Repo Rate: आने वाले दिनों में देश में महंगाई में गिरावट आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो रेट में कटौती कर सकता है. क्रिसिल इंटेलिजेंस की ओर से अक्टूबर 2025 के लिए जारी रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मौजूदा अनुकूल मुद्रास्फीति स्थिति के मद्देनजर नीतिगत दर में कटौती कर सकती है. एमपीसी ने अपनी 1 अक्टूबर 2025 की समीक्षा बैठक में रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा और तटस्थ रुख अपनाया. रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति इस वित्त वर्ष में घटकर 3.2% रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष के 4.6% की तुलना में कम है.
महंगाई पर अनुकूल स्थिति
मौद्रिक नीति समिति के लिए यह अनुकूल मुद्रास्फीति दर कटौती की संभावना को बढ़ा सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम मुद्रास्फीति स्तर निवेश और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश देती है. इस कदम से आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा और बाजार में नकदी बढ़ेगी.
राजकोषीय स्थिति और उधारी
क्रिसिल की रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष में सरकार की राजकोषीय स्थिति का भी जिक्र किया गया है. केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटे को पिछले वित्त वर्ष के 4.8% से घटाकर 4.4% तक लाने का लक्ष्य रखा है. वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकार ने 8 लाख करोड़ रुपये उधार लिए, जबकि दूसरी छमाही में बाजार से 6.77 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की योजना है. कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष में सकल बाजार उधारी 5% बढ़कर 14.7 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
कच्चे तेल की कीमतों का असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 62 से 67 डॉलर प्रति बैरल रहने की संभावना है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 78.8 डॉलर प्रति बैरल थी. कम तेल कीमतें मुद्रास्फीति पर सकारात्मक असर डाल सकती हैं और रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश बढ़ा सकती हैं.
चालू खाते का घाटा
क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में चालू खाते का घाटा (कैड) सकल घरेलू उत्पाद के 1% के संतोषजनक स्तर पर रहेगा. यह पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में कैड के 0.6% रहने की तुलना में थोड़ा अधिक है, लेकिन अभी भी आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिहाज से सुरक्षित स्तर पर है.
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आरबीआई के कदम से अर्थव्यवस्था होगी स्थिर
कम मुद्रास्फीति, नियंत्रित राजकोषीय घाटा, और कच्चे तेल की तुलनात्मक रूप से कम कीमतें आरबीआई के लिए रेपो रेट में कटौती का अवसर पैदा कर रही हैं. क्रिसिल का मानना है कि यह कदम निवेश, उपभोग और आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने में सहायक होगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर और विकासशील बनेगी.
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