PSU Bank Merger: भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग सेक्टर में अगले कुछ वर्षों में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. केंद्र सरकार कथित तौर पर पिछले पांच वर्षों की सबसे बड़ी बैंकिंग संरचनात्मक सुधार योजना पर मंथन कर रही है, जिसके तहत कुछ छोटे सरकारी बैंकों (PSBs) को बड़े और मजबूत बैंकों में विलय किया जा सकता है. Moneycontrol की एक रिपोर्ट, सरकारी सूत्रों के हवाले से, संकेत देती है कि इस समय अंदरूनी स्तर पर कई विकल्पों पर विचार चल रहा है, हालांकि सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है.
किन बैंकों के विलय पर हो रही है चर्चा?
रिपोर्ट के मुताबिक, संभावित रूप से जिन छोटे सरकारी बैंकों को विलय के लिए चुना जा सकता है, उनमें शामिल हैं.
- इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB)
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI)
- बैंक ऑफ इंडिया (BOI)
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM)
जबकि जिन बड़े बैंकों के साथ इनके विलय की संभावना जताई जा रही है, वे हैं:
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)
- पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
- बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB)
अहम बात यह है कि ये सभी नाम फिलहाल प्रस्तावों के स्तर पर हैं और आधिकारिक पुष्टि शेष है.
सरकार को फिर PSB मर्जर की जरूरत क्यों महसूस हो रही है?
- कम लेकिन मजबूत सरकारी बैंक बनाना
- बड़े पैमाने पर कर्ज देने में सक्षम बैंक तैयार करना
- बैलेंस शीट को मजबूत करना
- ऑपरेशनल लागत और प्रशासकीय दोहराव घटाना
- निजी बैंकों और तेजी से बढ़ते फिनटेक सेक्टर से बेहतर मुकाबला करना
- इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग जैसी हाई-वैल्यू परियोजनाओं को वित्तीय समर्थन देना
यह कदम सरकार की व्यापक बैंकिंग सुधार नीति और NITI Aayog की सिफारिशों के अनुरूप है.
कब तक तैयार हो सकता है मर्जर रोडमैप?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस विषय पर वित्त वर्ष 2026-27 (FY27) तक आंतरिक चर्चा जारी रख सकती है. लक्ष्य इसी अवधि में एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करने का है. इसके बाद ही कोई औपचारिक जानकारी सार्वजनिक की जाएगी.
पहले हुए PSB मर्जर
2017 से 2020 के बीच सरकार ने बड़े स्तर पर बैंक विलय किए, जिससे सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 रह गई. प्रमुख विलय इस प्रकार थे.
- ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का PNB में विलय
- सिंडिकेट बैंक का कैनरा बैंक में विलय
- आंध्र बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक में विलय
- इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय
- इनका उद्देश्य एसेट क्वालिटी सुधारना, बेहतर गवर्नेंस और स्केल एफिशिएंसी हासिल करना था.
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