कम हो जाता है और महंगाई पर नियंत्रण पाया जाता है.
वित्त वर्ष 2025-26 में MPC की मीटिंग का शेड्यूल
| मीटिंग क्रमांक | तिथि |
|---|---|
| पहली | 7-9 अप्रैल 2025 |
| दूसरी | 4-6 जून 2025 |
| तीसरी | 5-7 अगस्त 2025 |
| चौथी | 29 सितंबर – 1 अक्टूबर 2025 |
| पांचवीं | 3-5 दिसंबर 2025 |
| छठी | 4-6 फरवरी 2026 |
डॉ. वी.के. विजयकुमार, चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड ने कहा कि “एमपीसी ने मजबूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद ग्रोथ को प्राथमिकता देते हुए 25 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती के पक्ष में मतदान किया है. रेपो रेट घटाने के फैसले में सर्वसम्मति यह दर्शाती है कि रुपये में गिरावट के बावजूद ग्रोथ को और बढ़ावा देना एक स्वीकार्य जोखिम माना गया है.
F.Y. 2026 के लिए 7.3% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बाज़ार के लिए सकारात्मक संकेत है. बैंक इस नीति का स्वागत करेंगे, लेकिन दरों में कटौती से उनके NIM पर दबाव बढ़ेगा और जमा दरों में कमी करने पर डिपॉजिट जुटाने में चुनौती आ सकती है, इसलिए वे बहुत उत्साह नहीं दिखाएंगे. हालांकि, ऑटो और रियल एस्टेट जैसे रेट-सेंसिटिव सेक्टरों को इस कटौती से स्पष्ट लाभ मिलने की संभावना है.”
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