नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने वाली सरकारी अधिसूचना पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है. इस मामले में केंद्र ने अपनी दलील देते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सामाजिक कल्याण से जुड़ी योजनाओं का लाभ ले रहे जिन लोगों के पास आधार नहीं है, उनके लिए हमने 30 जून की समयसीमा को बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है. केंद्र के इस दलील के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने अपने नौ जून के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में इससे अधिक अवलोकन की जरूरत नहीं है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख सात जुलाई निर्धारित की.
इस खबर को भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट ने आयकर रिटर्न के लिए आधार को अनिवार्य बनाने पर लगायी आंशिक रोक, कहा-पैन से भी कर सकते हैं दाखिल
इससे पहले अपने नौ जून के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पैन कार्ड के आवंटन और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार नंबर अनिवार्य करने संबंधी आयकर कानून के प्रावधानों के अमल पर आंशिक रोक लगा दिया था. हालांकि, शीर्ष अदालत ने आयकर कानून की धारा 139 एए की वैधता बरकरार रखते हुए कहा था कि यह संविधान पीठ के समक्ष लंबित याचिकाओं के नतीजे के दायरे में आयेगा. संविधान पीठ विचार कर रहा है कि क्या आधार योजना से निजता के अधिकार का अतिक्रमण होता है और क्या इससे आंकड़ों के लीक होने का खतरा है.
न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा था कि इस संबंध में कानून बनाने का संसद को अधिकार है. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने निजता के अधिकार और दूसरे पहलूओं पर गौर नहीं किया है कि आधार योजना मानवीय गरिमा को प्रभावित करती है. इन मुद्दों पर संविधान पीठ ही निर्णय करेगी. न्यायालय ने सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिये उचित कदम उठाने का निर्देश दिया कि आधार योजना के तहत एकत्र आंकड़े लीक नहीं हो. न्यायालय ने कहा कि सरकार ऐसे उपाय करेगी जिससे नागरिकों को यह भरोसा हो कि इसके आंकड़े लीक नहीं होंगे.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.