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विदेशों से निवेश पर कर की व्यवस्था और पुख्ता होगी, ‘गार” एक अप्रैल 2017 से

नयी दिल्ली : सरकार ने सामान्य कर परिवर्जन नियम (गार) एक अप्रैल 2017 से लागू करने से पहले निवेशकों की चिंताओं को दूर करते हुये आज कहा कि वह कंपनियों के लेनदेन के लिये अपने तरीके अपनाने के अधिकारों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी. सरकार ने यह भी कहा कि यदि निवेश को किसी […]

नयी दिल्ली : सरकार ने सामान्य कर परिवर्जन नियम (गार) एक अप्रैल 2017 से लागू करने से पहले निवेशकों की चिंताओं को दूर करते हुये आज कहा कि वह कंपनियों के लेनदेन के लिये अपने तरीके अपनाने के अधिकारों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी. सरकार ने यह भी कहा कि यदि निवेश को किसी अन्य देश से लाने के पीछे मंशा केवल वाणिज्यिक है और इसका उद्देश्‍य भारत में कर से कन्नी काटना नहीं है तो उस पर गार लागू नहीं होगा.

गार का उद्देश्य कंपनियों को केवल कर भुगतान से बचने के लिए सौदे के दूसरे देशों के रास्ते करने से रोकना है. अनेक कंपनियां कर भुगतान से बचने के लिये दूसरे देशों के जरिये सौदे करतीं हैं. गार को दो स्तरीय प्रक्रिया के जरिये अमल में लाया जा सकता है. पहला आयकर के प्रधान आयुक्त के स्तर पर और दूसरा उच्च न्यायालय के न्यायधीश की अगुवाई वाली समिति के जरिये इस पर अमल किया जा सकता है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गार के बारे में निवेशकों की कुछ चिंताओं को दूर करते हुये कहा कि गार के प्रावधान निर्धारण वर्ष 2018-19 से प्रभावी होंगे और इन्हें मात्र इस आधार पर अमल में नहीं लाया जायेगा कि कोई इकाई कर सक्षम न्याययिक क्षेत्र में स्थित है. सीबीडीटी ने एक वक्तव्य में कहा, ‘यदि गैर-कर वाणिज्यिक गतिविधि के लिहाज से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) का न्यायिक क्षेत्र तय हो जाता है, और यह साबित हो जाता है कि जो भी व्यवस्था की गयी है उसके पीछे मकसद केवल कर लाभ लेना नहीं है तो गार लागू नहीं होगा.

गार करदाताओं के किसी लेनदेन को करने के तौर तरीकों का चुनाव करने के अधिकार के साथ नहीं छेड़ेगा.’ गार पर अमल के बारे में जारी एक स्पष्टीकरण में सीबीडीटी ने कहा है कि यदि कोई कर लाभ कर-संधियों के तहत उपलब्ध प्रावधानों के दायरे में लिया गया है तो उसमें भी गार लागू नहीं होगा.

इसमें कहा गया है कि एक अप्रैल 2017 से पहले परिवर्तनीय साधनों, बोनस जारी करने अथवा होल्डिंग के विभाजन अथवा एकीकरण जैसे मामलों में मिलने वाला लाभ आगे भी जारी रहेगा. सीबीडीटी ने यह भी कहा है कि विभिन्न देशों के साथ कर संधियों में कर चोरी रोकने के नियमों को शामिल करना ही काफी नहीं होगा बल्कि इन पर घरेलू कर परिवर्जन नियमों के जरिये नजर रखने की भी आवश्यकता है.

सीबीडीटी ने कहा है कि गार लागू करने के प्रस्ताव को पहले आयकर के प्रधान आयुक्त के स्तर पर परखा जायेगा और उसके बाद उच्च न्यायालय के न्यायधीश की अध्यक्षता में गठित मंजूरी समूति के स्तर पर इसे देखा जायेगा. सीबीडीटी ने कर नियमों में स्पष्टता, विश्सनीयता के लिये सरकार की प्रतिबद्धता का वादा करते हुये, ‘सभी संबंधित पक्षों को आश्वस्त किया है कि इसके लिये सभी उपयुक्त उपाय किये गये हैं कि गार को समान, उचित और तर्कसंगत तरीके से लागू किया जाये.’

कर विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि गार के तहत कोई भी जुर्माना यदि लगाया जाता है तो वह मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये होगा. आटोमेटिक प्रक्रिया के तहत यह नहीं होगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015 के बजट में गार के क्रियान्वयन को दो साल के लिये टाल दिया था. उन्होंने यह भी कहा था कि 31 मार्च 2017 तक किये गये निवेश को गार के तहत नहीं लाया जायेगा. गार तीन करोड़ रुपये से अधिक के कर लाभ वाले दावों पर ही लागू होगा.

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