20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्या सिनेमैटिक लिबर्टी के नाम पर झूठ का पुलिंदा है गुंजन सक्सेना की बायोपिक!

is gunjan saxena biopic in the name of cinematic liberty: अभिनेत्री जान्हवी कपूर की फिल्म गुंजन सक्सेना लगातार विवादों में है. फ़िल्म का ट्रेलर आया नहीं था कि सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म के विवाद की वजह से फ़िल्म का विरोध होना शुरू हो गया था. फ़िल्म रिलीज हुई तो भारतीय वायुसेना बिफर गयी कि वायुसेना की छवि को गलत दिखाया गया है.

Gunjan Saxena Biopic: अभिनेत्री जान्हवी कपूर की फिल्म गुंजन सक्सेना लगातार विवादों में है. फ़िल्म का ट्रेलर आया नहीं था कि सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म के विवाद की वजह से फ़िल्म का विरोध होना शुरू हो गया था. फ़िल्म रिलीज हुई तो भारतीय वायुसेना बिफर गयी कि वायुसेना की छवि को गलत दिखाया गया है. गुंजन सक्सेना जिन पर यह बायोपिक फ़िल्म बनी हैं उन्होंने भारतीय वायुसेना का पक्ष रखते हुए कहा कि भारतीय वायुसेना सभी को बराबर मौके देता है.

गुंजन जब खुद मानती हैं कि उन्हें समान अवसर मिले थे तो क्या जाह्नवी कपूर के स्क्रीन कैरेक्टर को महिमामंडित करने के लिए धर्मा प्रोडक्शन ने फ़िल्म में जबरन ऐसे प्रसंग और परिस्थितियां डाली हैं जो वायु सेना की कार्य संस्कृति के विपरीत है. बॉलीवुड में पहले भी वॉर पर कई फिल्में बन चुकी हैं.

चेतन आनंद की हकीकत से उरी द सर्जिकल स्ट्राइक तक. सिनेमैटिक लिबर्टी और क्रिएटिव फ्रीडम इन फिल्मों में भी हावी रहा लेकिन धर्मा की इस फ़िल्म पर सीधे तौर पर झूठ दिखाने का आरोप लग रहा है और यह झूठ अब और ज़्यादा बेपर्दा हो गया है क्योंकि गुंजन सक्सेना की उधमपुर पोस्टिंग से लेकर कारगिल युद्ध में उनके साथ रही पायलट श्रीविद्या राजन सामने आ गयी हैं. बहस शुरू हो गयी है कि क्या फिल्ममेकर डिस्क्लेमर डाल कर कुछ भी दिखा सकते हैं. आइए जानते हैं उन पहलुओं पर जिन पर बहस हो रही है और श्रीविद्या ने अपने फेसबुक पोस्ट में जिनका जिक्र किया है.

Also Read: जैकलीन फर्नांडीज ने महाराष्ट्र के दो गांवों को लिया गोद, बढ़ाया मदद का हाथ

फ़िल्म में गुंजन सक्सेना को कारगिल युद्ध की पहली महिला पायलट के तौर पर दिखाया गया है जो पूरी तरह से गलत है. मैं पहली महिला पायलट थी जो पुरुष पायलट्स के साथ श्रीनगर गयी थी. कनफ्लिक्ट एरिया में मैंने ही पहली बार उड़ान भरी. कुछ दिनों के बाद सेकंड बैच के साथ गुंजन सक्सेना आयी थी. उसके बाद हमने मिलकर काम किया. मैंने कभी इससे पहले इस बात का जिक्र नहीं किया था क्योंकि मैं महिला पुरुष दोनों को समान मानती हूं तो फिर मैं महिला होने के नाते फेम क्यों लूँ. श्रीविद्या ये भी लिखती हैं कि फ़िल्म के क्लाइमेक्स में जो हीरोइक स्टाइल का दृश्य हुआ है वो कभी हमारे साथ नहीं हुआ था पूरे कारगिल युद्ध के दौरान.

– गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या ने एक साथ ही ट्रेनिंग की थी. श्रीविद्या ने अपने पोस्ट में लिखा है कि वे गुंजन के साथ ही 1996 में उधमपुर में पोस्ट हुई थी जबकि फ़िल्म में गुंजन को एकमात्र महिला पायलट के तौर पोस्टिंग होते दिखाया गया है.चेंजिंग रूम और टॉयलेट्स को लेकर दिक्कत थी अलग से महिलाओं के लिए नहीं था लेकिन पुरुष साथी हमेशा उनकी मदद करते थे ताकि उन्हें दिक्कत ना हो. श्रीविद्या लिखती हैं कि कुछ पुरुष ऑफिसर्स का रवैया उनलोगों के प्रति अलग था लेकिन वे गिनती के थे जबकि सभी लोग उनको सपोर्ट करते थे.जो फ़िल्म में विपरीत दिखाया गया है. एक ऑफिसर गुंजन को सपोर्ट कर रहा है और बाकी उसके खिलाफ हैं।जो गलत है.

– श्री विद्या ने अपने पोस्ट में यह भी बताया है कि उधमपुर में गुंजन और उनके पहुँचने के कुछ दिन बाद ही हमारी पेट्टी शुरू हो गयी थी. जिस तरह के अजीबोगरीब वजहों से पेट्टी को कैंसिल होते दिखाया गया था. वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ था. एस्क्वार्डन कमांडर बहुत ही प्रोफेशनल और स्ट्रिक्ट थे. वे पुरुष और महिला नहीं देखते थे. गलती होने पर वह टास्क देने से नहीं चूकते थे. हम महिला पायलट की शारारिक क्षमता पर कभी सवाल नहीं उठाया गया.जैसा की फ़िल्म के दृश्य में है. ब्लू यूनिफार्म में हर कोई पहले ऑफिसर है बाद में महिला पुरुष.

Posted By: Budhmani Minj

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें