UPI safety: आजकल सुबह सब्जी वाले से लेकर रात के खाने तक हर पेमेंट UPI से ही हो जाता है. इसकी स्पीड इतनी तेज है कि हमें बस अपने फोन निकालने की देरी होती है लेकिन इसी तेजी की आदत ने लोगों को लापरवाही की तरफ भी धकेल दिया है. यह सिस्टम तो सुरक्षित है, पर हम खुद कई बार ऐसे कदम उठा देते हैं जिनसे साइबर ठगों के लिए रास्ता खुल जाता है.
हमारी रोजमर्रा की कौन-सी गलतियां धोखाधड़ी को आसान बनाती हैं?
अक्सर फ्रॉड किसी हैकर द्वारा सिस्टम तोड़कर नहीं होता है, बल्कि हमारी छोटी-छोटी असावधानियों से शुरू होता है. अगर कोई अजनबी कह दे कि वो अभी पैसे भेज रहा है बस आप रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लें और हम इसे बिना पढ़े क्लिक भी कर देते हैं. कभी किसी रिफंड के बहाने लिंक मिल जाता है, तो कभी कोई खुद को कस्टमर केयर बताकर स्क्रीन-शेयरिंग ऐप डाउनलोड करवा देता है. समस्या यह है कि हम फोन पर उतनी ही जल्दी फैसले ले लेते हैं, जितनी जल्दी पेमेंट होता है और ठग इसी जल्दबाजी पर टिके होते हैं.
क्या घरों में डिजिटल नियम नहीं होने चाहिए?
हां, घरों में डिजिटल नियम जरूर होने चाहिए, क्योंकि आज मोबाइल और UPI का इस्तेमाल हर उम्र के लोग कर रहे हैं, लेकिन डिजिटल समझ सभी की समान नहीं होती है. जब परिवार में बुज़ुर्ग, बच्चे या ऐसे लोग होते हैं जो जल्दी भरोसा कर लेते हैं, तो छोटी-सी गलती भी बड़े आर्थिक नुकसान में बदल सकती है. यदि घर में पहले से कुछ स्पष्ट नियम तय हों, तो गलतियों की संभावना बहुत कम हो जाती है. उदाहरण के लिए, परिवार के सभी सदस्यों को यह समझना चाहिए कि किसी कलेक्ट रिक्वेस्ट को कभी भी मंजूरी नही देनी चाहिए. किसी को OTP नहीं बताना है, किसी अजनबी द्वारा भेजे गए लिंक को नहीं खोलना है और किसी नए ऐप को बिना पूछे इंस्टॉल नहीं करना है. ऐसे सरल नियम हर सदस्य को सुरक्षित रखते हैं और पूरे परिवार की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाते हैं. डिजिटल नियम ठीक वैसे ही काम करते हैं जैसे घर के दरवाजे का ताला करता है. अगर सभी लोग इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना जानते हैं, तो सुरक्षा अपने आप बेहतर हो जाती है.
हमारी रोजमर्रा की कौन-सी गलतियां धोखाधड़ी को आसान बनाती हैं?
हमारी रोजमर्रा की कई छोटी गलतियां UPI धोखाधड़ी को आसान बना देती हैं. लोग अक्सर कलेक्ट रिक्वेस्ट को बिना पढ़े मंजूर कर देते हैं और सोचते हैं कि इससे उन्हें पैसे मिलेंगे, जबकि असल में पैसा उनके खाते से निकल जाता है. कुछ लोग जल्दी में रिफंड लिंक खोल देते हैं या फर्जी कस्टमर केयर की बातों में आकर स्क्रीन-शेयरिंग ऐप डाउनलोड कर लेते हैं. कई बार लोग QR कोड ध्यान से जांचे बिना स्कैन कर देते हैं या स्क्रीन पर लिखा नाम देखे बिना पेमेंट कर देते हैं. इन छोटी लापरवाहियों का फायदा ठग आसानी से उठा लेते हैं.
UPI को सही तरीके से सुरक्षित कैसे बनाया जाए?
सबसे अच्छा तरीका है कि खर्च वाला UPI एकाउंट और आपकी बचत वाला अकाउंट दोनों अलग रखें. रोज की पेमेंट वाले खाते में कम बैलेंस रखें और बैंक ऐप में ट्रांजैक्शन लिमिट सेट कर दें. फोन पर स्ट्रोंग लॉक और UPI ऐप पर भी अलग PIN लगाना एक और सुरक्षा परत जोड़ देता है.
क्या ‘Pay’ दबाने से पहले एक सेकंड रुकना काफी है?
ज़्यादातर मामलों में हां, QR कोड को एक बार ठीक से देखना चाहिए, नाम मिलाना और किसी भी मैसेज में अगर जल्दी करने का दबाव दिखे तो तुरंत सावधान हो जाना चाहिए. जब घर के सभी सदस्य यह आदत बना लेते हैं, तब डिजिटल फ्रॉड का डर काफी हद तक खत्म हो जाता है.
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