Venezuela closed embassy in Norway: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2025 का शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं जीत सके. उन्होंने इसके लिए भरपूर प्रयास किया. दुनिया भर में 8 युद्ध रुकवाने का दावा भी ठोका. लेकिन शुक्रवार, 10 अक्टूबर को जब इसकी घोषणा हुई, तो उनका नाम नहीं पुकारा गया. नार्वे की नोबेल समिति ने वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को 2025 के नोबेल पीस प्राइज के लिए चुन लिया. मारिया ने इस पुरस्कार को वेनेजुएला की जनता और डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित कर दिया. दोनों के बीच इस बात पर जरूर सहमति बन गई, लेकिन यह मामला वेनेजुएला में बवाल लेकर आया. वेनेजुएला के नेताओं ने इसकी भरपूर निंदा की. अब वेनेजुएला की सरकार ने एक और कड़ा कदम उठाया है.
वेनेजुएला ने नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में स्थित अपने दूतावास को बंद कर दिया है. वेनेजुएला सरकार का सोमवार का यह कदम मारिया कोरीना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार देने के बस चार ही दिन बाद आया है. वेनेजुएला सरकार ने इस फैसले को अपने पुनर्गठन (रीस्ट्रकचरिंग) का हिस्सा बताया है. इसी के साथ उसने ऑस्ट्रेलिया में भी अपना दूतावास बंद कर दिया. नॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया में अपने दूतावास बंद किए तो उसने दो और देशों में एंबेसी खोली भी है. वेनेजुएला ने जिम्बाब्वे व बुर्किना फासो में नए राजनयिक मिशन खोलने की घोषणा कर दी है. नॉर्वे ने इस निर्णय पर खेद व्यक्त किया और कहा कि नोबेल पुरस्कार का संबंध नॉर्वे सरकार से स्वतंत्र है.
मचाडो मादुरो की हैं कड़ी आलोचक
विपक्ष की मुखर नेता मारिया कोरीना मचाडो वेनेजुएला के वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की कड़ी आलोचक हैं. वेनेजुएला सरकार ने मचाडो की जीत पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन अपने बयान में इस कदम को विदेश सेवा के पुनर्गठन का हिस्सा बताया. बयान के अनुसार, कराकस (वेनेजुएला की राजधानी) ने ऑस्ट्रेलिया में अपना दूतावास बंद करने के साथ-साथ जिम्बाब्वे और बुर्किना फासो में नए मिशन शुरू किए हैं, जिन्हें उसने साम्राज्यवादी दबावों के खिलाफ संघर्ष में रणनीतिक साझेदार बताया.
नॉर्वे ने कहा- पुरस्कार का सरकार से नहीं है कोई संबंध
नॉर्वे के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता सेसिली रोआंग ने न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है. कई मुद्दों पर हमारे मतभेद होने के बावजूद नॉर्वे वेनेजुएला के साथ संवाद बनाए रखना चाहता है और इसी दिशा में काम करता रहेगा. नोबेल पुरस्कार नॉर्वे सरकार से स्वतंत्र है.” नोबेल शांति पुरस्कार समिति, ओस्लो में स्थित है और इसके सदस्य नॉर्वे की संसद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं.
नोबेल समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्रिडनेस ने नोबेल पीस प्राइज की घोषणा करते हुए कहा था कि मचाडो को “वेनेजुएला की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण संक्रमण के लिए उनके अथक संघर्ष” के लिए सम्मानित किया गया है.
वेनेजुएला को कई देश नहीं देते मान्यता
अमेरिका समेत कई देश मादुरो की सरकार को मान्यता नहीं देते. रविवार को मचाडो की नोबेल जीत का उल्लेख किए बिना मादुरो ने उन्हें “डायन” (विच) कहा. यह एक ऐसा शब्द है, जो उनकी सरकार अक्सर उनके लिए इस्तेमाल करती है. 58 वर्षीय मचाडो वेनेजुएला में छिपकर रह रही हैं. उन्हें 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनने से रोक दिया गया था. मादुरो ने वह चुनाव विपक्षी विरोध प्रदर्शनों के बीच जीता था.
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