रांची : विधायक विमला प्रधान ने कहा कि 2011 का जनगणना बताता है कि राज्य में आदिवासियों की संख्या घट रही है. सरकार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे नसंबदी कार्यक्रम की जांच करानी चाहिए. अभी एससी-एसटी वर्ग के लोगों की अधिक हो रही है नसंबदी. यह आदिवासियों की संख्या घटना का बड़ा कारण हो सकता है. यह एक साजिश भी हो सकती है. श्रीमती प्रधान विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में बोल रही थीं.
सत्ता पक्ष के नेताओं ने अभिभाषण को सरकार का ठोस विजन बताया, जबकि विपक्ष ने इसे झूठ का पुलिंदा बताया. चर्चा भोजनावकाश में शुरू हुई. यह बुधवार को भी जारी रहेगी. श्रीमती प्रधान ने कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य विभागों मे किये जा रहे कार्यों की सराहना की. उन्होंने चेक डैमों की मरम्मत तथा पंचायती राज व्यवस्था को और मजबूत करने की मांग की.
राज्य गठन के बाद पहली बार दिखी दूर दृष्टि : किशोर
इससे पूर्व राज्यपाल के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य गठन के बाद पहली बार सरकार में दूरदृष्टि दिख रही है. लग रहा है कि जिन उद्देश्यों को लेकर सरकार का गठन हुआ था, वह पूरा होगा. पहले की सरकारों की प्राथमिकता तय नहीं थी. इस बार राज्य का जीएसडीपी 8.75 फीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है. औद्योगिक क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट आयी है. यह चिंता की बात है. उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए कार्रवाई होनी चाहिए. अपराध भी कम हुए हैं.
राज्य में जनता की सरकार है : निर्भय शाहाबादी
धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए निर्भय शाहाबादी ने कहा कि अब तक जो भी सरकार थी, निजी हितों के लिए थी. इस बार राज्य में जनता की सरकार है. सरकार का हर सेक्टर पर ध्यान है. हरेकृष्ण सिंह ने कहा कि सरकार जनता के लिए काम कर रही है. जनता का काम तेजी से हो, इसके लिए 43 विभागों को समायोजित कर 31 कर दिया गया है. जनजातियों के लिए विशेष योजना चल रही है.
केवल घोषणा हुई, जमीन पर कुछ नहीं : आलमगीर
आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार ने जो भी कहा था, पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि सरकार का कहना था कि तीन माह में स्थानीय नीति लागू करेंगे, 12 माह गुजर गये. तीन माह में कृषि नीति बननी थी. अब तक नहीं बन पायी. छह माह में एक लाख नियुक्ति होनी चाहिए थी, जमीन पर कुछ नहीं हुआ है. राज्य में गरीबों का शोषण हो रहा है. गरीबों को अक्तूबर से अनाज नहीं मिल रहा है.
पारा शिक्षकों को नियमित करने की मांग
सदन में मंगलवार को टेट पास पारा शिक्षकों को नियमित रूप से बहाल करने का मामला उठा़ पक्ष-विपक्ष के विधायकों का कहना था कि पारा शिक्षकों को सरकार समायोजित करे़ पारा शिक्षक स्थानीय हैं, इनको नियम की आड़ पर रोका नहीं जा सकता है़ अल्पसूचित प्रश्न के तहत कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने मामला उठाते हुए कहा कि राज्य में पांच हजार टेट पास पारा शिक्षकों की जगह गैर पारा टेट पास शिक्षकों को बहाल किया जा रहा है़ इनके पास 10 वर्षों का शिक्षण अनुभव और प्रशिक्षण का भी अनुभव है़.
विभागीय मंत्री डॉ नीरा यादव का कहना था कि शिक्षक नियुक्ति में 50 प्रतिशत पद पारा शिक्षकों से भरे जा रहे है़ं मेरिट के आधार पर नियक्ति हो रही है़ मेरिट लिस्ट में मैट्रिक, इंटर सहित अन्य प्राप्तांक जोड़े जा रहे है़ विधायक श्री भगत का कहना था कि नियुक्ति में अनुभव और प्रशिक्षण को आवश्यक नहीं बताया जा रहा है़ नियम इसलिए नहीं बनाये गये हैं कि नियुक्ति में अवरोध पैदा हो़ .
