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RBI की नीतिगत दरों में बदलाव नहीं, पढ़ें…मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें

मुंबई : बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक नेबुधवार को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाये रखा. बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति कल और आज चली अपनी दो दिन की बैठक में […]

मुंबई : बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक नेबुधवार को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाये रखा. बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति कल और आज चली अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके.

नोटबंदी से प्रभावित माहौल में केंद्रीय बैंक ने हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया. मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद गवर्नर पटेल ने नीतिगत दर को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखे जाने का फैसला सुनाया. आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट अमान्य किये जाने के बाद यह समिति की पहली तथा कुल मिला कर दूसरी समीक्षा बैठक थी. इससे पहले समिति ने अक्तूबर में मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था.

क्या हैं रेपो दर

रेपो दर वह दर है जिस पर आरबीआइ वाणिज्यिक बैंकों को नकदी की तात्कालिकि जरुरत के लिये धन उधार देता है. मौजूदा हालात में जब नोटबंदी की वजह से कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ा है. उद्योग और आर्थिक विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है. केंद्रीय बैंक ने माना है कि नोटबंदी की वजह से खुदरा कारोबार, रेस्त्रां और परिवहन जैसे क्षेत्रों में जहां नकदी में अधिक लेनदेन होता है कुछ समय के लिये गतिविधियां प्रभावित हो सकतीं हैं.

चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत रहने का अनुमान

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. हालांकि, इसमें वृद्धि का जोखिम भी बताया गया है फिर भी यह अक्तूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा से कम रहेगी. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सातवें वेतन आयोग के तहत आवास भत्ते के पूरे प्रभाव का आकलन अभी तक नहीं हो पाया है, इसके क्रियान्वयन के बाद ही इसका पता चल पायेगा. इसलिये मुद्रास्फीति में इसके असर को शामिल नहीं किया गया है.

नोटबंदी के बारे में क्या कहा गया है मौद्रिक समीक्षा में…

नोटबंदी के बारे में मौद्रिक समीक्षा में कहा गया है कि पुराने उच्चमूल्य वर्ग के नोटों को चलन से वापस लिये जाने से वेतन भुगतान और कच्चे माल की खरीद में देरी की वजह से नवंबर-दिसंबर में औद्योगिक गतिविधियों के कुछ हिस्से पर असर पड़ सकता है. इसका पूरा आकलन करना अभी बाकी है. इसमें कहा गया है, ‘‘नोटबंदी की वजह से सेवा क्षेत्र में निर्माण, व्यापार, परिवहन, होटल और दूरसंचार कारोबार कुछ समय के लिये असर पड़ने की वजह से परिदृश्य मिला जुला रहा है. लेकिन सातवें वेतन आयोग के लागू होने और एक रैंक एक पेंशन के लागू होने से लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र में गतिविधियां अच्छी बनीं रहेंगी.

पुराने 12 लाख करोड़ रुपये वापस बैंकिंग तंत्र में लौटे
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि पुराने 14.5 लाख करोड़ रुपये के नोटों में से 12 लाख करोड़ रुपये वापस बैंकिंग तंत्र में लौट चुके हैं. रिजर्व बैंक ने 10 दिसंबर से नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) की 100 प्रतिशत दर को भी हटा लिया है. इस कदम से बैंक अब अपने पास अधिक राशि रख सकेंगे. जारी भाषा

रिजर्व बैंक की 2016-17 की 5वीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें…

-रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर कायम, रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत पर

-नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर 4 प्रतिशत पर बरकरार

-वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत किया

-मार्च, 2015 के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 5 प्रतिशत पर कायम, उपर जाने का जोखिम

-नोटबंदी से जल्द खराब होने वाले उत्पादाें के दाम घटेंगे, दिसंबर तक मुद्रास्फीति 0.10 से 0.15 प्रतिशत तक घटेगी

-एमपीसी के सभी सदस्याें ने यथास्थिति कायम रखने के पक्ष में मत दिया

-नोटबंदी से नकदी आधारित क्षेत्रों में कुछ समय के लिये अड़चन आयेगी

-कच्चे तेल की कीमताें में उतार-चढाव, वित्तीय बाजार में संकट से मार्च अंत का मुद्रास्फीति का लक्ष्य जोखिम में पड़ सकता है

-दो दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 364 अरब डालर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर

-रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष में ओएमओ खरीद के जरिये 1.1 लाख करोड़ रुपये की तरलता डाली

-अगली मौद्रिक समीक्षा 8 फरवरी, 2017 को.

रिजर्व बैंक ने वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 7.1 प्रतिशत किया

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नोटबंदी की वजह से वृद्धि के नीचे जाने का जोखिम है. इससे लघु अवधि में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हाेगी और मांग घटेगी. रिजर्व बैंक ने कहा कि निकट भविष्य में इन जोखिमाें से आर्थिक गतिविधियाें में लघु अवधि में नकदी आधारित क्षेत्राें में अड़चन आ सकती है.

इन क्षेत्रों में खुदरा व्यापार, होटल और रेस्तरां तथा परिवहन शामिल हैं. साथ ही नोटबंदी से असंगठित क्षेत्र प्रभावित होगा और मांग में कमी आयेगी. रिजर्व बैंक ने आज चालू वित्त वर्ष की पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, ‘‘तीसरी तिमाही में वृद्धि की रफ्तार में बाधा तथा चौथी तिमाही में इसके असर. साथ में ऊंचे कृषि उत्पादन के परिप्रेक्ष्य में उपभोक्ता मांग में बढ़ोतरी तथा सातवें वेतन आयोग के क्रियान्वयन से 2016-17 के लिये जीवीए वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर 7.1 प्रतिशत कर दिया गया है. पहले इसका अनुमान 7.6 प्रतिशत लगाया गया था. चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत दर्ज की गयी है.

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