इंडसइंड बैंक पर धोखाधड़ी की गहरी जांच की तलवार, कंपनी मामलों के मंत्रालय की पैनी नजर इंडसइंड बैंक पर गंभीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि कंपनी मामलों के मंत्रालय (MCA) ने बैंक में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं को लेकर एक गहरी जांच शुरू कर दी है. बैंक के आंतरिक ऑडिट में 172. 58 करोड़ रुपये की राशि को गलत तरीके से ‘फीस इनकम’ के तौर पर दर्ज करने का खुलासा हुआ है, जिससे निवेशकों में डर का माहौल है. यह गड़बड़ी वित्त वर्ष 2024-25 की तीन तिमाहियों तक जारी रही और PwC की बाहरी जांच रिपोर्ट में 30 जून 2024 तक कुल 1,979 करोड़ रुपये का नकारात्मक असर बताया गया है. इस मामले में कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता का भी संदेह है, जिसके बाद बैंक के सीईओ और डिप्टी सीईओ ने इस्तीफा दे दिया है. अब MCA इस मामले को जांच महानिदेशालय (Directorate General of Investigation) या गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) को सौंपने पर विचार कर रहा है, जिससे बैंक की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भी इस मामले में बैंक के अधिकारियों द्वारा किसी भी “गंभीर उल्लंघन” की जांच कर रहा है.
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की गहरी जांच
हाल ही में, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने इंडसइंड बैंक में कथित अनियमितताओं को लेकर अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को औपचारिक रूप दे दिया है. सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट में बैंक में कॉर्पोरेट कामकाज (गवर्नेंस) और कंपनी कानून के कई उल्लंघनों का आरोप लगाया गया है. इस स्थिति के बाद, MCA अब इस मामले को जांच महानिदेशालय (Directorate General of Investigation) को सौंपने या गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) को भेजने पर विचार कर रहा है. यदि यह मामला SFIO को सौंपा जाता है, तो बैंक के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
माइक्रोफाइनेंस ऋण पोर्टफोलियो में अनियमितताएं
इंडसइंड बैंक लंबे समय से खराब ऋणों की पहचान करने और वायदा-विकल्प (फ्यूचर्स एंड ऑप्शन) खंड में कथित अनियमितताओं को लेकर विभिन्न जांचों का सामना कर रहा है. विशेष रूप से, बैंक के माइक्रोफाइनेंस ऋण पोर्टफोलियो में लगभग 6,000-7,000 करोड़ रुपये के ऋणों को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. यह आरोप है कि बैंक ने माइक्रोफाइनेंस ग्राहकों को दिए गए पुराने, तनावग्रस्त ऋणों को नए और बड़े ऋण देकर “एवरग्रीन” किया है. इसमें एक तरीका यह था कि यदि किसी महिला माइक्रोफाइनेंस ग्राहक का ऋण बकाया था, तो उसके पति को एक नया और बड़ी राशि का ऋण दिया जाता था, और पुराने बकाया ऋण को इस नए ऋण के खिलाफ समायोजित (नेट ऑफ) कर दिया जाता था. इससे पुराना तनावग्रस्त माइक्रोफाइनेंस ऋण बकाया सूची से हट जाता था, जिससे बैंक को अपने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) को कम दिखाने में मदद मिलती थी.
कुछ मामलों में, इन असुरक्षित छोटे ऋणों को कृषि ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया था. बैंकर्स के अनुसार, कृषि ऋणों में मासिक या साप्ताहिक पुनर्भुगतान का कोई तय कार्यक्रम नहीं होता है, और इन्हें आमतौर पर साल के अंत में चुकाया जाता है. इससे बैंक को अपने एनपीए को कम दिखाने में मदद मिलती है, भले ही वास्तविक समस्या बनी रहे.
