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रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 50 बेसिस अंक की कटौती की, जानें मौद्रिक नीति की मुख्‍य बातें

नयी दिल्ली :रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति में गवर्नर रघुराम राजन ने 50 बेसिस अंक की कटौती की घोषणा की है. इसके साथ ही अब रिजर्व बैंक का रेपो रेट 6.75 फीसदी हो गया है जो पहले 7.25 फीसदी था. वहीं सीआरआर में रिजर्व बैंक ने किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया है. […]

नयी दिल्ली :रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति में गवर्नर रघुराम राजन ने 50 बेसिस अंक की कटौती की घोषणा की है. इसके साथ ही अब रिजर्व बैंक का रेपो रेट 6.75 फीसदी हो गया है जो पहले 7.25 फीसदी था. वहीं सीआरआर में रिजर्व बैंक ने किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया है. सीआरआर अभी भी 4 फीसदी है.कटौती की घोषणा करते हुए रघुराम राजन ने कहा कि नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की आज की कटौती जमीनी स्तर पर हुए सुधार पर आधारित है, इसे दिवाली पर बोनस न समझा जाए. उन्‍होंने कहा कि बैंकों को चाहिए कि वे इस वर्ष दर में की गयी कुल मिलाकर 1.25 प्रतिशत कटौती का पूरा का पूरा लाभ समय के साथ कर्जदारों को दें.

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान में भी फिर एक बार संशोधन किया है. इसे 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि खुदरा मुद्रास्फीति के बारे में कहा कि यह जनवरी 2016 में 5.8 प्रतिशत रहेगी. रिजर्व बैंक ने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया और इसे चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. सीआरआर वह अनुपात होता है जिसे बैंकों को अनिवार्य तौर पर केंद्रीय बैंक के पास जमा रखना होता है. रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख नीतिगत दर में की गयी 0.50 प्रतिशत कटौती के मुताबिक अब रिवर्स रेपो दर घटकर 5.75 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 7.75 प्रतिशत पर समायोजित होगी.

रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा ‘मौद्रिक नीति में अगला समयोजन हालिया मुद्रास्फीतिक दबाव पर नियंत्रण, मानसून का पूरा परिणाम, फेडरल रिजर्व की संभावित पहल और केंद्रीय बैंक द्वारा वर्ष के शुरू में की गयी नीतिगत दर कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को दिये जाने पर निर्भर करेगा.’ उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति सितंबर से कुछ महीनों के लिए बढ सकती है क्योंकि अब तक अनुकूल रहा आधार प्रभाव अब उलट सकता है. राजन ने कहा ‘यदि बुवाई के रकबे में हुई वृद्धि बेहतर खाद्यान्न उत्पादन के रूप में सामने आती है तो खाद्य मुद्रास्फीति का परिदृश्य सुधर सकता है. न्यूनतम मूल्य समर्थन में हल्की बढोतरी से अनाज संबंधी मुद्रास्फीति कम रह सकती है जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य पदार्थ की कमजोर मूल्य स्थिति से चीनी, खाद्य तेल और कुल मिलकार खाद्य मुद्रास्फीति पर नरमी का दबाव बना रह सकता है.’

उन्होंने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मुद्रास्फीति के जनवरी 2016 में 5.8 प्रतिशत पर पहुंच जाने की उम्मीद है. यह अगस्त में लगाये गये अनुमान से थोडा कम है. आवास क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए रिजर्व बैंक ने सस्ते आवासों के लिए जोखिम प्रावधान कम किया है जबकि व्यक्तिगत आवास ऋण के मामले में जमानत की व्यवस्था को और दुरस्त किया है. आरबीआई ने कहा कि फिलहाल व्यक्तिगत आवास ऋण पर न्यूनतम जोखिम भार 50 प्रतिशत है. राजन ने नीतिगत दर में आज की जोरदार पहल के बावजूद भविष्य में नीतिगत दर में और कटौती के प्रति भी प्रतिबद्धता जताई. राजन ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा ‘और समायोजन की हमारी ज्यादातर शर्तें पूरी हो गयी हैं.’

रेपो दर जिस पर रिजर्व बैंक बैंकिंग प्रणाली को उसकी फौरी जरुरत के लिये नकदी उपलब्ध कराता है, अब घटकर 6.75 प्रतिशत रह गयी है. इसी प्रकार रिवर्स रेपो दर, वह दर जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों की अतिरिक्त नकदी सोखता है, घटकर 5.75 प्रतिशत रह गई. जबकि बैंकों का नकद आरक्षित अनुपात चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है. रेपो दर में राजन द्वारा इस साल की गई यह चौथी कटौती है और इस तरह इस कैलेंडर वर्ष में अब तक नीतिगत दर में 1.25 प्रतिशत कटौती हो चुकी है. रिजर्व बैंक पर नीतिगत दर में कटौती के लिये सरकार, उद्योग सहित विभिन्न पक्षों से दबाव था और स्वयं केंद्रीय बैंक ने स्वीकार किया इसकी जरुरत है क्योंकि चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का अनुमान 0.2 प्रतिशत घटाकर 7.4 प्रतिशत किया गया है. राजन ने कहा ‘नीतिगत कार्यान्वयन, ढांचागत सुधार और कार्पोरेट पहल बरकरार रहने से बेहतर उत्पादकता सतत वृद्धि के लिए प्राथमिक प्रेरक कारक होगा.’

मौद्रिक नीति समीक्षा की कुछ बड़ी बातें

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की आज जारी 2015-16 की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं –

1. अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन के लिए मुख्य नीतिगत ब्याज दर (रेपो) में 0.5 प्रतिशत की कटौती.

2. रेपो दर कम हो कर 6.75 प्रतिशत पर. यह चार वर्ष में इसका न्यूनतम स्तर है.

3. आरबीआइ को उम्मीद, वाणिज्यिक बैंक कटौती का पूरा लाभ कर्जदारों तक पहुंचाएंगे.

4. सीआरआर 4 प्रतिशत पर बरकार.

5. वर्ष 2015-16 के लिये आर्थिक वृद्धि अनुमान घटाकर 7.4 प्रतिशत किया.

6. आर्थिक वृद्धि में हल्का-फुल्का सुधार हो रहा है, मजबूत सुधार अभी नहीं दिखता.

7. वैश्विक परिदृश्य कमजोर लगता है, यह भारत के लिए अच्छा नहीं.

8. वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के आखिरी दौर में गति पकड़ सकती है.

9. खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2016 में 5.8 प्रतिशत तक पहुंच सकती है.

10. सितंबर से मुद्रास्फीति के आंकडे ऊंचे रह सकते हैं.

11. बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) के निवेश की सीमा रुपये के हिसाब से तय होगी.

12. सरकारी बांडों में एफपीआइ निवेश की सीमा 2018 तक बढाकर पांच प्रतिशत की जाएगी.

13. आधार-दर (ऋण की न्यूनतम दर) की गणना संबंधी आरबीआइ के दिशानिर्देश नवंबर अंत तक.

14. मौद्रिक नीति की पाचवीं द्वैमासिक समीक्षा एक दिसंबर को.

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