7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बहुत बड़ी खबर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को पेंशन से जुड़ी बड़ी राहत दी है. यह कदम आठवें वेतन आयोग और महंगाई भत्ते (डीए) से पहले कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत बड़ा बदलाव
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई केंद्रीय कर्मचारी यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृति (वोल्यूंटरी रिटायरमेंट) लेता है, तो उसे तत्काल पेंशन का लाभ मिलेगा. पहले की व्यवस्था में कर्मचारियों को पेंशन पाने के लिए वास्तविक सेवानिवृति की उम्र तक इंतजार करना पड़ता था. इस फैसले से सेवानिवृत होते ही आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने वालों के लिए राहत
सरकार का यह निर्णय खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, जो किसी विशेष परिस्थिति या व्यक्तिगत कारणों से नौकरी पूरी होने से पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृति लेना चाहते हैं. अब उन्हें सेवानिवृति के तुरंत बाद पेंशन मिलने से वित्तीय चिंता से छुटकारा मिलेगा.
यूपीएस बना एनपीएस का विकल्प
केंद्र सरकार ने करीब 24 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) का विकल्प देने के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) पेश की थी. यूपीएस में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) और नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के कुछ प्रावधानों को मिलाकर एक नया मॉडल तैयार किया गया. इस स्कीम को लाने का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को अधिक लचीलापन और सुरक्षा देना था.
एनपीएस की कमियां और यूपीएस का समाधान
एनपीएस को लेकर कर्मचारियों और यूनियनों ने कई खामियां गिनाई थीं. खासकर, यह कि स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने वाले कर्मचारियों को पेंशन की सुविधा वास्तविक सेवानिवृति आयु तक नहीं दी जाती थी. यूपीएस ने इस कमी को दूर करने का प्रयास किया है. हालांकि, अभी भी बड़ी संख्या में कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग कर रहे हैं.
ओपीएस से यूपीएस तक का सफर
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2004 में ओपीएस को समाप्त करके एनपीएस लागू किया था. इस स्कीम में सशस्त्र बलों को शामिल नहीं किया गया था. लेकिन समय-समय पर बढ़ती मांग और आलोचना के बाद यूपीएस को पेश किया गया, ताकि ओपीएस और एनपीएस दोनों के लाभों को मिलाकर एक नया विकल्प तैयार हो सके.
5 महीने बाद भी धीमी रफ्तार
सरकार की उम्मीदों के बावजूद यूपीएस को कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर अपनाया नहीं है. लगभग 5 महीने बीतने के बाद भी सिर्फ 1% केंद्रीय कर्मचारी ही इस स्कीम से जुड़ पाए हैं. इससे यह साफ जाहिर होता है कि कर्मचारी अभी भी इस नई व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं.
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कर्मचारियों की मांग और असंतोष
कर्मचारियों और उनकी यूनियनों का एक बड़ा वर्ग अब भी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहा है. उनका मानना है कि ओपीएस से बेहतर और स्थायी सुरक्षा मिलती थी. यूपीएस की घोषणा के बावजूद कर्मचारियों के बीच असंतोष बना हुआ है और सरकार से इसे दोबारा लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है.
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