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पुतिन को भारत की गलियों से मिला अनमोल तोहफा, देखते ही प्रेसिडेंट का दिल बाग-बाग हो गया

Vladimir Putin Gift a Vase: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भारत यात्रा के दौरान विशेष रूप से तैयार किया गया एक सजावटी फूलदान (Vase) भेंट किया गया. यह उपहार अपने आप में एक प्रतीकात्मक संदेश समेटे हुए था, क्योंकि उस पर रूसी भाषा में लिखा हुआ था- ‘यूक्रेन के रूस के साथ पुनर्एकीकरण के 325 वर्ष.’

Vladimir Putin Gift a Vase: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हाल ही में भारत दौरे पर आए थे. उनकी इस यात्रा पर दुनिया भर की नजरें टिकीं रहीं. फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद वे पहली बार भारत आए थे. इसके बाद से रूस के ऊपर कई तरह के सैंक्शन लगे हुए हैं. वहीं भारत भी रूस से तेल लेने की वजह से अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रहा है. खैर, दोनों देशों के बीच इस यात्रा के दौरान कई खास मौके आए. इसी में से एक था, जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस यात्रा पर विशेष रूप से तैयार किया गया एक सजावटी फूलदान (Vase) भेंट किया गया. यह उपहार अपने आप में एक प्रतीकात्मक संदेश समेटे हुए था, क्योंकि उस पर रूसी भाषा में लिखा हुआ था- ‘यूक्रेन के रूस के साथ पुनर्एकीकरण के 325 वर्ष.’

पुतिन की यात्रा के दौरान रूस की स्टेट मीडिया रशिया टुडे का इंडिया ऑफिस भी दिल्ली में खोला गया. रूस के अंतरराष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क RT के भारत में लॉन्च के समारोह में एक दिलचस्प और राजनीतिक रूप से संवेदनशील पल देखने को मिला. कार्यक्रम के दौरान RT की एडिटर-इन-चीफ मार्गारिटा सिमोनियन ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक सजावटी फूलदान भेंट किया. सिमोनियन ने इस उपहार को प्रस्तुत करते समय हल्के-फुल्के अंदाज में एक टिप्पणी की, जिसने पूरे कार्यक्रम का केंद्रबिंदु बना दिया. उन्होंने कहा, “भारतीय विक्रेता ने मुझसे कहा कि काश यह पुनर्मिलन 325 साल बाद नहीं, बल्कि इससे पहले ही हो जाता. हम भी यही चाहते हैं और इस पर काम कर रहे हैं!”

325 वर्ष पुनर्एकीकरण’ का क्या है संदर्भ?

इस ऐतिहासिक संदर्भ ने कार्यक्रम को साधारण से आगे बढ़कर एक जियो पॉलिटिकल संकेत का रूप दे दिया. यूक्रेन युद्ध के बीच रूस लगातार यह दावा करता रहा है कि यूक्रेन उसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक हिस्सा रहा है. ‘325 वर्ष पुनर्एकीकरण’ का संदर्भ सोवियत दौर की उस ऐतिहासिक व्याख्या से जुड़ा है, जिसमें 1654 के पेरेयास्लाव समझौते को रूस और यूक्रेन के बीच एक स्वैच्छिक पुनर्मिलन के रूप में प्रस्तुत किया गया था. 1654 में कोसैक नेता बोहदान खमेलनित्स्की ने पोलैंड से संघर्ष के बीच रूस से सुरक्षा की मांग करते हुए यह समझौता किया, जिसे रूसी इतिहासकारों और बाद में सोवियत संघ ने दोनो राष्ट्रों की ऐतिहासिक एकता का प्रतीक बताया. सोवियत शासन ने इसे अपनी राजनीतिक कथा का महत्वपूर्ण आधार बनाते हुए 1954 में 300वीं वर्षगांठ और 1979 में 325वीं वर्षगांठ भव्य रूप से मनाई. ऐसे में इस तरह के संदेश वाले उपहार का पुतिन को दिया जाना अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के अनुसार रूस की लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक सोच की झलक भी देता है.

उस समय बड़ी संख्या में स्मारक पदक, बैज और प्रचार सामग्री जारी की गई, जिन पर “हमेशा साथ रूसी जनता के साथ हमेशा” जैसे नारे लिखे होते थे. हालांकि आधुनिक यूक्रेन में इस घटना को लेकर दृष्टिकोण काफी अलग है, जहाँ इसे रूसी विस्तारवाद और नियंत्रण की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है. इस प्रकार, “325 वर्ष” का उल्लेख केवल एक ऐतिहासिक तारीख नहीं, बल्कि सोवियत राजनीतिक प्रतीकवाद और रूसी-यूक्रेनी संबंधों की जटिल ऐतिहासिक बहस का हिस्सा है.

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भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने भी दिया गिफ्ट

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर 2025 को दो दिनों की आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे. इस दौरे को दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों के लिए अहम माना गया. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा पर कई खास और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण उपहार दिए. इनमें असम की सुगंधित ब्लैक टी, कश्मीर का मशहूर केसर, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद का बारीक नक्काशीदार चांदी का टी सेट, महाराष्ट्र का हस्तनिर्मित चांदी का घोड़ा, आगरा का संगमरमर से बना खूबसूरत शतरंज सेट और रूसी भाषा में प्रकाशित भगवद गीता की प्रति शामिल है.

भारत रूस के बीच मुख्य समझौते और कदम

इस दौरान भारत और रूस के बीच लंबी चली आ रही विशेष रणनीतिक साझेदारी की 23वीं वार्षिक शिखर बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. यात्रा के दौरान भले ही रक्षा सौदों के बड़े ऐलान नहीं हुए, लेकिन आर्थिक, तकनीकी, शिक्षा, अंतरिक्ष और सांस्कृतिक क्षेत्रों में साझेदारी को नए रूप में आगे बढ़ाने पर दोनों देशों ने जोर दिया. पुतिन की इस यात्रा ने भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देने और बदलती वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की राह मजबूत की है.

भारत और रूस ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक बनाने के लिए कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई. व्यापार, स्वास्थ्य सेवाओं, कृषि, मीडिया, संस्कृति और कुशल मानव संसाधन के आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में नई साझेदारी योजनाओं पर हस्ताक्षर हुए. दोनों देशों ने आगामी वर्षों में आपसी व्यापार को काफी बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए 2030 तक के लिए एक संयुक्त आर्थिक रोडमैप भी तैयार किया गया. ऊर्जा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बातचीत हुई. मीडिया और सूचना के क्षेत्र में भी नए समझौते हुए, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सामग्री आदान-प्रदान और प्रसारण सहयोग को बढ़ाना है. इसी अवसर पर रूस के अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह RT ने अपने भारतीय संचालन की शुरुआत भी की.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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