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5%, 12%, 18% और 28% नहीं, जीएसटी के दो स्लैब पर GoM की लगी मुहर

GST Reform: टीवी, एसी और घरेलू उपकरण जल्द सस्ते हो सकते हैं. जीएसटी सुधारों पर मंत्रिसमूह (GoM) ने सहमति जताते हुए चार स्लैब को घटाकर दो (5% और 18%) करने का प्रस्ताव पास किया है. विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 40% जीएसटी लगाने की तैयारी भी है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में आम उपभोक्ता को राहत देने पर जोर दिया गया. अब अंतिम फैसला जीएसटी परिषद लेगी, जिससे उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.

GST Reform: देश में टीवी, एसी जैसे घरेलू उपकरण जल्द ही सस्ते हो सकते हैं. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में व्यापक सुधार की दिशा में राज्यों के मंत्रियों के समूह (GoM) ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जताई है. इस प्रस्ताव के अनुसार, वर्तमान में चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर केवल दो स्लैब (5% और 18%) रखे जाएंगे.

महंगी वस्तुओं पर 40% जीएसटी की तैयारी

GoM ने न केवल स्लैब की संख्या कम करने पर सहमति जताई है बल्कि चुनिंदा विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 40% तक जीएसटी लगाने का भी समर्थन किया है. इसमें महंगी कारें, तंबाकू उत्पाद, और शीतल पेय जैसी चीजें शामिल हैं. कुछ राज्यों ने सुझाव दिया है कि इन वस्तुओं पर मौजूदा क्षतिपूर्ति उपकर के अतिरिक्त एक अलग कर भी लगाया जाए ताकि राजस्व का संतुलन बना रहे.

बिहार के उपमुख्यमंत्री की भूमिका

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंत्रिसमूह ने केंद्र के प्रस्ताव को मंजूरी दी. उन्होंने कहा कि 12% और 28% वाले स्लैब हटाकर दरों को सरल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. चौधरी के अनुसार, यह निर्णय आम आदमी के हित में होगा और इससे उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा.

भाजपा शासित राज्यों का समर्थन

उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि सभी राज्यों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है. उनके अनुसार, महंगी कारों और अहितकर उत्पादों पर उच्च दर से कर लगाना उचित होगा, ताकि सामान्य उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती हो सकें. हालांकि, उन्होंने भी यह जोड़ा कि राजस्व घाटे की गणना कर राज्यों की भरपाई सुनिश्चित करनी होगी.

विपक्षी राज्यों की आशंकाएं

कांग्रेस शासित कर्नाटक, वाम मोर्चा शासित केरल और तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल जैसे विपक्षी दलों ने जीएसटी सुधारों का समर्थन तो किया, लेकिन इसके साथ ही राजस्व नुकसान को लेकर चिंता जताई. पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि दरों को युक्तिसंगत बनाने का विचार सही है, लेकिन राज्यों को यह भी पता होना चाहिए कि इस बदलाव से कितनी वित्तीय हानि होगी.

धारा में संशोधन का सुझाव

भट्टाचार्य ने यह भी सुझाव दिया कि जीएसटी अधिनियम की धारा (1) में संशोधन किया जाए, ताकि 40% की अधिकतम दर से ऊपर भी शुल्क लगाने का अधिकार राज्यों को मिले. इससे यह सुनिश्चित होगा कि विलासिता की वस्तुओं पर कर का बोझ स्थिर रहे और राज्यों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिल सके.

तेलंगाना सरकार का रुख

तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि गरीब और मध्यम वर्गीय योजनाओं को नुकसान से बचाने के लिए राज्यों की राजस्व सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि या तो मौजूदा क्षतिपूर्ति उपकर जारी रखा जाए, या फिर विलासिता वस्तुओं पर जीएसटी की दरें बढ़ाकर उस अतिरिक्त आय को राज्यों में वितरित किया जाए.

आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद

यदि यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो घरेलू उपकरणों जैसे टीवी, एसी, फ्रिज समेत कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है. दरअसल, वर्तमान में कई उत्पाद 28% स्लैब में आते हैं, जिन्हें घटाकर 18% स्लैब में लाया जाएगा. इससे आम उपभोक्ता के बजट पर बोझ कम होगा और मांग में भी वृद्धि हो सकती है.

जीएसटी परिषद का अंतिम फैसला

मंत्रिसमूह की ये सिफारिशें अब जीएसटी परिषद को भेजी जाएंगी. परिषद में इस पर विस्तृत चर्चा के बाद अंतिम निर्णय होगा. परिषद का फैसला न केवल कर ढांचे को सरल बनाएगा, बल्कि राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे की नई रूपरेखा भी तय करेगा.

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उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत

जीएसटी दरों में प्रस्तावित बदलाव उपभोक्ताओं के लिए राहतभरा कदम साबित हो सकता है. जहां एक ओर टीवी-एसी जैसी रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी, वहीं विलासिता और अहितकर उत्पादों पर अतिरिक्त कर से राजस्व संतुलन साधने का प्रयास होगा. अब नजरें जीएसटी परिषद के आगामी फैसले पर टिकी हैं, जो इस सुधार की दिशा को अंतिम रूप देगा.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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