Property Registry Rules: अगर आप अपने लिए कोई नई प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको रजिस्ट्री और म्यूटेशन के नियमों को जान लेना चाहिए. इन नियमों के नहीं जानने पर आप दलालों की चंगुल में फंस जाएंगे और फिर आपको फायदा होने की बजाय बड़ा नुकसान भी हो सकता है. आपको पता ही होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ तभी मिलता है, जब आपके नाम की प्रॉपर्टी हो. किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ तभी मिलता है, जब उनके नाम पर जमीन हो. आइए, जानते हैं कि भारत में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री और म्यूटेशन के नियम क्या हैं?
प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के नियम
भारत में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री (Registry) और म्यूटेशन (नाम हस्तांतरण) संपत्ति स्वामित्व के कानूनी अधिकारों को स्थापित करने और सरकारी रिकॉर्ड में जरूरी बदलाव करने की महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं हैं.
- रजिस्ट्री की अनिवार्यता: पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 17 के अनुसार, यदि किसी अचल संपत्ति का मूल्य 100 रुपये से अधिक है, तो उसका रजिस्ट्री कराना जरूरी है. चूंकि वर्तमान में इतनी कम कीमत पर कोई संपत्ति नहीं मिलती, इसलिए लगभग सभी संपत्ति लेन-देन का रजिस्ट्रेशन आवश्यक होता है. यह नियम उपहार (गिफ्ट डीड) के मामलों में भी लागू होता है.
- आवश्यक दस्तावेज: प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के आवश्यक दस्तावेजों में बिक्री विलेख (सेल डीड), पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, पैन कार्ड), पते का प्रमाण, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें और प्रॉपर्टी से संबंधित दूसरे कानूनी दस्तावेज शामिल हैं.
- स्टांप और रजिस्ट्रेशन शुल्क: प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करना होता है, जो संपत्ति के मूल्य और संबंधित राज्य के नियमों पर निर्भर करता है.
- गवाहों की जरूरत: प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के समय दो गवाहों की जरूरत पड़ती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति, मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति या लेन-देन में सीधे शामिल व्यक्ति गवाह नहीं बन सकते.
प्रॉपर्टी म्यूटेशन के नियम
- म्यूटेशन का महत्व: म्यूटेशन वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से सरकारी रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी के स्वामित्व में परिवर्तन दर्ज किया जाता है. यह प्रक्रिया प्रॉपर्टी टैक्स के लिए नए मालिक के नाम को दर्ज करने में मदद करती है, लेकिन यह स्वामित्व का कानूनी प्रमाण नहीं होती.
- ऑफलाइन आवेदन: संबंधित तहसील, नगर निगम या ग्राम पंचायत कार्यालय में आवेदन जमा कराना होता है.
- ऑनलाइन आवेदन: कई राज्यों ने ऑनलाइन म्यूटेशन आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है, जिससे यह प्रक्रिया आसान और तेज हो गई है.
- आवश्यक दस्तावेज: बिक्री विलेख (सेल डीड) की प्रमाणित प्रति, पहचान और पते का प्रमाण, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें, विरासत या वसीयत के मामले में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र.
- शुल्क और समय: म्यूटेशन शुल्क राज्य के अनुसार भिन्न होता है, जो 25 रुपये से 200 रुपये तक या इससे अधिक हो सकता है. प्रक्रिया पूरी होने में लगने वाला समय भी राज्य और स्थानीय प्रशासन पर निर्भर करता है.
इसे भी पढ़ें: अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए मनोज कुमार? जानिए पूरी जानकारी
म्यूटेशन से संबंधित विशेष बातें
- म्यूटेशन का कानूनी महत्व: सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, म्यूटेशन केवल राजस्व उद्देश्यों के लिए होता है और यह स्वामित्व का कानूनी प्रमाण नहीं होता. स्वामित्व के कानूनी अधिकारों के लिए पंजीकृत बिक्री विलेख (सेल डीड) अधिक महत्वपूर्ण होता है.
- समय पर म्यूटेशन: प्रॉपर्टी खरीदने के तुरंत बाद म्यूटेशन कराना उचित होता है, ताकि भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचा जा सके और प्रॉपर्टी टैक्स के लिए सही मालिक का नाम दर्ज हो.
इसे भी पढ़ें: महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध सावित्री देवी डालमिया, वस्त्र शिल्प से हासिल कीं नया मुकाम
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.