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मनोज जरांगे, जिन्होंने मराठा आरक्षण आंदोलन के लिए बेच दी 2.5 एकड़ जमीन

Manoj Jarange Patil Net Worth: मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल ने आंदोलन को मजबूत बनाए रखने के लिए अपनी 2.5 एकड़ जमीन बेच दी. उनकी अनुमानित कुल संपत्ति 10 से 50 लाख रुपये के बीच है और आय का मुख्य स्रोत खेती व समाजसेवियों का सहयोग है. जालना जिले के अंकुशनगर में साधारण घर में रहने वाले पाटिल की सादगी और त्याग ने उन्हें मराठा समाज का लोकप्रिय नेता बना दिया है. उनका परिवार भी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करता है.

Manoj Jarange Patil Net Worth: मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग को लेकर व्यापक आंदोलन चलाया है. इस आंदोलन के लिए उन्होंने अपनी व्यक्तिगत संपत्ति, विशेष रूप से जमीन, बेचने का निर्णय लिया. खबर है कि मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरा मनोज जरांगे पाटिल ने आंदोलन को मजबूत बनाए रखने के लिए अपनी 2.5 एकड़ जमीन बेच दी. जालना जिले के अंकुशनगर में रहने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने हमेशा से मराठा समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर संघर्ष किया है. उनकी इस कुर्बानी ने आंदोलन को नई दिशा दी है. इस आंदोलन में उनके माता-पिता और बच्चे भी शामिल हैं. आइए, जानते हैं कि मनोज जरांगे पाटिल की आमदनी का स्रोत क्या है और उनके पास कुल कितनी संपत्ति है?

मनोज जरांगे की संपत्ति

मनोज जरांगे पाटिल अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते हैं. अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनकी अनुमानित कुल संपत्ति 10 लाख से 50 लाख रुपये के बीच है. उनके पास कोई महंगी कार, बाइक या आलीशान घर नहीं है. अलबत्ता, उनके पास करीब 4 एकड़ जमीन थी, जिसमें से करीब 2.5 एकड़ जमीन उन्होंने आंदोलन के लिए बेच दी. उनकी आय का मुख्य साधन खेती और समाजसेवियों से मिलने वाला सहयोग है. आंदोलन के लिए वे अक्सर समर्थकों के साथ बसों और ट्रैक्टरों में सफर करते हैं.

सादा घर और पारिवारिक सहयोग

पाटिल का घर जालना के अंकुशनगर में है, जिसमें सिर्फ दो कमरे हैं. घर में एक सोफा, दो कुर्सियां और छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियां व तस्वीरें ही प्रमुख सामान हैं. छत पर मैंगलोर टाइल्स और दीवारों पर चूना लगा है. हाल ही में बनाई गई चारदीवारी और लगाए गए सीसीटीवी कैमरे ही आधुनिकता के प्रतीक हैं.

परिवार की सक्रिय भागीदारी

मनोज जरांगे पाटिल के माता-पिता और बच्चे भी आंदोलन का हिस्सा बन चुके हैं. कई मौकों पर उन्होंने पाटिल के साथ उपवास आंदोलन में भाग लिया है. इससे साफ है कि आंदोलन सिर्फ उनका निजी संघर्ष नहीं बल्कि पूरे परिवार का मिशन बन चुका है.

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आंदोलन का प्रभाव और भविष्य

मनोज जरांगे पाटिल का यह कदम मराठा समाज में गहरी छाप छोड़ चुका है. जमीन बेचकर आंदोलन को फंड करने का उनका निर्णय इस बात का प्रतीक है कि वे अपने सिद्धांतों के लिए किसी भी त्याग से पीछे नहीं हटेंगे. उनकी सादगी और समर्पण ने उन्हें लाखों समर्थकों का नेता बना दिया है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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