34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

रेपो रेट के तत्काल प्रभाव से बढ़ने का क्‍या पड़ेगा आप पर असर जानें

बढ़ती महंगाई के मद्देनजर आरबीआइ ने यह फैसला लिया है. इस कदम को आर्थिक दृष्टि से सकारात्मक समझा जा रहा है. इसका मकसद बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए आर्थिक वृद्धि को गति देना है. खुदरा मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से रिजर्व बैंक के लक्ष्य की उच्चतम सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.

महंगाई को काबू में लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने बुधवार को अचानक प्रमुख नीतिगत दर ‘रेपो’ में 0.4% की वृद्धि की घोषणा की. आरबीआइ के इस कदम से अब कंपनियों और आम लोगों के लिए कर्ज लेना महंगा होगा. आवास, वाहन व अन्य कर्ज से जुड़ी मासिक किस्त (इएमआइ) भी बढ़ेगी. इस वृद्धि के साथ रेपो दर रिकॉर्ड निचले स्तर 4 से बढ़ कर 4.40% हो गयी है.

अगस्त, 2018 के बाद यह पहला मौका है, जब नीतिगत दर बढ़ायी गयी है. साथ ही यह पहला मामला है, जब आरबीआइ के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख ब्याज दर बढ़ाने को लेकर बिना तय कार्यक्रम के बैठक की है. रेपो वह दर है जिस पर बैंक तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआइ से कर्ज लेते हैं. आरबीआइ ने सीआरआर को 0.50% बढ़ा कर 4.5% करने का भी निर्णय किया. इस फैसले से बैंकों को अतिरिक्त राशि आरबीआइ के पास रखनी पड़ेगी. यह वृद्धि 21 मई से प्रभाव में आयेगी.

क्या है रेपो रेट एवं इएमआइ में कनेक्शन

जब रिजर्व बैंक रेपो रेट कम करता है, तो बैंक भी अमूमन ब्याज दरों को कम करते हैं. यानी बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिये जाने वाले ऋण की ब्याज दरें कम होती हैं, जिससे इएमआइ भी घटती है. इसी तरह जब रेपो रेट में इजाफा होता है, तो बैंकों को आरबीआइ से ऊंची कीमतों पर पैसा मिलता है. इसलिए बैंकों को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ती हैं. ऐसे में कर्ज महंगा हो जाता है.

Also Read: आरबीआई ने होम लोन की दरों को किया महंगा, रेपो रेट में की गई 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी
खाद्य महंगाई और बढ़ने की आशंका

आरबीआइ के मुताबिक आनेवाले दिनों में खाद्य महंगाई को लेकर दबाव कायम रह सकता है. वैश्विक स्तर पर गेहूं व सूरजमुखी तेल की कमी से आटा व तेल के दाम बढ़ सकते हैं. पोल्ट्री, दूध और डेयरी उत्पादों के दामों में भी वृद्धि हो सकती है.

महंगाई को काबू में करना है मकसद

बढ़ती महंगाई के मद्देनजर आरबीआइ ने यह फैसला लिया है. इस कदम को आर्थिक दृष्टि से सकारात्मक समझा जा रहा है. इसका मकसद बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए आर्थिक वृद्धि को गति देना है. खुदरा मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से रिजर्व बैंक के लक्ष्य की उच्चतम सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में सभी जिंसों के दाम बढ़े हैं. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 5.7% रहने का अनुमान रखा है.

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया के बाजारों में खाने के सामान के दाम अप्रत्याशित रूप से बढ़े हैं. इसका असर घरेलू बाजार में भी दिख रहा है. अभी मुद्रास्फीति का दबाव बना रह सकता है. हमने लक्ष्य के अनुरूप महंगाई दर को काबू में लाने के लिए यह घोषणा की है.

-शक्तिकांत दास, गवर्नर, आरबीआइ

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें