नयी दिल्लीः रोजगार को लेकर जारी किये जा रहे नकारात्मक आंकड़ों के बीच उम्मीद जाहिर की जा रही है कि अगले साल 2018 तक देश के दूरसंचार क्षेत्र में करीब 30 लाख लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा सकेंगे. देश की कारोबारी संस्था एसोचैम आैर केपीएमजी के साझा अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि देश में 4जी तकनीक से डेटा का इस्तेमाल में तेजी, बाजार में आये नये खिलाड़ी, डिजिटल वॉलेट और स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता के चलते तकनीक की मांग को लगातार बढ़ा रहा है. इससे वर्ष 2018 तक देशभर में दूरसंचार क्षेत्र में करीब 30 लाख नयी नौकरियों के अवसर पैदा होंगे.
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वर्ष 2021 तक 5जी, एम2एम और इंफोर्मेशन एंड कम्यूनिकेशंस टेक्नोलॉजी (आईसीटी) जैसी उभरती तकनीकों से उम्मीद की जा रही है कि करीब 8,70,000 लोगों के लिए रोजगार अवसर पैदा होंगे. अध्ययन में बताया गया है कि इस क्षेत्र में मौजूदा मैनपावर (मानव श्रम) संख्या और कौशल के मामले में आगे आने वाली मांग को पूरा करने में असक्षम हो सकते हैं.
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि यहां कौशल की कमी को पूरा करने की जरूरत है. इंफ्रा और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट, एप्लीकेशन डेवेलेपर्स, सेल्स एग्जीक्यूटिव्स, इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्निशियन, हैंडसेट टेक्नीशियन आदि में कौशल लोगों की मांग सबसे अधिक होगी. साथ ही, मौजूदा टेक्नोलॉजी के साथ काम कर रहे लोगों को भी भविष्य में आने वाली नयी तकनीक के लिए ट्रेन करना होगा. दूरसंचार क्षेत्र की मांग और कौशल जरूरत को पूरा करने के लिए टेलीकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल गठित की गयी है.
दूरसंचार क्षेत्र बीते कुछ वर्षों से सब्सक्राइबर के मामले में वार्षिक आधार पर 19.6 फीसदी और राजस्व के मामले में 7.07 फीसदी की दर से विकास कर रहा है. दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां अपने नेटवर्क और मौजूदा नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए लगातार निवेश कर रहे हैं.
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