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Mood of Bihar| Prabhat Khabar Election Express: बिहार में ऐसा पहली बार हुआ, जब जनता के मुद्दे और राजनीति की नब्ज टटोलने का महाअभियान चलाया गया. इस महाअभियान के तहत प्रभात खबर के पत्रकारों की टीम राज्य के कुल 214 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंची. 25 जुलाई को झमाझम बारिश के बीच फील्ड में एक्टिव हुई इलेक्शन एक्सप्रेस की तीन गाड़ियां 73 दिनों बाद गुलाबी ठंड के मौसम में अपनी यात्रा पूरी की. पटना के गांधी मैदान से पटना सिटी के दरवाजे तक की अपनी कुल 32 हजार किमी की यात्रा में टीम के सदस्यों ने बिहार के 2.12 लाख लोगों से बात की, जो कुल वोटर का करीब 0.20 प्रतिशत है. किसी चुनावी अभियान के तहत वोटरों से बात करने का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है. प्रभात खबर इलेक्शन एक्सप्रेस अपने आप में बिहार चुनाव को लेकर किसी भी मीडिया हाउस के द्वारा चलाया गया अब तक का सबसे बड़ा मतदाता जागरूकता अभियान साबित हुआ है.

60 हजार युवा और 53 हजार महिलाओं-बुजुर्गों से की बात
कुल 32 हजार किमी के इस सफर में इलेक्शन एक्सप्रेस की टीम ने 22 हजार महिलाओं से बात की. 214 विधानसभा सीटों पर हमने 60 हजार युवा और 53 हजार बुजुर्ग वोटरों के मिजाज को परखा. 210 विधानसभा सीटों पर चौपाल आयोजित हुआ. इन चौपालों में 97 विधायक और पूर्व विधायक समेत कुल 2587 नेताओं ने मंच साझा किया. 214 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 520 चौराहों पर चर्चा की. 13 सितंबर को पटना में महा समागम हुआ, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत बिहार के तमाम राजनीतिक दिग्गज शामिल हुए. इस महाअभियान से संबंधित करीब 575 विडियो प्रभात खबर के यूट्यूब चैनल पर शेयर हो चुके हैं, जबकि प्रभात खबर अखबार में अब तक इस अभियान जुड़े कुल 225 फुल पेज का कवरेज प्रकाशित हो चुका है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सबसे बड़ा कवरेज
- 32,0000 किलोमीटर की चुनावी यात्रा
- 35 जिलों में प्रभात खबर की टीम ने दी दस्तक
- 214 विधानसभा में पहुंची इलेक्शन एक्सप्रेस की टीम
- 70 दिन का महाअभियान
- 210 विधानसभा में चौपाल का आयोजन
- 520 चौराहों पर आम लोगों के साथ चर्चा
- 97 विधायकों और पूर्व जनप्रतिनिधियों की भागीदारी
- 2587 पार्टी प्रतिनिधियों से सवाल-जवाब
- 22,000 से अधिक महिलाओं की जानी राय
- 60,000 युवाओं से बेबाक बातचीत
- 53,000 बुजुर्गों ने साझा किये अपने अनुभव
- 220 फुल पेज ‘प्रभात खबर’ अखबार में कवरेज
- 575 विडियो ‘प्रभात खबर’ के ‘यूट्यूब चैनल’ पर अपलोड
सरकारी योजनाओं की गांवों में खूब हो रही चर्चा
बिहार के मतदाताओं के मूड की बात करें तो ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं को लेकर खूब बात हो रही है, जबकि शहरी इलाकों के वोटर स्थानीय मुद्दे पर कम बात कर रहे हैं. राज्य या केंद्र सरकार से अधिक स्थानीय विधायक से लोगों की नाराजगी दिख रही. करीब 20 प्रतिशत सीटों पर स्थानीय विधायक को लेकर बेहद गहरी नाराजगी देखने को मिली. वैसे बिहार सरकार के काम पर युवाओं से अलग महिलाओं की राय रही. व्यवस्था में बदलाव की चाहत रखनेवाली महिलाएं भी नीतीश कुमार को लेकर संजीदा दिखीं. बुजुर्गों का मूड साफ शब्दों में झलक रहा था. करीब 170 सीटों पर बुजुर्ग वोटर भी पुरानी यादों को उकेरते हुए यही कहते दिखे कि बदलकर क्या बदलेगा? जो है, वो सही है.

