नयी दिल्ली : वित्तीय कंपनी कार्वी की एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की गयी है कि इस साल यानी वर्ष 2019 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया लुढ़ककर 78 के स्तर पर पहुंच सकता है. रिपोर्ट में इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बढ़ता राजकोषीय और चालू खाते का घाटा है. ये दोनों घरेलू मुद्रा के लिए सबसे बड़ी समस्या है.
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कार्वी की सालाना जिंस एवं मुद्रा रिपोर्ट-2019 के अनुसार, यह साल जिंस और मुद्रा बाजार के लिए मिला-जुला रह सकता है और इन दोनों घाटों के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में और गिरावट आ सकती है. कार्वी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (जिंस और मुद्रा) रमेश वाराखेदकर ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया 68 से 69.50 के आधार से ऊपर जा सकता है. इसके 73.70 से 74.50 के स्तर तक जाने की आशंका है.
उन्होंने आगे कहा कि अगर भारतीय मुद्रा 74.50 के स्तर को पार करता है, तब यह 2019 में लुढ़ककर 78 के स्तर तक जा सकता है. इसके साथ ही, चुनावी साल को देखते हुए विदेशी संस्थागत निवेशक और विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक भारतीय बाजार में निवेश से बचने का प्रयास कर सकते हैं. इसका कारण चुनाव परिणाम को लेकर अनिश्चितता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हम सामान्यत: देखते हैं कि निजी निवेश चुनावी साल में कम होता है. इससे चालू खाते का घाटा (कैड) या भुगतान संतुलन (बीओपी) में 2018-19 की दूसरी छमाही में सुधार की संभावना नहीं है. कैड 2018-19 की पहली छमाही में 34.94 अरब डॉलर था, जो पूरे वित्त वर्ष 2017-18 में 48.72 अरब डॉलर था.
वहीं, भुगतान संतुलन 2018-19 की पहली छमाही में 13.20 अरब डॉलर प्रतिकूल था. वाराखेदकर ने यह भी कहा कि 2019 सर्राफा साल हो सकता है, जहां सुरक्षित निवेश के रूप में लिवाली से सोना और चांदी का प्रदर्शन बेहतर रहने का अनुमान है.
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