नयी दिल्ली : दूरसंचार कंपनी आइडिया सेल्यूलर ने सरकार से अनुरोध किया है कि उसे अपने यहां विदेशी हिस्सेदारी 100 फीसदी तक ले जाने की इजाजत दी जाये. कंपनी ने शुक्रवार की शाम निवेशकों को दी गयी सूचना में कहा कि कंपनी में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के लिए डीआईपीपी ( औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग) से आवेदन किया है.
इसे भी पढ़ें : वोडाफोन आैर आइडिया के विलय को प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने दी मंजूरी
कंपनी की दिसंबर, 2017 की स्थिति के अनुसार, अभी विदेशी हिस्सेदारी करीब 27 फीसदी है. इस समय दूरसंचार कंपनियों में सीधी विदेशी हिस्सेदारी 100 फीसदी तक ले जायी जा सकती है, लेकिन 49 फीसदी से ऊपर की एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी लेना जरूरी है. यह शर्त सुरक्षा कारणों से रखी गयी है.
आइडिया सेल्यूलर अपना कारोबार ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन के भारतीय कारोबार के साथ मिलाने का फैसला कर चुकी है. इन दोनों कंपनियों के कारोबार के आपसी विलय की प्रक्रिया चल रही है. उपभोक्ताओं के लिहाज से भारत में अभी वोडाफोन इंडिया दूरसंचार कंपनियों में दूसरे नंबर पर बनी हुई है. विलय के बाद बनी कंपनी के ग्राहक 40 करोड़ से अधिक हो जायेंगे और वह बाजार की सबसे बड़ी कंपनी होगी.
वहीं, स्पेक्ट्रम के हिसाब से एयरटेल 1,976 मेगाहर्ट्ज के साथ पहले और वोडाफोन-आइडिया 1,850 मेगाहर्ट्ज के हिसाब से दूसरे स्थान पर होगी. नयी कंपनी रिलायंस जियो 1,480 मेगाहर्ट्ज के साथ तीसरे स्थान पर होगी. वोडाफोन-आइडिया के संयुक्त उपक्रम में वोडाफोन की हिस्सेदारी 47.5 फीसदी रहने की संभावना है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.