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महंगाई में इजाफे और औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती से रेपो रेट में कटौती कर सकता है RBI

नयी दिल्ली : खाने-पीने की चीजें महंगी होने से अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़ने से भारतीय रिजर्व बैंक पर नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में कटौती करने का दबाव एक बार फिर बढ़ गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में रिजर्व बैंक की मौद्रिक […]

नयी दिल्ली : खाने-पीने की चीजें महंगी होने से अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़ने से भारतीय रिजर्व बैंक पर नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में कटौती करने का दबाव एक बार फिर बढ़ गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति अगली समीक्षा बैठक में रेपो दर में 0.15 से 0.25 फीसदी की और कटौती कर सकती है. अगस्त महीने में खुदरा मुद्रास्फीति मामूली बढ़कर 10 महीने के उच्चतम स्तर 3.21 फीसदी पर पहुंच गयी.

इसे भी देखें : विनिर्माण क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन से जुलाई में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि सुस्त पड़कर 4.3 फीसदी

हालांकि, मुद्रास्फीति अब भी रिजर्व बैंक के निर्धारित लक्ष्य के दायरे में है, लेकिन अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक माने जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की चाल कुछ धीमी रहने को देखते हुए संभवत: रिजर्व बैंक रेपो दर में कटौती की दिशा में एक बार फिर विचार कर सकता है. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पर आधारित औद्योगिक उत्पादन वृद्धि जुलाई माह में 4.3 फीसदी रही, यह जून के मुकाबले तो काफी ऊपर है, लेकिन एक साल पहले जुलाई के मुकाबले यह नीचे है.

जुलाई 2018 में यह 6.5 फीसदी रही थी, जबकि पिछले महीने जून में काफी नीचे 1.2 फीसदी रही थी. जहां तक खुदरा मुद्रास्फीति की बात है, जुलाई में यह यह 3.15 फीसदी थी और अगस्त में 3.21 फीसदी पर पहुंच गयी. मामूली वृद्धि इसमें हुई है. एक साल पहले अगस्त में यह 3.69 फीसदी पर थी. खुदरा मुद्रास्फीति 10 महीने पहले अक्टूबर, 2018 में 3.38 फीसदी थी.

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अगस्त के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त महीने में खाद्य सामग्री वर्ग में 2.99 फीसदी मूल्य वृद्धि रही, जो जुलाई में 2.36 फीसदी थी. पुनर्निर्माण एवं मनोरंजन क्षेत्र की खुदरा मुद्रास्फीति 5.54 फीसदी तथा व्यक्तिगत देखभाल क्षेत्र में 6.38 फीसदी रही. शिक्षा क्षेत्र में इसकी दर 6.10 फीसदी, मांस एवं मछली में 8.51 फीसदी, दाल एवं अन्य उत्पादों में 6.94 फीसदी तथा सब्जियों के दाम में 6.90 फीसदी वृद्धि रही.

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 3.3 फीसदी रही, जो 2018-19 की इसी अवधि में 5.4 फीसदी रही थी. आईआईपी में सुस्ती वजह इसमें शामिल विनिर्माण क्षेत्र की नरमी रही. जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 4.2 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले यह 7 फीसदी रही थी. पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में जुलाई महीने में 7.1 फीसदी की कमी देखी गयी, जबकि पिछले साल जुलाई में इसमें 2.3 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी थी.

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में तेज उछाल के बावजूद अगस्त 2019 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीई) में मामूली वृद्धि दर्ज की गयी है. हम आर्थिक वृद्धि से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए उम्मीद कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक अक्टूबर में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.15 से 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है.

आईआईपी पर इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा कि आर्थिक सुस्ती को रोकने और अर्थव्यवस्था को तेजी के रास्ते पर वापस लाने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन देना समय की जरूरत है. शेयर बाजारों में आज बीएसई सेंसेक्स में 167 अंक की गिरावट रही, जबकि डालर के मुकाबले रुपया 52 पैसे की जोरदार वृद्धि के साथ 71.14 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया.

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