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Nuvama Report: लग्जरी कार और ज्वैलरी खरीदना अधिक पसंद करते हैं भारत के अमीर, नुवामा की रिपोर्ट में खुलासा

Nuvama Report: नुवामा की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के सुपर रिच यानी अल्ट्रा हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स लग्जरी कार और ज्वैलरी पर सबसे ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 58% यूएचएनआई लग्जरी कारों और 53% आभूषणों को प्राथमिकता देते हैं. अमीर वर्ग तात्कालिक ट्रेंड्स के बजाय स्थायी मूल्य, उत्कृष्ट शिल्प कौशल और विरासत से जुड़ी संपत्तियों पर निवेश कर रहा है.

Nuvama Report: भारत में सुपर रिच क्लास यानी अल्ट्रा हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (यूएचएनआई) की खर्च करने की आदतों को लेकर नुवामा की एक ताजा रिपोर्ट सामने आई है. गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अमीरों के बीच लग्जरी कारें और आभूषण विलासितापूर्ण उपभोग के सबसे पसंदीदा क्षेत्र बनकर उभरे हैं. यह रुझान दर्शाता है कि अमीर वर्ग तात्कालिक ट्रेंड्स के बजाय स्थायी मूल्य और विरासत से जुड़ी संपत्तियों को प्राथमिकता दे रहा है.

लग्जरी कार और ज्वैलरी सबसे आगे

नुवामा रिपोर्ट के मुताबिक, 58% यूएचएनआई लग्जरी कारों पर खर्च करते हैं, जबकि 53% लोग आभूषणों को प्राथमिकता देते हैं. इन दोनों श्रेणियों ने उच्च स्तरीय उपभोग में शीर्ष स्थान हासिल किया है. रिपोर्ट बताती है कि अमीर वर्ग के लिए लग्जरी कारें सिर्फ परिवहन का साधन नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा, तकनीक और दीर्घकालिक मूल्य का प्रतीक हैं. वहीं, आभूषणों को पीढ़ियों तक सुरक्षित रखी जा सकने वाली संपत्ति के रूप में देखा जाता है.

स्थायी मूल्य और विरासत पर जोर

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि यूएचएनआई लोगों का खर्च स्थायी मूल्य वाली संपत्तियों से प्रेरित होता है. इनमें लग्जरी गाड़ियां, उच्च शिल्प कौशल वाले आभूषण, सुरुचिपूर्ण घड़ियां और विशिष्ट अनुभव शामिल हैं. नुवामा के अनुसार, अमीरों की उपभोग शैली अपेक्षाकृत संयमित और सोच-समझकर की गई होती है. वे खुले तौर पर धन प्रदर्शन करने के बजाय ऐसी वस्तुओं को चुनते हैं, जो समय के साथ मूल्य बनाए रखें और विरासत का हिस्सा बन सकें.

लग्जरी कारों में जर्मन इंजीनियरिंग का दबदबा

जब बात लग्जरी वाहनों की आती है, तो जर्मन इंजीनियरिंग का स्पष्ट प्रभुत्व दिखाई देता है. रिपोर्ट के अनुसार, करीब 42% यूएचएनआई जर्मन लग्जरी कार ब्रांडों को प्राथमिकता देते हैं. इन कारों की पहचान अत्याधुनिक तकनीक, मजबूत परफॉर्मेंस और बेहतरीन डिजाइन से होती है, जो इन्हें भारत के अमीर वर्ग के बीच खास बनाती है.

लग्जरी घड़ियों में रोलेक्स सबसे पसंदीदा

लग्जरी घड़ियों के सेगमेंट में रोलेक्स सबसे लोकप्रिय ब्रांड बनकर उभरा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 27% यूएचएनआई के पास कम से कम एक रोलेक्स घड़ी है. इसके अलावा, ऑडमर्स पिगुएट को 23% और पाटेक फिलिप को 19% यूएचएनआई पसंद करते हैं. ब्रेटलिंग भी 19% हिस्सेदारी के साथ मजबूत स्थिति में है. वहीं, राडो, ब्रेगुएट और हबलॉट जैसे ब्रांडों की हिस्सेदारी तुलनात्मक रूप से कम है.

लग्जरी बैग और अन्य प्रीमियम विकल्प

कारों और आभूषणों के अलावा, रिपोर्ट से पता चलता है कि 39% यूएचएनआई लग्जरी बैग और घड़ियों पर खर्च करते हैं. वहीं, 17% लोग इत्र, लग्जरी ट्रैवल, हीरे और कपड़ों जैसे अन्य प्रीमियम विकल्पों में रुचि दिखाते हैं. यह दर्शाता है कि अमीर वर्ग अपने उपभोग में विविधता तो चाहता है, लेकिन चयन हमेशा गुणवत्ता और ब्रांड वैल्यू पर आधारित होता है.

लग्जरी बैग में फ्रेंच ब्रांड्स का दबदबा

लग्जरी बैग सेगमेंट में लुई विटन शीर्ष स्थान पर है, जिसे 35% यूएचएनआई पसंद करते हैं. इसके बाद चैनल 25% और हर्मेस 20% के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। यह रुझान फ्रांसीसी लग्जरी ब्रांडों के प्रति मजबूत झुकाव को दर्शाता है. इसके अलावा, क्रिश्चियन डियोर और लोरो पियाना जैसे ब्रांड भी यूएचएनआई वर्ग के बीच लोकप्रिय हैं.

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ट्रेंड नहीं, विरासत है प्राथमिकता

कुल मिलाकर, नुवामा की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारत के अति उच्च आय वर्ग की खपत शाश्वत मूल्य, उत्कृष्ट शिल्प कौशल और दीर्घकालिक विरासत से प्रेरित है. यूएचएनआई के खर्च करने के निर्णय संयमित, उद्देश्यपूर्ण और भविष्य को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं. यही कारण है कि उनके लिए लग्जरी कारें, ज्वैलरी, घड़ियां और प्रतिष्ठित ब्रांड केवल स्टेटस सिंबल नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित की जाने वाली विरासत भी हैं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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