आंतरिक समीक्षा और ऑडिट
बताया गया है कि मार्च-अप्रैल 2025 के आसपास बैंक की आंतरिक समीक्षा (इंटरनल रिव्यू) में इन अनियमितताओं का खुलासा हुआ. इस समीक्षा के दौरान कुछ असुरक्षित ऋणों में चूक की दर (डिफॉल्ट रेट) ऊंची पाई गई, जिसके बाद इंडसइंड बैंक ने मामले की गहराई से जांच के लिए कदम उठाए. बैंक ने माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो का ऑडिट करने के लिए अर्न्स्ट एंड यंग (EY) को नियुक्त किया है, जबकि ग्रांट थॉर्नटन (Grant Thornton) एक अलग फॉरेंसिक ऑडिट कर रहा है. हालांकि, बैंक ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि उसने फॉरेंसिक ऑडिट के लिए EY को शामिल नहीं किया है. बैंक ने कहा कि उसका आंतरिक ऑडिट विभाग एमएफआई व्यवसाय की समीक्षा कर रहा है ताकि कुछ चिंताओं की जांच की जा सके. इसके अलावा, बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव अकाउंटिंग की स्वतंत्र समीक्षा के लिए PwC को भी नियुक्त किया था.
एक बैंक अधिकारी के अनुसार, “यह क्लासिक ऋण रोलओवर नहीं है, लेकिन कुछ वैसा ही है.”
नियामकीय संस्थाओं की प्रतिक्रिया और बैंक का बयान
इंडसइंड बैंक पहले से ही भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) सहित कई प्राधिकरणों की जांच के दायरे में रहा है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अतीत में इंडसइंड बैंक पर ब्याज दरों से संबंधित मानदंडों का पालन न करने के लिए 27. 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. आरबीआई ने इंडसइंड बैंक द्वारा रिपोर्ट किए गए फॉरेक्स डेरिवेटिव अकाउंटिंग में विसंगतियों के बाद निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के दोनों बैंकों के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो की समीक्षा शुरू की है. 2021 में, इंडसइंड बैंक ने स्वीकार किया था कि मई में तकनीकी गड़बड़ी के कारण उसने 84,000 ग्राहकों को बिना उनकी सहमति के ऋण दिए थे, हालांकि उसने ‘ऋण एवरग्रीनिंग’ के व्हिसलब्लोअर के दावों को पूरी तरह से “गलत और निराधार” बताया था.
सेबी (SEBI) प्रमुख ने यह भी पुष्टि की है कि इंडसइंड बैंक की जांच जारी है, और उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसी घटनाएं निवेशकों के विश्वास को गंभीर रूप से कमजोर करती हैं और शेयरधारकों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाती हैं. सेबी ने नियामक ने जांच और प्रवर्तन कार्रवाइयों के लिए डेटा का आदान-प्रदान को सुगम बनाने की पहल करते हुए कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के साथ सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किए हैं.
बैंक का कहना है कि उसने माइक्रोफाइनेंस के तहत केवल महिलाओं को ऋण दिया है, उनके पतियों को नहीं. बैंक का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत की महिलाओं को वित्तीय आत्मनिर्भरता प्रदान करना और उन्हें व्यवसाय में सहायता देना है. फिलहाल बैंक इस तरह के ऋणों को समायोजित (नेट ऑफ) करने वाला काम बंद कर चुका है और सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं.
बैंक ने एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि अकाउंट्स को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में बैंक का इंटरनल ऑडिट डिपार्टमेंट (IAD) बैंक के एमएफआई व्यवसाय की समीक्षा कर रहा है ताकि कुछ चिंताओं की जांच की जा सके, जो बैंक के ध्यान में लाई गई हैं.
वित्तीय प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां
इन अनियमितताओं के कारण इंडसइंड बैंक के वित्तीय परिणामों पर असर पड़ा है. जून 2025 को समाप्त तिमाही में बैंक का मुनाफा 72 प्रतिशत घटकर 604 करोड़ रुपये रहा है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 2,171 करोड़ रुपये था. मार्च 2025 तिमाही में बैंक को 2,329 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जून तिमाही में बैंक की कुल आय घटकर 14,420. 80 करोड़ रुपये रह गई. बैंक का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात (Gross NPA Ratio) जून 2025 में बढ़कर 3. 64 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2025 में 3. 13 प्रतिशत था.
इन जांचों और वित्तीय परिणामों ने बैंक के शेयरों पर भी दबाव डाला है. विश्लेषकों का मानना है कि बैंक के लिए नए सीईओ की नियुक्ति और व्यवसाय में सुधार की रफ्तार आने वाले समय में महत्वपूर्ण कारक रहेंगे. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने हाल ही में संकेत दिया था कि इंडसइंड बैंक की स्थिति में सुधार हो रहा है और बैंक ने पिछली गलतियों से सीख लेते हुए लेखांकन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं.
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