Online Gaming: देश में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार ने कमर कस लिया है. वह जल्द ही इसके लिए कड़े कानून लाने की तैयारी में जुट गई है. मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऑनलाइन गेमिंग के प्रचार और विनियमन से जुड़े एक अहम विधेयक को मंजूरी दे दी है. इस विधेयक के तहत सरकार पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर कड़ा प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है. सूत्रों के अनुसार, यह विधेयक बुधवार को संसद में पेश किया जा सकता है.
धन से जुड़ी गेमिंग पर सरकार का फोकस
विधेयक खासतौर पर उन ऑनलाइन गेम्स पर केंद्रित है, जिनमें वास्तविक धन का लेनदेन होता है. सरकार का मानना है कि ऐसे गेम न केवल युवाओं को मानसिक तनाव में डालते हैं, बल्कि उन्हें वित्तीय जोखिम में भी धकेलते हैं. इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं के बढ़ने की आशंका रहती है.
अपराध और धोखाधड़ी का खतरा
सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि रियल मनी ऑनलाइन गेमिंग धन शोधन, धोखाधड़ी वाले वित्तीय लेनदेन और साइबर अपराध जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देती है. यही कारण है कि इस तरह के मंचों पर कड़ी निगरानी और नियमन की आवश्यकता महसूस की गई है.
राज्यों की भूमिका और मौजूदा ढांचा
वर्तमान कानूनी ढांचे के तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अवैध सट्टेबाजी और जुए से संबंधित अपराधों की रोकथाम, जांच और अभियोजन के लिए जिम्मेदार हैं. हालांकि, डिजिटल गेमिंग प्लेटफॉर्म की तेजी से बढ़ती पहुंच ने केंद्र को एक व्यापक कानून लाने के लिए प्रेरित किया है.
कौशल का खेल बताकर बचाव करती हैं कंपनियां
कई रियल मनी गेमिंग कंपनियां खुद को प्रतिबंध से बचाने के लिए कौशल का खेल बताकर बचाव कर रही हैं. उनका कहना है कि ये गेम सट्टेबाजी या जुए की श्रेणी में नहीं आते. लेकिन अदालतों ने इस दलील को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है.
अदालत का सख्त रुख
जून 2025 में मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली कई कंपनियों की याचिका खारिज कर दी थी. इसमें प्ले गेम्स 24X7, हेड डिजिटल वर्क्स और जंगली गेम्स जैसी कंपनियां शामिल थीं. अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य के पास ऐसे प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करने का अधिकार है. साथ ही, अदालत ने कौशल के खेल और संभावना के खेल के बीच अंतर करने के तर्क को भी खारिज कर दिया.
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ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को झटका
सरकार का यह कदम ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. हालांकि, यह निर्णय समाज और युवाओं के हित में बताया जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि नए कानून से डिजिटल गेमिंग बाजार में पारदर्शिता आएगी और युवाओं को मानसिक एवं वित्तीय जोखिमों से बचाने में मदद मिलेगी.
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