भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जैव-ईंधन को लेकर फैली भ्रांतियों पर तीखा जवाब देते हुए कहा है कि ईंधन में एथेनॉल मिलाने से वाहनों के इंजन को कोई नुकसान नहीं होता. उन्होंने इसे “बकवास” करार देते हुए स्पष्ट किया कि ई-20 पेट्रोल (E20 Petrol) पूरी तरह सुरक्षित है और पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद है.
क्या है ई-20 पेट्रोल? (What Is E20 Petrol)
- ई-20 पेट्रोल में 20% एथेनॉल और 80% पारंपरिक पेट्रोल होता है
- यह एथेनॉल गन्ने या अनाज से प्राप्त किया जाता है
- देशभर के 90,000 से अधिक पेट्रोल पंपों पर यह उपलब्ध है.
पुराने वाहनों पर असर? (E20 Petrol Effect on Old Vehicles)
- कुछ वाहन चालकों और निर्माताओं ने पुराने वाहनों पर ई-20 के प्रभाव को लेकर चिंता जताई थी
- पुरी ने स्वीकार किया कि पुराने वाहनों में रबर गैस्केट या कलपुर्जों को बदलने की जरूरत हो सकती है
- लेकिन उन्होंने इसे “सरल प्रक्रिया” बताया.
एथेनॉल मिश्रण में भारत की प्रगति
- 2014 में पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण केवल 1.4% था
- अब यह बढ़कर 20% तक पहुंच गया है
- यह भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है.
ऊर्जा मांग और जैव-ईंधन की भूमिका
- अगले दो दशकों में भारत की ऊर्जा मांग वैश्विक औसत से तीन गुना बढ़ेगी
- दुनिया की ऊर्जा वृद्धि में 25% योगदान भारत से होगा
- ऐसे में जैव-ईंधन का इस्तेमाल आयात पर निर्भरता घटाने और उत्सर्जन कम करने के लिए जरूरी है.
माइलेज में मामूली गिरावट
- मंत्रालय के अनुसार, ई-20 पेट्रोल से माइलेज में केवल 1-2% (चार पहिया) और 3-6% (अन्य वाहन) की गिरावट होती है
- यह गिरावट नगण्य है और पर्यावरणीय लाभ के सामने तुच्छ मानी जा सकती है.
पुरी का दो टूक बयान
पुरी ने केपीएमजी के ‘एनरिच 2025’ सम्मेलन में कहा, “जैव-ईंधन से इंजन खराब होने की जो कहानियां सुनते हैं, वे सब ‘बीएस’ हैं.” उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत फिलहाल ईंधन मिश्रण में अगली छलांग के लिए आकलन कर रहा है, लेकिन अभी कोई नया निर्णय नहीं लिया गया है.
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