नयी दिल्ली : आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर से जुड़े हितों के टकराव मुद्दे को लेकर आईसीआईसीआई बैंक के विवादों में घिरने के बीच बाजार नियामक सेबी ने देखना शुरू किया है कि कहीं इस मामले में सूचनाओं के प्रकाशन या कंपनी संचालन से जुड़ा कोई मामलातो नहीं बनता है. इसी तरह वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज व इसके प्रवर्तक भी एक मामले में नियामक की निगाह में हैं. यह मामला आईसीआईसीआई बैंक व कुछ सार्वजनिक बैंकों के समूह द्वारा कंपनी को दिये गये कर्ज में कथित प्रतिदान से जुड़ा है.
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि नियामक ने निजी क्षेत्र के इस बैंक द्वारा बीते कुछ साल में किये गये विभिन्न खुलासों में शुरुआती जांच शुरू की है. वहीं, शेयर बाजार भी पीछे 2012 तक के कुछ सौदों के संबंध में हालिया रिपोर्टों के बारे में अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांग सकते हैं. आईसीआईसीआई बैंक देश का चौथा सर्वाधिक मूल्यवान बैंक है, जिसका बाजार पूंजीकरण लगभग1.8 लाख करोड़ रुपये है.
आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल ने इस बीच कोचर में पूरी निष्ठा व भरोसा जताया है. इनसे जुड़े सूत्रों का कहना है कि नियामक के सवालों का 2016 में संतोषजनक जवाब दे दिया गया था और वीडियोकॉन को दिये गये कर्ज के मामले में हितों का कोई टकराव उस समय नहीं पाया गया. इसी सप्ताह कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा दी गयी कर्ज सहायता कुछ ले-दे कर दी गयी. इसमें कोचर व उनके परिवार के कुछ सदस्यों की कथित संलिप्तता थी.
वीडियोकॉन ग्रुप व दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स के बीच लेनदेन को लेकर भी सवाल उठाये गये हैं. दीपक कोचर चंदा के पति हैं. आईसीआईसीआई बैंक ने इस तरह की बातों की संभावना से इनकार किया है. बैंक ने गुरुवार को कहा था कि बैंक के निदेशक मंडल को अपनी प्रबंध निदेशिका और मुख्य कार्यपालक अधिकारी चंदा पर पूरा भरोसा है.
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