रांची: झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन की ओर से ‘झारखंड में कृषि, वन, जल व खनिज नीति’ के मुद्दे पर शुक्रवार को एसडीसी सभागार में दो दिनी कार्यशाला का शुभारंभ हुआ.
इसमें दिल्ली से आये अजय झा ने कहा कि इन मुद्दों पर देश व राज्य की सरकारें जनता के नाम पर जनविरोधी नीतियां बना रही हैं. वैकल्पिक विकास की बात व संसाधनों के प्रयोग में आम लोगों के हित की बात को सामने रखना जरूरी है. डॉ निर्मल मिंज ने कहा कि झारखंड में विस्थापन पर रोक लगनी चाहिए. आदिवासी मूलवासी आबादी लुप्त होने के कगार पर हैं. विकल्प खड़ा करने के लिए सामाजिक -राजनैतिक पहल जरूरी है. सौम्या दत्ता ने कहा कि इन विषयों पर अलग-अलग नीतियां बनती हैं, जिनके बीच समन्वय नहीं होता.
सालखन मुमरू ने कहा कि देश चलाने के लिए संविधान मार्गदर्शक है, पर इसका अनुपालन नहीं होता. अनिल अंशुमन ने कहा कि सरकार अपनी ही बनायी नीतियों का उल्लंघन करती है. कार्यशाला का संचालन जेवियर कुजूर ने किया. इसमें बिरसा, जमैक, झारखंड दिशोम पार्टी, नगड़ी बचाओ संघर्ष समिति, सेंगेल अभियान, माले, पैरवी, भारत जन विज्ञान जत्था, ह्यूमेनिटी व अन्य जनसंगठनों के सदस्य शामिल थे.

