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अनहोनी को होनी कर देगी Modi-Trump की जोड़ी! अमेरिका-भारत व्यापार समझौते से निर्यात को मिलेगी उड़ान

Modi-Trump: भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौता 2025 में भारतीय निर्यात को नई ऊंचाई दे सकता है. मोदी-ट्रंप की साझेदारी से घरेलू वस्तुओं पर जवाबी शुल्क में राहत, विदेशी निवेशकों का विश्वास और सेवा क्षेत्र में मजबूती जैसे कारक भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिर बनाए रख सकते हैं. वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग, गिरती मुद्रास्फीति और स्थिर रुपया भारत को निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाए हुए हैं. यह समझौता निर्यात को पंख दे सकता है.

Modi-Trump: मोदी-ट्रंप की जोड़ी से भारत-अमेरिका के व्यापार संबंधों को नई उड़ान मिलने की उम्मीद दिखाई दे रही है. अमेरिकी-भारत के बीच सफल द्विपक्षीय व्यापार समझौता मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बना सकता है. इससे नए बाजारों तक पहुंच खुल सकती है और निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है.

वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा में भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक रुख जाहिर किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत को नए बाजारों तक पहुंच दिलाकर निर्यात को गति दे सकता है. दोनों देश 8 जुलाई से पहले एक अंतरिम समझौते को अंतिम रूप दे सकते हैं.

अमेरिका से जवाबी शुल्क में पूरी छूट मांग रहा भारत

भारत इस समझौते के तहत घरेलू वस्तुओं पर लगाए गए 26% के जवाबी शुल्क से पूरी छूट की मांग कर रहा है. अमेरिका ने 2 अप्रैल को यह शुल्क लगाया था, जिसे 90 दिनों के लिए 9 जुलाई तक निलंबित किया गया है. हालांकि, 10% मूल शुल्क अभी भी लागू है.

निवेश के लिए भारत बना आकर्षक गंतव्य

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद, विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है. इसमें कहा गया कि देश की मध्यम अवधि की आर्थिक संभावनाएं, नीतियों की स्थिरता और युवा कार्यबल की दक्षता निवेश को बढ़ाने में सहायक होंगी. सरकार की प्राथमिकता उन नीतियों पर है जो कौशल विकास, उत्पादकता और सेवा क्षेत्र के विस्तार को बढ़ावा दें. इससे निवेश और आर्थिक वृद्धि का एक मजबूत चक्र बन सकता है.

भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 2025-26 की जीडीपी वृद्धि दर 6.2% रहने का अनुमान है. हालांकि, यह आंकड़ा जनवरी 2025 के अनुमान से 0.3% कम है. फिर भी, यह वैश्विक औसत से कहीं बेहतर है. कई वैश्विक एजेंसियों ने भारत की विकास दर 6.3% से 6.7% के बीच रहने का अनुमान जताया है. इसका श्रेय मजबूत घरेलू मांग, स्थिर आर्थिक नीतियों और सरकारी पूंजीगत खर्च में वृद्धि को दिया गया है.

मुद्रास्फीति और रुपया बने रहेंगे नियंत्रित

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है. रबी फसल की अच्छी पैदावार, गर्मी की फसलों में बढ़ोतरी और बफर स्टॉक की उपलब्धता इस दिशा में मददगार होंगी. इसके अलावा, भारतीय रुपया अपेक्षाकृत स्थिर है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी बाहरी झटके को सहने में सक्षम है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान महंगाई को नियंत्रित रखने में मदद करेंगे.

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सेवा क्षेत्र देगा अर्थव्यवस्था को रफ्तार

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में सेवा क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बताया गया है. सेवा क्षेत्र का सतत विस्तार वस्तु निर्यात में आई थोड़ी गिरावट की भरपाई कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में सुधार भी आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन बन रहा है. इस तरह मोदी-ट्रंप की संभावित व्यापार साझेदारी भारत को वैश्विक मंदी और व्यापार तनाव के बीच मजबूती से खड़ा कर सकती है.

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