What’s wrong with the Tejas LCA fighter jet? दुबई एयरशो में भारतीय वायुसेना (IAF) का तेजस लड़ाकू विमान 21 नवंबर को हादसे का शिकार हो गया, जिसमें पायलट की मौत हो गई. यह तेजस के 24 साल के परिचालन इतिहास में दूसरा बड़ा क्रैश था और पहला जिसमें किसी की जान गई. यह दुर्घटना उस समय सामने आई है, जब अक्टूबर में MiG-21 के रिटायर होने के बाद IAF की उम्मीदें तेजस पर पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई थीं. तेजस के 182 Mk-1A विमानों का ऑर्डर दिया जा चुका है, और भविष्य में 351 तेजस विमानों का पूरा बेड़ा तैयार करने की योजना है. लेकिन इस विमानों पर बढ़ती निर्भरता के बावजूद, तेजस की क्षमताओं और विश्वसनीयता से जुड़े कई गंभीर सवाल बने हुए हैं. अक्सर इसकी तुलना F-16 से की जाती है, लेकिन इसकी समस्याएं उससे भी बड़ी हैं.
लंबा विकास काल
तेजस का विकास 1980 के दशक में शुरू हुआ LCA कार्यक्रम का परिणाम है. लेकिन इस कार्यक्रम को दुनिया में सबसे अधिक देरी वाले सैन्य एविएशन प्रोजेक्ट्स में गिना जाता है. पहला प्रोटोटाइप ने 2001 में उड़ान भरी, लेकिन विमान को IAF में शामिल होने में पूरे 14 साल लग गए. 2015 में इसे भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. लेकिन आज स्थिति यह है कि IAF के पास सिर्फ दो स्क्वॉड्रन यानी 38 तेजस ऑपरेशनल हैं.
इंजन से जुड़ी समस्याएँ और शक्ति की कमी
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तेजस की सबसे बड़ी तकनीकी समस्या उसके इंजन से जुड़ी है. शुरुआती योजना थी कि यह विमान स्वदेशी कावेरी इंजन से संचालित होगा, लेकिन यह परियोजना भारी विफलता साबित हुई. कावेरी इंजन न पर्याप्त थ्रस्ट दे पाया, न परीक्षण मानकों पर खरा उतरा. बाहरी मदद के प्रस्ताव, जैसे अमेरिकी Pratt & Whitney के ठुकरा दिए गए, लेकिन वर्षों बाद कावेरी को भी इस कार्यक्रम से अलग करना पड़ा.
इसके बाद GE का F404-F2J3 इंजन चुना गया, जो वर्तमान तेजस Mk1 और Mk1A को शक्ति दे रहा है. यह इंजन भरोसेमंद तो है, लेकिन आधुनिक जेट मानकों के मुकाबले कमजोर माना जाता है. ऊँचाई पर पावर ड्रॉप होना, थ्रस्ट की कमी और सीमित हथियार लोड इसकी प्रमुख कमियाँ हैं. इसी कमी के कारण GE ने F404 के तुरंत बाद अधिक शक्तिशाली F414 इंजन विकसित किया, जो तेजस Mk2 में इस्तेमाल होना है.
इंजन की सीमाओं का असर सीधे विमान की लड़ाकू क्षमता पर पड़ता है. तेजस सिर्फ 3 टन बाहरी लोड ले जा सकता है, जो आधुनिक मल्टीरोल जेट्स की तुलना में काफी कम है. उसकी एस्कॉर्ट रेंज महज 300 किमी है, और बिना हवा में ईंधन लिए वह सिर्फ 59 मिनट तक हवा में रह सकता है. अगले मिशन के लिए तैयार होने में भी उसे 60 मिनट से ज्यादा लगते हैं.

प्रदर्शन पर IAF की नाराजगी
HAL की डिलीवरी देरी से अलग, IAF तेजस के प्रदर्शन से भी कई बार असंतुष्टि जता चुकी है. एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा था कि तेजस Mk-1A का मॉडल IAF की जरूरतों पर खरा नहीं उतरता, सिर्फ सॉफ्टवेयर बदल देने से विमान लड़ाकू रूप से सक्षम नहीं हो जाता. उनका बयान- मजा नहीं आ रहा, IAF की गंभीर चिंताओं को दर्शाता है. 2017 में IAF के एक टेस्ट पायलट ने बताया था कि LCA को अक्सर अधिक सक्षम लड़ाकू विमानों की एस्कॉर्ट में उड़ना पड़ता है, ताकि मिशन सुरक्षित पूरा किया जा सके. यह आधुनिक युद्ध क्षमता के लिहाज से बड़ी कमजोरी मानी जाती है. तेजस की survivability यानी युद्ध में जिंदा रहने की क्षमता को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं.
रख-रखाव और टर्नअराउंड टाइम की चुनौतियाँ
तेजस की एक और समस्या उसका टर्नअराउंड टाइम है. एक मिशन पूरा करने के बाद अगली उड़ान के लिए इसे तैयार करने में 60 मिनट से अधिक समय लगता है. तेज-गति वाले युद्ध परिदृश्यों में यह बड़ी कमी है. इसके अलावा, सीमित हथियार टन भार और अपेक्षाकृत कम रेंज इसे मल्टी-थियेटर ऑपरेशंस में सीमित भूमिका तक सीमित कर देती है.
डिलीवरी में लगातार देरी
HAL को समय पर डिलीवरी न करने को लेकर IAF कई बार नाराजगी जता चुकी है. फरवरी 2025 में एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा था कि HAL मिशन मोड में काम ही नहीं कर रही. उनके अनुसार फरवरी तक 11 तेजस Mk1A तैयार होने थे, लेकिन एक भी विमान डिलीवर नहीं हुआ. IAF की परिचालन क्षमता पहले से ही कम है और MiG-21 के हटने के बाद सिर्फ 29 फाइटर स्क्वॉड्रन बचे है, जो स्वीकृत क्षमता का 70% से भी कम है। और यह संख्या आगे और घटने वाली है, क्योंकि आईएएफ 2035 तक MiG-29, जगुआर और मिराज-2000 जैसे पुराने जेट्स को भी रिटायर करने की योजना बना रही है। ऐसे में देरी और भी खतरनाक साबित होती जा रही है.

भविष्य की उम्मीदें, लेकिन चुनौतियां बरकरार
तेजस Mk1A में AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट, जेमर्स और BVR मिसाइल क्षमताओं जैसे महत्वपूर्ण अपग्रेड शामिल हैं. Mk2 अपेक्षाकृत अधिक सक्षम डिजाइन है और इसमें F414 इंजन का उपयोग होगा, जिससे थ्रस्ट और हथियार लोड में बढ़ोतरी की उम्मीद है. फिर भी, वर्तमान में तेजस जिस सबसे बड़े सवाल का सामना कर रहा है, वह है कि क्या यह IAF के भविष्य के युद्ध मानकों पर खरा उतर पाएगा? तेजस कार्यक्रम भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता का प्रतीक है, लेकिन इसकी देरी, इंजन सीमाएँ और परिचालन प्रदर्शन से जुड़े सवाल अभी भी अनसुलझे हैं.
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