प्रदीप यादव ने पूछा कि नियुक्ति में क्या परेशानी है़ प्रतिपक्ष के नेता का कहना था कि वेलफेयर स्टेट है़ छांटने का प्रयास क्यों किया जा रहा है़ स्थानीय लोग हैं, इनको मौका मिलना चाहिए़ इस मामले में सत्ता पक्ष के राधाकृष्ण किशोर और अनंत ओझा ने पारा शिक्षकों को बहाल किये जाने की बात कही़ मंत्री श्रीमती यादव का कहना था कि जिलावार नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है़ पांच हजार पद रिक्त है़ं इन रिक्त पदों पर पारा शिक्षकों को आगे भी मौका मिलेगा़
स्थानीय और नियोजन नीति पर झामुमो का जोर, लाया कार्यस्थगन
मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही झामुमो ने स्थानीय और नियोजन नीति बनाये जाने की मांग रखी़ झामुमो विधायक जगन्नाथ महतो ने इस विषय पर कार्य स्थगन प्रस्ताव भी लाया था़ वहीं प्रदीप यादव और प्रकाश राम ने अल्पसंख्यकों के मसले पर कार्यस्थगन का प्रस्ताव दिया था़ दोनों ही प्रस्ताव को स्पीकर ने अमान्य कर दिया़ उधर झामुमो के नेता सदन में इन मुद्दों पर सरकार को अपना स्टैंड साफ करने को कह रहे थे़ प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन का कहना था कि ये महत्वपूर्ण विषय हैं, इस पर चर्चा होनी चाहिए़ राज्य की समस्या है़ झारखंड के बेरोजगार युवकों का सवाल है़ सरकार बिना नीति बनाये ही नियुक्ति कर रही है़ स्पीकर दिनेश उरांव ने कहा कि प्रश्नकाल चलने दिया जाये़ बजट सत्र लंबा चलनेवाला है़ चर्चा के दौरान इन विषयों को रखे़ं झामुमो विधायक सदन के अंदर भी स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर पोस्टर लेकर पहुंचे थे़ झामुमो विधायकों ने सदन के बाहर भी स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया़.
स्पीकर के मना करने पर भी बार-बार उठ रहे थे ढुल्लू महतो
रूसी कंपनी की ओर से विधायक ढुल्लू महतो पर लगाये गये आरोप और मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र का मामला सदन में गरमाया़ मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते खुद ढुल्लू महतो उठ खड़े हुए़ वह इस मामले में सदन के अंदर अपना पक्ष रखना चाहते थे़ स्पीकर बार-बार उनको मना कर रहे थे़ स्पीकर का कहना था कि अभी कार्यवाही चलने दे़ं बाद में मौका दिया जायेगा़ विधायक ढुल्लू महतो मानने के लिए तैयार नहीं थे़ वह अपनी बात रखने के लिए जिद करने लगे़ विधायक का कहना था कि उनको संरक्षण चाहिए़ दूसरे लोगों ने उन पर आरोप लगाये है़ं हमें बोलने दिया जाये़ बाद में मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर, विधायक विरंची नारायण, मनीष जायसवाल, शिवशंकर उरांव सहित दूसरे विधायकों ने उन्हें बैठने का आग्रह किया़ सदन की कार्यवाही के दौरान ढुल्लू कई बार बोलने के लिए उठे़ इस पर स्टीफन मरांडी ने कहा, कोई अपना व्यक्तिगत मामले को लेकर हाउस काे अव्यवस्थित कर रहा है़ हमें बैठने के लिए कहा गया, तो बैठ गये़ इस तरह से आसन को मजबूर नहीं किया जा सकता है़ दूसरी पाली में इस मामले पर स्पीकर ने कहा कि कल विधानसभा की प्रोसिडिंग में ऐसी कोई बात नहीं आयी थी़ ऐसे में इस विषय पर बात करना सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं होगा़ अखबार के माध्यम से मामला आया है, तो इसे समेकित रूप से लिख कर दे़ विधिसम्मत कार्रवाई होगी़ विधायक गंभीर हैं, तो आसन को लिखित रूप से बताये़ं
सदन के बाहर बोले ढुल्लू, साजिश के तहत फंसाया जा रहा
सदन के बाहर ढुल्लू महतो ने कहा कि एक साजिश के तहत उनको फंसाया जा रहा है़ हमने किसी भी कंपनी से रंगदारी नहीं मांगी है़ वहां कौन रूसी कंपनी काम कर रही है, नहीं मालूम़ विधायक का कहना था कि डीपीएल नाम की फरजी कंपनी है़ उद्योग और कल कारखाना लगता है, तो स्थानीय लोग नौकरी मांगते है़ं श्री महतो ने कहा कि वह एक अंतरराष्ट्रीय ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी है़ं मजदूरों के हित के लिए लड़ते है़ं मेरे ऊपर 353 के तहत मामला चल रहा है़ ऐसे कई राजनेता हैं, जिनके खिलाफ यह मामला चल रहा है़ विधायक प्रदीप यादव के खिलाफ भी 307 का मामला चल रहा था, दबाव बना कर हटवाया गया़ हम जब झाविमो में थे, तो हमारे लिए आंदोलन नहीं हुआ़ बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव ने दबाव बना कर केस हटवाया़ यह पूछने पर कि कंपनी ने पत्र लिखा है, उसे ही अखबार में छापा गया़ विधायक का कहना था कि पत्र फरजी है़ सरकार जांच करा ले़ मैं हर जांच के लिए तैयार हू़ं गरीब के लड़के को उठने नहीं दिया जा रहा है़ यह पूछने पर कि बाबूलाल ने कहा कि आपका आठ कोलियरी पर कब्जा है, श्री महतो ने कहा कि मेरा कहीं कोई कब्जा नहीं है़ बाबूलाल क्या बोल रहे हैं, मालूम नही़ं यह पूछने पर कि आपका क्या व्यवसाय है़, विधायक ने कहा कि उनके घर में छह लोग नौकरी करते है़ं हम लोगों ने 20 एकड़ जमीन बीसीसीएल को दी है़.