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बिहार सरकार तलाकशुदा महिलाओं को आत्मनिर्भर बाने के लिए दे रही सहायता राशि, जानें कैसे ले सकते हैं लाभ

महिलाओं को यह सहायता राशि जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जांचोपरांत बिहार राज्य अल्पसंख्यक निगम के अनुशंसा पर लाभुक के खाते में भेजती है. लेकिन इस योजना के तहत एक लाभुक को एक ही बार लाभ दिया जाना है.

अरवल. अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं भी सामाजिक कुरीतियों से अछूती नहीं रही है. धार्मिक व सामाजिक स्तर पर तलाक या फिर किसी कारण वश एक-दूसरे से अलग रहने के कारण उनका सामाजिक व पारिवारिक जीवन तार-तार हो रहे हैं. सरकार इन कुरीतियों के खात्मे के लिये समय-समय पर योजनाएं तैयार करती है. ऐसी ही योजना में से एक है मुस्लिम परित्यक्त योजना. इस योजना के तहत बिहार सरकार की मंशा है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम परित्यक्त या फिर तलाकशुदा महिलाओं को वित्तीय सहायता देकर आत्मनिर्भर बनाया जाये.

जिले में इस वर्ष 12 मुस्लिम महिलाओं ने दिया आवेदन 

इस योजना के तहत वर्ष 22-23 में 12 मुस्लिम महिलाओं ने योजना के लाभ के लिए आवेदन दिया हुआ है. जिसकी जांच की जा रही है. इस योजना के तहत पिछले वर्ष पांच मुस्लिम महिलाओं को लाभान्वित किया गया है. सरकार के इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में और अधिक मदद मिलेगी.

जांच के बाद दी जाती है राशि 

यहां बता दें कि यह राशि जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जांचोपरांत बिहार राज्य अल्पसंख्यक निगम के अनुशंसा पर लाभुक के खाते में भेजती है. लेकिन इस योजना के तहत एक लाभुक को एक ही बार लाभ दिया जाना है. अल्पसंख्यक मुस्लिम परित्यकता या तलाकशुदा महिला सहायता योजना के लाभ के लिए किसी भी कार्यदिवस को आवेदन कर सकते हैं. प्राप्त आवेदन की जांच बीडीओ के स्तर से करवाया जाता है. योजना का लाभ लेने के पात्र लाभुकों को सहायता राशि दी जाती है.

योजना के तहत मिलते हैं 25 हजार रुपए

तलाकशुदा मुस्लिम महिला को योजना के अंतर्गत 25,000 हजार रुपये की राशि मिलती है. यह राशि जीवन में एकबार ही मिलता है. जिससे तलाकसूदा महिलाएं अपना छोटे मोटे स्वरोजगार कर अपना जीवन बसर कर सकती है.

लाभ के लिए ये हैं पात्र

इस योजना का लाभ उन्हीं मुस्लिम महिलाओं को मिल सकता है जिनकी आयु 18 से लेकर 50 वर्ष के बीच हो. आवेदक की आय श्रोत चार लाख रुपये से अधिक नहीं हो. पति के तलाकशुदा होने के प्रमाण पत्र के साथ दो स्थानीय गवाहों का होना जरूरी है. सामाजिक कुरीतियों का शिकार बनी मुस्लिम परित्यक्ता महिला जिसकी शादी पूर्व में हो चुकी है. लेकिन पति द्वारा दो वर्षों या उससे अधिक अवधि से परित्याग कर दिया गया हो या उसके जीवन यापन की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके अलावा पूर्ण मानसिक अपंगता से पति अपने परिवार का भरण-पोषण करने में अक्षम हो. ऐसी अवस्था में सरकार स्वरोजगार के लिये 25 हजार रुपया देगी, ताकि लाभुक आत्मनिर्भर बन सके.

इन्हें माना जायेगा तलाकशुदा

वैसी अल्पसंख्यक मुस्लिम महिला जिसे पति ने तलाक दिया हो. और उसके जीवनयापन की कोई व्यवस्था न हो. गौरतलब है कि मुस्लिमों में धार्मिक प्रावधान के तहत आपसी विवाद, जमीन जायदाद, तलाक के मामले व अन्य विवादों का निपटारा मुस्लिम शरई अदालत में पंजीकृत काजी द्वारा तलाक होने का प्रमाणपत्र की ही मान्यता है.

तलाक के बाद शादी हो जाने पर नहीं मिलेगा योजना का लाभ

इस योजना के लाभ के लिए महिलाओ को तलाक के बाद शादी नहीं करने पर ही योजना का लाभ मिल सकता है. तलाक के बाद शादी हो जाने पर योजना के लाभ से वँचित हो जाना पड़ेगा.

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क्या कहते हैं पदाधिकारी

अरवल जिला के अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी प्रियंका कुमारी बताती है कि तलाकशुदा या फिर परित्यक्त मुस्लिम महिला को स्वरोजगार से जोड़ने को सरकार प्रतिबद्ध है. इस योजना के तहत 25 हजार रूपये दिया जा रहा है. जिले में पहली बार शिविर लगा कर आवेदन लिया गया और जरूरतमंद महिलाओं को लाभ दिया गया. अब कोई भी तलाकशुदा महिला ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं.

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