युवाओं को रोजगार की तलाश, शिक्षक-सिपाही की नौकरी पाने वाले बम-बम
रोजगार को लेकर युवा सरकार से जरूर कुछ नाराज दिखे, लेकिन शिक्षक और सिपाही की नौकरी पा चुके परिवारों में सरकार के प्रति सकारात्मक भाव देखने को मिला. हाल के फैसलों से पेंशन में बढ़ोतरी कर नीतीश कुमार जहां बुजुर्गों को साधने में सफल होते दिखे, वहीं महिलाओं के खाते में पैसे डालकर सरकार ने आधी आबादी का वोट बैंक भी मजबूत कर लिया है. मुफ्त बिजली के फैसले को भी करीब 130 विधानसभा में लोगों ने अच्छा फैसला बताया है.
Mood of Bihar: जनता के बड़े मुद्दे
- नशाखोरी
- बेरोजगारी
- भ्रष्टाचार
- महंगाई
सरकार के इन फैसलों पर जनता मुखर
- पेंशन में बढ़ोतरी
- मुफ्त बिजली
- स्वरोजगार के लिए पैसा
- शिक्षकों का तबादला
- मानदेय में बढ़ोतरी
इन योजनाओं के पूरा होने का इंतजार
- कोसी पर सबसे लंबे सड़क पुल
- छपरा डबल डेकर फ्लाइओवर
- जमालपुर रेल कारखाना का आधुनिकीकरण
- डालमियानगर का औद्योगिक विकास
- चीनी कारखानों का विनिवेश
- दरभंगा में एम्स
किस क्षेत्र में कौन-सा मुद्दा रहा हावी
- कोसी और सीमांचल में नशाखोरी
- चंपारण और शाहाबाद में बेरोजगारी
- मिथिला और मगध में भ्रष्टाचार
जनता के लिए ये मुद्दे ही नहीं
- मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण अभियान
- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)
- विधि व्यवस्था (लॉ एंड ऑडर)
- सड़क, बिजली, पानी
शराबबंदी और ड्रग की बढ़ती खबर से लोग चिंतित
मुद्दों की बात करें, तो शराबबंदी और ड्रग की बढ़ती खपत सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. 210 के करीब सीटों पर इन मुद्दों से लोग परेशान दिखे. कोसी और सीमांचल के इलाकों में यह एक बड़ा मुद्दा है. वैसे 202 सीटों पर बेरोजगारी बड़े मुद्दे के रूप में सामने आयी. खासकर चंपारण और शाहाबाद के इलाके के युवाओं और महिलाओं के बीच यह मुद्दा काफी प्रभाव वाला है. हालांकि 150 के करीब सीटों पर भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बताया गया. मगध और मिथिला के इलाकों में लोगों का कहना था कि बिना पैसे किसी सरकारी कार्यालय में कोई काम नहीं होता है.
40 सीटों पर लोग महंगाई से परेशान
करीब 40 ऐसी सीटें रही जहां महंगाई से लोग परेशान दिखे. महिलाएं खासकर इस मुद्दे को उठाती दिखीं. सबसे चौकानेवाले आंकड़े वोटर सूची को लेकर रही. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बावजूद किसी भी सीट पर SIR मुद्दा के रूप में उल्लेखित नहीं हुआ. हालांकि 50 के करीब सीटों में भूमि सर्वे से लोग जरूर परेशान दिखे. लोगों का कहना है कि सरकार ने सही तरीके से यह काम नहीं किया है. लॉ एंड ऑडर जैसे मुद्दे भी लोगों की सूची में नहीं मिले. ग्रामीण इलाकों में युवाओं की ओर से प्रखंड स्तर पर डिग्री कॉलेज की मांग सबसे अधिक की गयी.
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