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Transgender People in America: 2015 में, ओबामा प्रशासन के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को मान्यता दी गई थी. ओबामा सरकार ने कई फेडरल नीतियों में ट्रांसजेंडरों के लिए जगह बनाई, जिसमें समलैंगिक विवाहों को कानूनी स्वीकृति देना और ट्रांस कपल्स के लिए बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को मंजूरी देना शामिल था.

Transgender People in America: 20 जनवरी को वॉशिंगटन, डी.सी. में हुए एक ऐतिहासिक घटनाक्रम ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. जब डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली, तो उन्होंने अपनी चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कई अहम कार्यकारी आदेश जारी किए. इनमें से एक महत्वपूर्ण आदेश था, जिसमें अमेरिका में केवल दो जेंडरों को मान्यता देने की बात की गई. इस फैसले के बाद, यूएस में वर्षों से अस्तित्व में रहे थर्ड जेंडर को अब आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं मिलेगी. यह सवाल उठता है कि क्या इसका मतलब यह है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य अब आम अमेरिकी नागरिकों के समान अधिकारों से वंचित हो जाएंगे?

अमेरिका में ट्रांसजेंडरों की संख्या

यूएस में प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, पिछले तीस वर्षों में, पांच प्रतिशत से कुछ अधिक लोग खुद को ट्रांसजेंडर या नॉन-बायनरी मानते हैं, यानी वे लोग जो किसी विशेष जेंडर में अपनी पहचान नहीं पाते. यूसीएलए लॉ स्कूल के विलियम्स इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका में 13 साल और उससे अधिक उम्र के लगभग 16 लाख लोग खुद को ट्रांसजेंडर मानते हैं. इसके अतिरिक्त, बड़ी संख्या में लोग हैं जो जन्म के समय असाइन किए गए जेंडर से संतुष्ट नहीं होते, लेकिन उन्हें खुलकर प्रकट करने का साहस नहीं जुटा पाते.

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ट्रांसजेंडर का अर्थ

सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, “ट्रांसजेंडर” वह शब्द है जो उन व्यक्तियों के लिए उपयोग किया जाता है, जो जन्म के समय निर्धारित जेंडर से अलग महसूस करते हैं या खुद को एक अलग जेंडर के रूप में पहचानते हैं. इसका मतलब है कि ट्रांसजेंडर वे लोग हैं जिनकी जेंडर पहचान जन्म के समय असाइन किए गए जेंडर से मेल नहीं खाती.

ट्रांसजेंडरों के अधिकार: ओबामा से ट्रंप तक

2015 में, ओबामा प्रशासन के तहत ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को मान्यता दी गई थी. ओबामा सरकार ने कई फेडरल नीतियों में ट्रांसजेंडरों के लिए जगह बनाई, जिसमें समलैंगिक विवाहों को कानूनी स्वीकृति देना और ट्रांस कपल्स के लिए बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को मंजूरी देना शामिल था. इसके अलावा, ट्रांसजेंडरों को सेना में शामिल होने की अनुमति भी दी गई थी. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार में आते ही सेना में ट्रांसजेंडरों की भर्ती पर रोक लगा दी, और बाद में थर्ड जेंडर की पूरी अवधारणा को खत्म कर दिया.

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इसके बाद, बाइडेन प्रशासन ने ट्रंप के फैसले को पलटने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया, लेकिन अब ट्रंप के फिर से सत्ता में आने के साथ ही इस फैसले को फिर से बदल दिया गया है. ट्रंप प्रशासन ने केवल सेना में ट्रांसजेंडरों के भर्ती पर ही रोक नहीं लगाई, बल्कि थर्ड जेंडर की मान्यता को भी समाप्त कर दिया है.

एंटी-LGBTQ बिल्स और ट्रांसजेंडरों पर रोक

ट्रंप के शासन के दौरान, देश भर में LGBTQ समुदाय के खिलाफ कई विधायिका के प्रयास किए गए. अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में पूरे अमेरिका में 532 एंटी-LGBTQ बिल पेश किए गए थे. इनमें से 208 बिल्स ने छात्रों और शिक्षकों के अधिकारों को सीमित करने का प्रयास किया, जबकि 70 बिल्स धार्मिक छूट से जुड़े थे और ट्रांसजेंडरों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रहे थे. 112 बिल्स स्वास्थ्य से संबंधित थे, जैसे ट्रांसजेंडरों को अपने पसंदीदा जेंडर को प्राप्त करने के लिए चिकित्सा उपचार लेने का अधिकार.

ट्रांसजेंडरों के लिए भविष्य की चुनौतियां

अब, ट्रंप के आदेश के अनुसार, केवल दो जेंडर — पुरुष और महिला — को ही मान्यता दी जाएगी. इसका मतलब यह है कि जन्म के समय जिस जेंडर को अस्पताल स्टाफ द्वारा असाइन किया जाएगा, वही उस व्यक्ति का आधिकारिक जेंडर होगा. इस व्यवस्था में, जो लोग खुद को ट्रांसजेंडर मानते हैं, उन्हें अब अपने जेंडर को बदलने का अधिकार नहीं मिलेगा. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए कानूनी और चिकित्सकीय सहायता से जेंडर में बदलाव की प्रक्रिया अब खत्म हो जाएगी. इसके परिणामस्वरूप, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सरकारी नौकरी, सेना में भर्ती, और खेल के क्षेत्र में भागीदारी के दरवाजे बंद हो सकते हैं.

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ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए विकल्प

इस नई नीति के तहत, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कई रास्ते बंद हो सकते हैं. हालांकि, कुछ राज्य जैसे कैलिफोर्निया, मैसाचुसेट्स और वॉशिंगटन में ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर अधिक स्वीकृति है, लेकिन अब इन राज्यों में भी प्रतिबंध लागू हो सकते हैं. ऐसे में, कई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए पलायन का विकल्प खुल सकता है, जहां वे ऐसे देशों में जा सकते हैं जो उन्हें बेहतर कानूनी और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हैं, जैसे कि कनाडा, जर्मनी और नीदरलैंड. इन देशों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अधिक स्वीकृति और खुलेपन के माहौल हैं, हालांकि वहां भी दक्षिणपंथी विचारधाराओं की मौजूदगी के कारण चुनौतियां हो सकती हैं.

अंततः, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए यह समय संघर्ष का है, और उन्हें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी होगी. कई मानवाधिकार संगठन इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं, और ट्रांसजेंडर समुदाय को न्याय दिलाने के लिए वे सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले सकते हैं. हालांकि, यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यदि यह कार्यकारी आदेश पलटता है तो यह ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण जीत साबित हो सकती है.

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Aman Kumar Pandey
Aman Kumar Pandey
अमन कुमार पाण्डेय डिजिटल पत्रकार हैं। राजनीति, समाज, धर्म पर सुनना, पढ़ना, लिखना पसंद है। क्रिकेट से बहुत लगाव है। इससे पहले राजस्थान पत्रिका के यूपी डेस्क पर बतौर ट्रेनी कंटेंट राइटर के पद अपनी सेवा दे चुके हैं। वर्तमान में प्रभात खबर के नेशनल डेस्क पर कंटेंट राइटर पद पर कार्यरत।

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