Russian Crude Oil: इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन एएस साहनी ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि अमेरिका की ओर से अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा के बावजूद भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि आईओसी जैसी रिफाइनिंग कंपनियां तेल की खरीद केवल आर्थिक पहलुओं और गुणवत्ता के मानकों को देखते हुए करती हैं. अगर कीमत और प्रसंस्करण ढांचे के अनुरूप गुणवत्ता मिलती है, तो ही खरीद होती है.
खरीद में न रोक, न विशेष बढ़ोतरी
एएस साहनी के अनुसार, रूस से तेल खरीद पर कोई सरकारी या कंपनी स्तर पर रोक नहीं है. हालांकि, आयात बढ़ाने या घटाने के लिए भी कोई विशेष प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. अप्रैल-जून 2025 तिमाही में आईओसी के कुल कच्चे तेल प्रसंस्करण में रूस की हिस्सेदारी 22-23% रही. यह आंकड़ा पिछले कुछ महीनों से स्थिर है, जो दर्शाता है कि खरीद पूरी तरह बाजार परिस्थितियों पर निर्भर है.
छूट में गिरावट से आयात पर असर
रूस के यूराल ग्रेड कच्चे तेल पर पहले 40 डॉलर प्रति बैरल तक की छूट मिल रही थी, जिसने भारत को बड़े पैमाने पर आयात करने के लिए प्रेरित किया. लेकिन, हाल के महीनों में यह छूट घटकर 1.5 डॉलर प्रति बैरल रह गई, जिससे आयात में कमी आई. वर्तमान में छूट लगभग 2.70 डॉलर प्रति बैरल है, जो पहले की तुलना में काफी कम है. इस वजह से खरीदारी में उत्साह पहले जैसा नहीं रहा. हालांकि, आपूर्ति पूरी तरह बंद नहीं हुई.
ट्रंप का टैरिफ और भारतीय प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह घोषणा की कि रूस से तेल खरीद जारी रखने पर भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25% आयात शुल्क लगाया जाएगा, जिससे कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया है. इस कदम के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू हो गई कि भारत रूस से आयात घटा सकता है, लेकिन साहनी ने स्पष्ट किया कि भारत का निर्णय केवल आर्थिक गणना पर आधारित होगा, न कि राजनीतिक दबाव पर.
भारत के लिए रूस की बढ़ती अहमियत
फरवरी 2022 से पहले भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1% से भी कम थी, लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले और पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद रूस ने रियायती दरों पर तेल बेचना शुरू किया. इसके चलते भारत ने आयात बढ़ाया और अब यह हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक पहुंच गई है.
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आने वाले महीनों में जारी रहेगा तेल आयात
सार्वजनिक क्षेत्र की एक दूसरी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निदेशक (वित्त) वी रामकृष्ण गुप्ता के अनुसार, जून तिमाही में रूसी तेल की हिस्सेदारी 34% रही. उनका अनुमान है कि यदि कोई नया प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो यह स्तर आने वाले महीनों में 30-35% के बीच बना रहेगा. यह दर्शाता है कि भारत निकट भविष्य में रूस को एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनाए रखेगा.
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