नयी दिल्ली : सरकार प्रस्तावित पूर्वोत्तर ग्रैस ग्रिड परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए करीब 5,400 करोड़ रुपये की पूंजी देने पर विचार कर रही है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. पूर्वोत्तर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन ग्रिड असम में गुवाहटी को पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य प्रमुख शहरों ईटानगर, दीमापुर, कोहिमा, इंफाल, आइजोल, अगरतला, शिलांग, सिलचर, गंगटोक और नुमालीगढ़ से जोड़ेगा. इस पाइपलाइन की लंबाई 1,656 किलोमीटर है. हालांकि, प्रमुख एवं बड़े ग्राहकों की गैर-मौजूदगी में 9,000 करोड़ रुपये की यह पाइपलाइन आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है.
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अधिकारी ने कहा कि परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए लागत के 60 फीसदी के बराबर वित्तपोषण की मांग की गयी है. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहा है और केंद्रीय मंत्रिमंडल के जल्द इस पर विचार करने की संभावना है. पूर्वोत्तर पाइपलाइन ग्रिड के कामकाज का जिम्मा इंद्रधनुष गैस ग्रिड के पास है. यह गेल इंडिया, इंडियन ऑयल कॉर्प (आईओसी), ओएनजीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड और नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है.
अधिकारी ने कहा कि कंपनियों के संघ ने सरकार से 60 फीसदी वित्तपोषण की वकालत की है. बाकी की पूंजी इक्विटी और कर्ज के माध्यम से जुटायी जायेगी. बिना सरकार की मदद के यह पाइपलाइन परियोजना व्यावहारिक नहीं है. यह दूसरी बार है, जब सरकार किसी गैस पाइपलाइन परियोजना का वित्तपोषण करेगी. इससे पहले, सरकार ने 2016 में 2,655 किलोमीटर लंबी जगदीशपुर-हल्दिया और बोकारो-धामरा गैस पाइपलाइन परियोजना के लिए 5,176 करोड़ रुपये की पूंजी मंजूर की थी. यह परियोजना लागत का 40 फीसदी है.
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