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Union Budget 2023 : बजट से पहले गुरुवार को संसद में आयोजित होगा ‘हलवा सेरेमनी’, जानें क्या है प्रक्रिया

इस साल संसद में पेश होने वाला बजट 2023 कई मायनों में खास है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चुनाव साल से पहले अंतिम पूर्ण बजट पेश करेंगी. इसके साथ ही, कोरोना महामारी के तुरंत बाद रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत होने के बाद से लेकर अब तक चल रही जंग की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका है.

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में केंद्रीय बजट 2023 पेश करेंगी. इससे पहले, कल गुरुवार यानी 26 जनवरी को केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण की उपस्थिति में बजट तैयार करने में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया से पहले संसद में एक परंपरागत हलवा सेरेमनी आयोजित किया जाएगा. समारोह केंद्रीय बजट तैयार करने के अंतिम चरण को चिह्नित करता है. इस दौरान वित्त मंत्री कढ़ाही में हलवे को हिलाकर समारोह की शुरुआत करते हैं और फिर इसे दिल्ली में मंत्रालय के मुख्यालय में अपने सहयोगियों को परोसते हैं.

कई मायनों में खास है इस साल का बजट

बताते चलें कि इस साल संसद में पेश होने वाला केंद्रीय बजट 2023 कई मायनों में खास है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चुनाव साल से पहले अंतिम पूर्ण बजट पेश करेंगी. इसके साथ ही, कोरोना महामारी के तुरंत बाद रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत होने के बाद से लेकर अब तक चल रही जंग की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आने की आशंका है. महंगाई अपने चरम पर है. एशियाई देशों में भारत समेत श्रीलंका, पाकिस्तान और यहां तक जापान में भी महंगाई अपने चरम पर है. रोजगार के क्षेत्र में अभी हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और अमेजन जैसी कंपनियों में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी से नौकरी का संकट पैदा हो गया है. ऐसे हालात में देश के आम नागरिकों, उद्योग जगत और नौकरी-पेशा लोगों को सरकार से काफी उम्मीदें बंधी हैं.

क्या है हलवा सेरेमनी

बता दें कि सालाना बजट सरकार का पूरे एक साल का वित्तीय लेखा-जोखा है, जिसमें आय-व्यय का उल्लेख किया जाता है. बजट पेश करने के लिए सरकार प्रत्येक साल की पहली छमाही के बाद से ही तैयारी शुरू कर देती है. बजट तैयार करने में मुख्य रूप से दिसंबर के बाद से ही तेजी आ जाती है और वित्त मंत्रालय के अधिकारी और कर्मचारी इस काम में जुट जाते हैं. संसद में बजट पेश करने से पहले हलवा सेरेमनी आयोजित करने की परंपरा है. बजट की छपाई पूरी हो जाने के बाद जब उसे पैक किया जाता है, तो उस समय वित्त मंत्री की उपस्थिति में मंत्रालय के कर्मचारी और अधिकारी खास प्रकार के समारोह का आयोजन करते हैं, जिसे हलवा सेरेमनी कहा जाता है.

सरल शब्दों में कहें, तो हमारी भारतीय परंपरा में शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा खाने की परंपरा है. इसीलिए बजट पेश करने से पहले संसद में वित्त मंत्रालय की ओर से बड़ी कढ़ाही में हलवा बनाकर सबको परोसा जाता है. दूसरे शब्दों में कहें, तो बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों और अधिकारियों को मुंह मीठा कराने की परंपरा को ही हलवा सेरेमनी कहा जाता है. इस दौरान वित्त मंत्री की निगरानी में काम करने वाली कोर टीम के सदस्य और अधिकारी भी मौजूद होते हैं.

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बजट की गोपनीयता का रखा जाता है पूरा ख्याल

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि संसद में बजट से पहले हलवा सेरेमनी आयोजित कर दिए जाने के बाद इसे तैयार करने वाले वित्त मंत्रालय के अधिकारी और कर्मचारी भी पूरी तरह से पैक हो जाते हैं. मीडिया की रिपोर्ट की मानें, तो हलवा सेरेमनी के बाद बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल कर्मचारी नार्थ ब्लॉक के बेसमेंट में रहते हैं, और करीब 10 दिनों बाद बाहर निकलते है. इस दौरान वो पूरी दुनिया से डिसकनेक्टेड होते हैं. ये इसलिए किया जाता है ताकि बजट से जुड़ी जानकारी संसद में वित्त मंत्रालय के भाषण से पहले लीक न हो जाए.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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