कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) ने अपने एक बयान में कहा है कि कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Ltd) ने एनसीडब्ल्यूए- XI के तहत अब तक पांच बैठकें की हैं. इस कंपनी का उद्देश्य आपसी सहमति से अपने गैर-कार्यकारी कर्मियों के वेतन समझौते को जल्द से जल्द पूरा करना है.
कोयला मंत्रालय के द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक सीआईएल अपने संघों (यूनियन) के साथ सौहार्दपूर्ण और मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखता है. साथ ही देश में कोयला क्षेत्र के महत्व को देखते हुए किसी भी तरह के मतभेद या हड़ताल से बचने का प्रयास करता है. मंत्रालय के अनुसार, वेतन समझौते के संबंध में वार्ता चल रही है और आम तौर पर समझौते को पूरा करने में समय लगता है.
जल्द वेतन समझौते पर मुहर लगने की उम्मीद
आपको बता दें कि सीआईएल देश का पहला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (सीपीएसयू) था, जिसने पिछले तीन वेतन समझौतों को सफलतापूर्वक पूरा किया था. इस परंपरा को कायम रखते हुए सीआईएल को उम्मीद है कि इस बार भी जल्दी से वेतन समझौते पर मुहर लग जाएगी. वहीं, इसके आगे यह भी कहा गया है कि उपरोक्त कथन के विपरीत कोई भी रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत और एकतरफा है.
यूनियनों ने की थी 47 फीसदी वेतन बढ़ोतरी की मांग
दरअसल इससे पहले कोल इंडिया प्रबंधन ने यूनियन कर्मियों की मांग को मानने से इनकार कर दिया था. यूनियनों ने कोल इंडिया प्रबंधन से 47 फीसदी वेतन बढ़ोतरी की मांग की थी, लेकिन प्रबंधन ने 47 फीसदी तो दूर 27 फीसदी वेतन बढ़ोतरी की मांग से इनकार कर दिया था. 2 जुलाई को कोल प्रबंधन और यूनियनों के बीच ज्वाइंट बैठक का आयोजन किया गया था, जहां यूनियन कर्मियों ने प्रबंधन के रवैये पर नाराजगी जतायी थी.
यूनियन की मांग तर्कसंगत नहीं: प्रबंधन
कोल इंडिया प्रबंधन ने यूनियन की मांग को तर्कसंगत नहीं बताया था. प्रबंधन का कहना है कि वह गैर कर्मियों को पिछले समझौते के बराबर या उससे ज्यादा नहीं दे सकते. इस दौरान केल इंडिया के चेयरमैन ने यहां तक कह दिया था कि दो अंक के प्रतिशत में भी न्यूनतम गारंटी लाभ संभव नहीं है.